दिल्ली में विधानसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान के दौरान मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने चुनावी प्रक्रिया पर उठने वाले कई सवालों के जवाब भी दिए. वोटिंग के दिन ही परसेंटेज को लेकर उठे सवाल पर उन्होंने कहा कि दुनिया के कई जगहों पर एक-एक महीने में काउंटिंग पूरी नहीं हो पा रही है और यहां पर लोग वोटिंग के दिन शाम 6 बजे ही परसेंटेज पूछने लग जाते हैं.

वोटिंग परसेंटेज पर राजीव कुमार ने कहा, “आईटी के एक ग्लोबल एक्सपर्ट हैं जिन्होंने हमारे यहां चुनाव के दौरान कहा था कि ईवीएम को हैक किया जा सकता है. वहां पर तो ईवीएम होती ही नहीं है. वहां इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मैकेनिज्म जैसे कुछ चीज होती है. वो ईवीएम नहीं है. इलेक्ट्रॉनिक मशीन जो अलग-अलग समय पर वोटिंग को रिकॉर्ड करती है.”

6 बजे तक कैसे सटीक परसेंटेज संभवः CEC

उन्होंने कहा, “फिर यहां पर हल्ला हो गया कि वो कह रहे हैं कि ईवीएम हैक हो सकते हैं. लेकिन अब वो एक्सपर्ट क्या कह रहे हैं कि हमें तो एक से डेढ़ महीने लग गए काउंटिंग करने में जबकि भारत में एक महीने में ही काउंटिंग पूरी हो गई.”

मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा, “सुबह 9.30, 11.30, 1.30, 3.30 और 5.30 बजे सेक्टर मजिस्ट्रेट हर बूथ पर जाते हैं. वो उस समय तक का वोटिंग ट्रेंड एकत्र करते हैं. अगर साढ़े 10 लाख बूथ से अनकनेक्टिव सिस्टम से हर शाम 6 बजे तक कैसे पूरा परसेंटेज जारी कर सकते हैं. यहां पर चुनाव खत्म नहीं हुआ और शाम 6 बजे आपको सटीक परसेंटेज दे दिया जाए.”

उन्होंने कहा, “अगर ईवीएम को इंटरनेट से जोड़ देते हैं. जोड़ने के बाद हैंड टू हैंड सिस्टम लाइव हो जाएगा. फिर आप कहेंगे कि ईवीएम को हैक कर दिया गया.” उन्होंने कहा कि वोट प्रतिशत में देरी एक प्रक्रिया है. शाम 6 बजे तक अंतिम परसेंटेज जारी नहीं की जा सकती. पूरा वोटिंग प्रतिशत कैसे आ सकता है. शाम 5.30 बजे के बाद वोटिंग के लिए पहुंचे लोगों से वोट डलवाने के बाद वहां पर चुनाव अधिकारी मशीन सील करते हैं. बैटरी को सील करते हैं. वे 17 सी समेत कई तरह के फॉर्म बनाते हैं.

पूरी प्रक्रिया में समय लगता हैः CEC राजीव

मुख्य चुनाव आयुक्त कुमार ने कहा, “17 सी बनाने के बाद वे हाथ से लिखते हैं. फिर लिखने के बाद एजेंट के हाथ में वो कॉपी देते हैं. मशीन सील कराते हैं. अब आप सोचिए कि साढ़े 10 लाख बूथ, और हर बूथ पर 4 एजेंट मान लें तो 40 लाख फॉर्म वोटिंग खत्म होने के बाद उपलब्ध होते हैं. एजेंट को देने के बाद नंबर बदला जा सकता है क्या.

उन्होंने कहा कि कहीं तो एक-एक दो-दो महीने तक काउंटिंग नहीं हो पा रही और हमसे पूछा जाता है कि शाम 6 बजे के बदले वोटिंग परसेंटेज रात 11 बजे तक 8 फीसदी कैसे बढ़ा दिया.” उन्होंने कहा कि पोलिंग सेंटर से लेकर सारी मशीन को जमा केंद्र पर लाने और फिर उसे जमा कराने में समय लगता है.