पिछले कुछ तिमाही के आंकड़ों पर नजर डाला जाए तो गोल्ड लोन लेने वालों की संख्या में काफी तेजी देखी गई थी. अब जो रिपोर्ट सामने आया है, उससे यह पता चल रहा है कि लोन लेने के बाद लोग उसे चुका नहीं पा रहे हैं. एक लाइन में कहा जाए तो गोल्ड लोन लेने वालों की संख्या में तेजी के साथ न चुकाने वालों की संख्या भी बढ़ रही है. इस कारण गोल्ड लोन कंपनियां गिरवी रखे सोने की नीलामी कर रही हैं. मौजूदा वित्तीय वर्ष की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में गिरवी रखे सोने की नीलामी से जुटाई गई रकम पहली तिमाही (अप्रैल-जून) के मुकाबले तीन गुना तक बढ़ गई है.

कस्टम ड्यूटी ने बढ़ाई टेंशन

इस साल जुलाई में बजट में सोने पर कस्टम ड्यूटी घटाकर 6% कर दी गई थी. इससे सोने की कीमत में गिरावट आई और गिरवी रखे सोने की वैल्यू लोन और ब्याज से कम हो गई. इससे गोल्ड लोन कंपनियों को मुश्किलों का सामना करना पड़ा. हालांकि जुलाई के बाद सोने की कीमत में बढ़ोतरी दर्ज हुई है. अब कंपनियां नहीं चाहतीं कि लोन की रकम गिरवी रखे सोने की कीमत से ज्यादा हो जाए.

रिजर्व बैंक की सख्ती के चलते कंपनियां उन ग्राहकों के गिरवी रखे सोने को बेच रही हैं, जो समय पर लोन नहीं चुका पा रहे हैं. मुथूट फाइनेंस और मणप्पुरम फाइनेंस जैसी कंपनियों ने बड़ी मात्रा में सोने की नीलामी की है. मुथूट फाइनेंस ने सिर्फ जुलाई-सितंबर के बीच 250 करोड़ रुपए के सोने की नीलामी की है. वहीं अप्रैल-जून में ये आंकड़ा 69 करोड़ रुपए नजर आता है. सेम ऐसा ही हाल मणप्पुरम फाइनेंस का भी है. इस कंपनी ने भी जुलाई-सितंबर के बीच में 360 करोड़ रुपए का सोना नीलाम किया है.

कब होती है नीलामी?

जब कोई व्यक्ति गोल्ड लोन लेता है, तो उसे कर्ज चुकाने के लिए एक समय सीमा दी जाती है. समय पर भुगतान न करने और कंपनी से संपर्क नहीं रखने की स्थिति में कंपनियां गिरवी रखे सोने की नीलामी करती हैं. हालांकि, नीलामी से पहले ग्राहक को नोटिस दिया जाता है.

दूसरी तिमाही में नीलामी से रकम में तीन गुना बढ़ोतरी यह दर्शाती है कि कंपनियां अब समय पर भुगतान न करने वाले ग्राहकों के प्रति सख्त हो रही हैं. रिजर्व बैंक की गाइडलाइंस के अनुसार, कंपनियां सोने की नीलामी प्रक्रिया को पारदर्शी और नियमानुसार बना रही हैं.