जालंधर: 21 दिसंबर को जालंधर नगर निगम के चुनाव संपन्न हो चुके हैं और अब आम आदमी पार्टी निगम पार्षद हाऊस के सदन में बहुमत तक जुटा चुकी है। निगम चुनाव संपन्न हुए भी 15 दिन बीत चुके हैं परंतु अभी तक सत्तापक्ष यानी आम आदमी पार्टी ने न तो जालंधर निगम के पहले पार्षद हाऊस की बैठक ही बुलाई है और न ही अभी मेयर, सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर के नाम को सार्वजनिक ही किया है।

ऐसे में जहां सत्तापक्ष को लेकर कई तरह की चर्चाओं ने जन्म ले लिया है, वहीं शहर के राजनीतिक हालात भी बदलने शुरू हो गए हैं। इस प्रकार बदले हुए हालातों का सीधा फायदा मुख्य विपक्षी दल यानी कांग्रेस को हो रहा है जिसने अब यह प्रचार शुरू कर रखा है कि वह मेयर के चुनाव में ‘आप’ को क्रॉस वोटिंग के चक्कर में उलझाने जा रही है।

शहर के प्रमुख कांग्रेसी अब इन चर्चाओं को जन्म देने लगे हैं कि आम आदमी पार्टी के दिल्ली यूनिट, पंजाब यूनिट और लोकल यूनिट में तालमेल की कमी है जिस कारण उनसे अभी तक मेयर का नाम ही फाइनल नहीं हो रहा। आम आदमी पार्टी के स्थानीय नेता भी यह मानकर चल रहे हैं कि मेयर के चुनाव में जितनी देरी होती जा रही है, उससे विपक्ष द्वारा फैलाई जा रही अफवाहों को बल मिल रहा है और आम आदमी पार्टी का ग्राफ नीचे जा रहा है।

मेयर और अन्य दोनों पदों पर अपने कैंडिडेट खड़े करेगी कांग्रेस

पता चला है कि पार्षद हाउस की पहली बैठक में मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस सत्तापक्ष यानी आम आदमी पार्टी को नंबर गेम में उलझाने रही है। जिला जालंधर कांग्रेस नगर निगम के पहले हाउस की बैठक दौरान मेयर सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर की पोस्ट के लिए अपने कैंडिडेट भी खड़े करने जा रही है। पता चला है कि जिला प्रधान राजेंद्र बेरी के नेतृत्व में इस परिस्थिति को लेकर बैठकों तक का आयोजन हो चुका है।

कांग्रेसी यह मान कर चल रहे हैं कि अगर आम आदमी पार्टी द्वारा घोषित नाम पर उनकी अपनी पार्टी में बगावत होती है तो उसका सीधा फायदा विपक्ष द्वारा खड़े किए गए उम्मीदवार को हो सकता है। आम कहा जा रहा है कि चाहे कांग्रेस के पास हाउस में बहुमत नहीं है परंतु फिर भी अगर विपक्ष के कैंडिडेट खड़े होते हैं तो हाथ खड़े करके ही सही, मेयर और अन्य दोनों पदों के लिए चुनाव की नौबत तो आ ही जाएगी और सर्वसम्मति नहीं होगी। दूसरी बात यह भी है कि कांग्रेस अपने वकील के माध्यम से यह मांग भी करने जा रही है कि मेयर का चुनाव हाथ खड़े करके नहीं बल्कि बैलेट पेपर सिस्टम के माध्यम से हो ।

क्रॉस वोटिंग करवाने में मुख्य भूमिका निभा सकते हैं भापा और हरशरण कौर हैप्पी

वैसे तो शहर के कांग्रेसी पिछले कई सालों से ही नगर निगम की राजनीति में छाए हुए हैं और इस बार भी काफी अनुभवी पार्षद कांग्रेस की टिकट पर चुनाव जीते हैं। माना जा रहा है कि जिस प्रकार सत्तापक्ष यानी आम आदमी पार्टी को जालंधर निगम में अपना बहुमत जुटाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाना पड़ा है, उससे उपजी परिस्थितियों का कभी न कभी फायदा कांग्रेस भी उठा सकती है। पता चला है कि जिस प्रकार अभी भी दो-तीन पार्षदों को आम आदमी पार्टी में ज्वाइन करवाने संबंधी दबाव बनाया जा रहा है, उसकी हर सूचना कांग्रेसियों तक पहुंच रही है। ऐसे हालात भी बन रहे हैं कि दूसरी पार्टियों के जिन नेताओं को आम आदमी पार्टी में शामिल करवाया जा चुका है, उन्हें उकसाने के लिए भी कांग्रेसी अंदरखाते काम कर रहे हैं।

शहर के कांग्रेसियों की बात करें तो इस समय पार्षद हाउस में क्रॉस वोटिंग करवाने में मुख्य भूमिका निभा सकते हैं कांग्रेसी नेता सुरेंद्र सिंह भापा और पार्षद हरशरण कौर हैप्पी। गौरतलब है कि भापा के कांग्रेस के साथ साथ आम आदमी पार्टी में भी अच्छे लिंक हैं। बाकी पार्टियों के पार्षदों को आम आदमी पार्टी में लाने वाला मुख्य किंगमेकर भी सुरेंद्र भापा का अच्छा करीबी है। आप से जीते कई पार्षदों से भापा और हैपी की नजदीकियां किसी से छिपी हुई नहीं है।

ऐसे में अगर कल को राजनीतिक परिस्थितियां बदलती हैं तो कांग्रेस चाहे अपना मेयर ना बना पाए परंतु बलराज ठाकुर, पवन, बंटी नीलकंठ, हरशरण कौर हैपी, जसलीन सेठी, शैरी चड्ढा इत्यादि को उम्मीदवार बनाकर आम आदमी पार्टी के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकती है। ऐसे में आम कहा जा रहा है कि आप को जल्द से जल्द हाउस की बैठक कॉल करके अपना मेयर बना लेना चाहिए।

नए मेयर का पहला काम होगा दिल्ली चुनाव में जाना और आकर निगम का बजट तैयार करवाना

माना जा रहा है कि आम आदमी पार्टी लोहड़ी माघी के आसपास जालंधर के मेयर का चुनाव करवाने जा रही है। हाऊस की पहली बैठक में तो खैर मेयर, सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर का चुनाव ही होगा, वहीं यह भी चर्चा है कि मेयर पद संभालते ही संबंधित नेता को दिल्ली विधानसभा चुनावों हेतु कूच करना होगा, जहां आम आदमी पार्टी की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है । दिल्ली से आकर नए मेयर को जालंधर निगम के बजट की ओर ध्यान केंद्रित करना होगा जिसे फरवरी मार्च में पास भी करवाना होगा ।

गौरतलब है कि पिछले कई सालों से निगम का बजट बनाने से लेकर इसे पास करने का सारा काम अफसरों के हाथ में आ चुका है। भारत में कोरोना नामक महामारी ने जनवरी 2020 में दस्तक दी थी जिसके कारण 2020 और 2021 में कोरोना कारण जालंधर निगम की बजट बैठक नहीं हो सकी। जनवरी 2022 में जालंधर निगम का पार्षद हाउस भंग हो गया। मार्च 2024 तक जालंधर निगम के चुनाव ही नहीं हुए। अब मार्च 2025 में निगम का बजट जनप्रतिनिधियों के हाथों पास होगा।