अमेरिका में राष्ट्रपति पद से जो बाइडेन की विदाई होने वाली है और डोनाल्ड ट्रंप की दूसरी बार ताजपोशी होने जा रही है, इस बीच कैलिफोर्निया के लॉस एंजलिस के जंगल की आग ने विकराल रूप ले लिया और भारी तबाही मचा दी. अमेरिका ऐसा देश है जिससे पूरी दुनिया का सरोकार जुड़ा है, लिहाजा इस भयानक अग्निकांड से बाहर और भीतर तमाम लोग झुलसे हुए हैं. कइयों के कारोबार प्रभावित हुए हैं. अनेक हॉलीवुड सितारों के घर-बंगले सब तबाह हो गए. वहां केवल धुआं, चिंगारी और राख है. लेकिन दूसरी तरफ इस आपदा पर तंज भी कसे जा रहे हैं. गाजा नरसंहार और पलायन से जोड़ा जा रहा है. भारत में पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने भी इसे गाजा का नतीजा बताया है लेकिन यह बात महबूबा तक ही सीमित नहीं है.
सोशल मीडिया पर इस विनाशकारी आग को गाजा युद्ध से जोड़कर कई सारी पोस्ट्स वायरल हो रही हैं और अमेरिकी नीति पर निशाना साधा जा रहा है. पोस्ट में लिखा जा रहा है कि अमेरिका गाजा को जलाने का परिणाम भुगत रहा है. इजरायल-अमेरिका विरोधी कई एक्टिविस्ट्स इसी तरह के बयान जारी कर रहे हैं. एक्टिविस्ट्स लिख रहे हैं- अमेरिका ने गाजा में अस्पताल और रिफ्यूजी कैंप जलाए, आज वह खुद भी अपनी लगाई आग में जल रहा है. गाजा में लोगों को जिंदा जलाया गया, आश्चर्य नहीं, कहीं ये आग हमारे घर तक न पहुंच जाए… गाजा की लपटें यहीं नहीं रुकेंगी… गाजा पर सैकड़ों बम गिराने का परिणाम है… आदि आदि.
इजरायल और अमेरिकी विरोधियों के अटपटे बयान
लोगों का तो यहां तक कहना है कि अमेरिका ने गाजा में करवाया, ये आग उसी वजह से फैली है. इजरायल और अमेरिकी विरोधियों का कहना है कि जो अमेरिका ने किया उसे उसी का फल मिल रहा है. अमेरिकी आग पर महबूबा मुफ्ती ने कहा कि अमेरिका को अब गाजा का दर्द ठीक से समझ आएगा? महबूबा ने ये भी कहा कि अमेरिका को पता चलना चाहिए कि किसी का घर और जिंदगियां खत्म होने पर कैसा दर्द होता है?
हालांकि पूरी दुनिया इस बात पर चिंता प्रकट कर रही है कि लॉस एंजलिस आग का कनेक्शन पर्यावरणीय लापरवाही से है. सैंटा एना की हवाओं ने जंगल की आग को शहरों की ओर फैला दिया, जिसकी चपेट में बड़ी आबादी भी आ गई. पर्यावरण का संकट केवल पहले का ही नहीं है बल्कि आग के बाद का भी है. जंगलों के जल जाने से अब वहां पर्यावरण का संकट नये सिरे से खड़ा होने वाला है. यह एक बड़ी प्राकृतिक त्रासदी है, जिसे दो पॉवर सेंटर के युद्ध में हुए संहार से जोड़ दिया गया है. लॉस एंजलिस आग को प्राकृतिक आपदा के रूप में देखा जा रहा है.
इसे अमेरिकी चुनाव प्रचार अभियान के दौरान बरती गई घोर लापरवाही का नतीजा भी बताया जा रहा है. सत्ताधारी डेमोक्रेट्स का इस ओर उचित समय पर ध्यान नहीं दिया गया और ना ही रिपब्लिकन ने अपने अभियान में इस संकट की ओर इशारा किया. नतीजा घोर लापरवाही और अनदेखी की वजह से जंगल की चिंगारी ज्वालामुखी बन गई. अब बताया जा रहा है कि इस आग को बेहतर रोकथाम के साथ टाला जा सकता था.
गाजा-कैलिफोर्निया: कहां, कितनी तबाही?
पिछले करीब पंद्रह महीने के दौरान गाजा युद्ध में 40,000 से ज्यादा हमले हुए हैं, जिसमें 46,000 से ज्यादा नागरिकों की मौत हुई है. घायलों की संख्या करीब 1 लाख से ज्यादा है तो वहीं लापता लोगों की संख्या 10 हजार से ज्यादा है. 21 लाख आबादी वाले गाजा में 90 फीसदी लोग बेघर हैं. यहां 60 फीसदी घर हमलों में तबाह हो चुके हैं. युद्ध की वजह से यहां की 85% आबादी पयालन कर चुकी है.
वहीं कैलिफोर्निया के लॉस एंजलिस में आग के हाहाकार में 10,000 से ज्यादा घर जलकर खाक हो चुके हैं. 1 लाख 60 हजार लोगों को सुरक्षित निकाला गया है. आग की वजह से अब तक 11 लोगों की मौत हो गई है. लॉस एंजलिस के कई इलाकों में कर्फ्यू लगा दिया गया है. कर्फ्यू आग वाले इलाकों में लगा है.
कैसे लगी कैलिफोर्निया के लॉस एंजलिस में आग?
कैलिफोर्निया के मौजूदा तापमान फिलहाल 12 डिग्री है. इस मौसम में यहां सूखी सर्दी पड़ रही है. इसकी वजह से यहां के पौधे सूख गए. बारिश भी कम हुई. लिहाजा सुखापन और रुखापन बढ़ गया. सूखे पेड़ों की रगड़ से चिंगारी भड़की और सैंटा एना की 160 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलने वाली हवाओं ने चिंगारी को भड़का दिया. इसके अलावा यहां अतिक्रमण को भी जिम्मेदार बताया जा रहा है. आग का सबसे ज्यादा प्रभाव पैलिसेड्स, केनेथ, हर्स्ट, लिडिया, सनसेट, ईटन, सेपुलवेडा, अल्टाडेना में देखा जा रहा है.