प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को नीति आयोग में प्रमुख अर्थशास्त्रियों और क्षेत्रीय विशेषज्ञों से मुलाकात की. यह बैठक आगामी 2025-26 के केंद्रीय बजट को लेकर आयोजित की गई थी. इसमें कई मुद्दों पर चर्चा की गई. बैठक में रोजगार, फार्मिंग प्रोडक्शन में सुधार और बुनियादी ढांचे के विकास जैसे मुद्दों पर चर्चा की गई.

2047 तक विकसित राष्ट्र बन सके. उन्होंने यह भी कहा कि इस उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए कई क्षेत्रों में सुधार की आवश्यकता है. बैठक में प्रमुख रूप से युवाओं के लिए रोजगार के अवसर बढ़ाने और कई क्षेत्रों में टिकाऊ जॉब क्रिएट के लिए रणनीतियों पर विचार किया गया.

फार्मिंग प्रोडक्टिविटी को लेकर हुई चर्चा

इस दौरान विशेषज्ञों ने फार्मिंग प्रोडक्टिविटी को बढ़ाने के लिए, ग्रामीण क्षेत्रों में स्थायी रोजगार के अवसरों का क्रिएट करने और निजी निवेश को आकर्षित करने के उपायों पर भी चर्चा की गई. इसके अलावा, बुनियादी ढांचे के विकास के लिए पब्लिक फंडिंग जुटाने और फाइनेंशियल इंक्लूजन को बढ़ाने के लिए सुझाव दिए गए. इन सुझावों से भारतीय अर्थव्यवस्था के बढ़ने की उम्मीद जताई जा रही है.

इस बैठक में कई अर्थशास्त्रियों और विश्लेषकों जैसे सुरजीत एस भल्ला, अशोक गुलाटी, सुदीप्तो मुंडल, धर्मकीर्ति जोशी, जनमेजय सिन्हा, मदन सबनवीस और अन्य ने अपनी राय दी. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी, 2025 को संसद में आगामी बजट पेश करेंगी.

क्यों बदल दी गई बजट पेश करने की तारीख?

भारत सरकार ने बजट प्रक्रिया में कई ऐतिहासिक बदलाव किए. वहीं साल 2017 से बजट पेश करने की तारीख 28 फरवरी से बदलकर 1 फरवरी कर दी गई. तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बताया कि फरवरी के अंत में बजट पेश करने से नई नीतियों के काम को निपटाने के लिए समय कम मिलता था. साथ ही, रेलवे बजट को आम बजट में विलय कर अंग्रेजों के जमाने से चली आ रही अलग रेल बजट की परंपरा समाप्त की गई. बजट पेश करने का समय भी शाम 5 बजे से बदलकर सुबह 11 बजे कर दिया गया ताकि सदन में चर्चा के लिए ज्यादा मिले