अमेरिका के कैलिफोर्निया जंगलों की आग बुझाने के लिए हर संभव कोशिश कर रहा है. कई फायर फाइटिंग हेलीकॉप्टर आग पर पानी बरसा रहे हैं, लेकिन काबू में आने के बजाय लगातार बढ़ती जा रही है. इसलिए अब हेलीकॉप्टर पानी नहीं, बल्कि एक तरह का पिंक लिक्विड बरसा रहे हैं. ऐसे में इस रिपोर्ट में जानेंगे कि आखिर ये लिक्विड क्या है और साथ ही ये समझेंगे कि इस लिक्विड पर वैज्ञानिकों क्या राय है, आखिर वो क्यों कह रहे हैं कि ये जान के लिए हानिकारक है.
कैलिफोर्निया में शनिवार को जंगलों में लगी आग को कंट्रोल करने के लिए अधिकारियों ने हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल कर बड़ी मात्रा में पिंक लिक्विड यानि पिंक फायर रिटार्डेंट गिराया. इस रिटार्डेंट का उद्देश्य आग के फैलाव को धीमा करना और उसे नियंत्रित करना था. अधिकारियों ने बताया कि आग पर काबू पाने के लिए 9 बड़े रिटार्डेंट-स्प्रेइंग विमान और 20 जल-छोड़ने वाले हेलीकॉप्टरों का इस्तेमाल किया गया.
पिंक फायर रिटार्डेंट का इस्तेमाल संयुक्त राज्य अमेरिका में नई बात नहीं है. यह उत्पाद दशकों से इस्तेमाल हो रहा है. हालांकि, हाल ही में इस उत्पाद की प्रभावशीलता और पर्यावरण पर इसके प्रभाव को लेकर बढ़ती हुई चिंताएं सामने आई हैं.
पिंक फायर रिटार्डेंट क्या है?
फायर रिटार्डेंट एक रासायनिक मिश्रण होता है जिसका उद्देश्य आग को बुझाना या उसकी रफ्तार को धीमा करना होता है. फायर रिटार्डेंट के कई प्रकार होते हैं, लेकिन अमेरिका में जंगलों की आग को नियंत्रित करने के लिए सबसे अधिक इस्तेमाल होने वाला प्रोडक्ट है फोस-चेक. यह आमतौर पर अमोनियम फॉस्फेट आधारित सोल्यूशन होता है, जो जलने में मुश्किल से उबालता है और लंबे समय तक बना रहता है.
नेशनल इंटरएजेंसी फायर सेंटर के एक प्रवक्ता ने एक न्यू यॉर्क टाइम्स को बताया कि इस रिटार्डेंट को आग के रास्ते में छिड़का जाता है ताकि यह वनस्पति को कवर कर सके और उसे जलने से रोक सके.
क्यों मिलाया जाता है पिंक कलर?
फायर रिटार्डेंट में आमतौर पर रंग डाला जाता है ताकि फायर मैन इसे आसानी से देख सकें. यह उन्हें रिटार्डेंट के चारों ओर आग की रेखाएं बनाने में मदद करता है और आग से उनकी जान भी बचती रहती है. फोस-चेक को पिंक रंग में रंगा जाता है क्योंकि यह रंग सबसे ज्यादा विजिबल होता है और आकर्षक भी होता है.
रिटार्डेंट के इस्तेमाल पर उठे सवाल
हालांकि, इस रिटार्डेंट का उपयोग प्रभावी होने का सवाल उठता है, और पर्यावरण विशेषज्ञों का मानना है कि विमान से रिटार्डेंट गिराना न केवल महंगा है, बल्कि यह नदियों में प्रदूषण का एक बढ़ता हुआ सोर्स भी है. 2024 में दक्षिणी कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय (यूएससी) के साइंटिस्ट द्वारा किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि फोस-चेक में ऐसे जहरीले धातु होते हैं, जो मानवीय स्वास्थ्य के लिए खतरा पैदा कर सकते हैं.
इन जहरीले धातुओं में क्रोमियम और कैडमियम शामिल हैं, जो कैंसर, गुर्दे और जिगर की बीमारियों का कारण बन सकते हैं. इनका पर्यावरण पर भी गंभीर प्रभाव पड़ता है, खासकर जब ये रिटार्डेंट जल स्रोतों में घुलकर जलजीवों को नुकसान पहुंचाते हैं.
फोस-चेक की प्रभावशीलता पर सवाल
फोस-चेक की प्रभावशीलता पर भी सवाल उठाए गए हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि यह एकमात्र तरीका नहीं है, जिसे आग को बुझाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. बड़े जंगलों की आग में यह केवल एक रणनीति है, और जब आग बुझाई जाती है, तो यह निर्धारित करना मुश्किल होता है कि रिटार्डेंट ने कितना प्रभाव डाला.
क्लाइमेट एक्सचेंज और बढ़ती जंगलों की आग
टिमोथी इंगल्सबी ‘फायरफाइटर्स यूनाइटेड फॉर सेफ्टी, एथिक्स एंड इकोलॉजी’ के कार्यकारी निदेशक हैं. इन्होंने एक बार लॉस एंजेल्स टाइम्स से कहा था कि हवाई रिटार्डेंट केवल एक संकीर्ण परिस्थितियों में प्रभावी होता है. ये चिंताएं पर्यावरण विशेषज्ञों के बीच एक बहस को जन्म देती हैं, और अमेरिकी सरकार और पेरिमीटर सॉल्यूशंस के बीच मतभेद हैं. पेरिमीटर सॉल्यूशंस इस दावे को नकारते हैं कि फोस-चेक पर्यावरण के लिए हानिकारक है. उनका मानना है ये हानिकारकन नहीं है.
भविष्य में रिटार्डेंट का उपयोग की कितनी संभावना
जैसे-जैसे वैश्विक तापमान बढ़ रहे हैं, जंगलों की आग और ज्यादा तेज होने की आशंका है. इसका मतलब यह है कि हवाई फायर रिटार्डेंट का उपयोग भी बढ़ेगा. 2009 से 2021 तक अमेरिका की जमीन पर 440 मिलियन गैलन से अधिक रिटार्डेंट का उपयोग किया गया है. इस आंकड़े का उपयोग करते हुए यूएससी की एक स्टडी से अनुमान लगाया गया है कि 2009 से 2021 तक 400 टन से अधिक भारी धातुएं रिटार्डेंट से पर्यावरण में छोड़ दी गईं.