कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी सोमवार को संसद में फिलिस्तीन लिखा बैग लेकर पहुंची तो हंगामा मच गया. बैग पर लिखा था कि फिलिस्तीन आजाद होगा. सोशल मीडिया पर इसकी तस्वीरें वायरल होते ही भाजपा नेताओं ने प्रियंका गांधी पर तुष्टिकरण की राजनीति का आरोप लगाया, जिसके जवाब में प्रियंका गांधी ने कहा कि वह क्या पहनेंगी यह वह खुद तय करेंगीं.

प्रियंका गांधी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर पोस्ट में भी लिखा कि दुनिया की हर सरकार की ये नैतिक जिम्मेदारी है कि वह इजराइल सरकार के नरसंहार की निंदा करे. खास बात ये है कि फिलिस्तीन के समर्थन वाले इस हैंडबैग पर फिलिस्तीन का झंडा नहीं है, फिर भी इस पर कई सिंबल ऐसे हैं जो इजराइल का विरोध माने जा रहे हैं. इनमें कैफियेह, फिलिस्तीन कढ़ाई, शांति का प्रतीक कबूतर, ऑलिव ब्रांच, तरबूज और फिलिस्तीन झंडे के रंग हैं. हंगामे की वजह भी यही है. आइए समझते हैं कैसे ये सिंबल फिलिस्तीन की एकजुटता का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं.

प्रियंका गांधी के बैग पर बने सिंंबल और उनका अर्थ

कैफियेह:बैग के दाहिनी तरफ ब्लैक एंड व्हाइट में चौकोर आकार का जो पैटर्न नजर आ रहा है, इसे कैफियेह कहते हैं. फिलिस्तीन में इस तरह की टॉपियां और स्कार्फ पहने जाते हैं. फिलिस्तीन के लोग इसे आत्मनिर्णय, न्याय और स्वतंत्रता के लिए फिलिस्तीन के संघर्ष का प्रतीक मानते हैं. यह फिलिस्तीनी नेता यासर अराफात का ट्रेडमार्क भी था. जो इसे अपने कंधों पर लपेटकर अपने सिर को ढकते थे. आज यह फिलिस्तीन मुद्दे के समर्थन करने वाले कार्यकर्ता और संगठन अपनाते हैं.

सफेद कबूतर : बैग में सफेद कबूतर का चित्र है, जिसे शांति और स्वतंत्रता का प्रतीक माना जाता है. यह कबूतर अपनी चोंच में जैतून की टहनी भी दबाए है. प्राचीन पुस्तकों में इसका उल्लेख मिलता है. खास तौर से बाइबल में कहा गया है कि जब नूह में बाढ़ आई थी तो जमीन की तलाश में एक कबूतर को भेजा गया था जो अपनी चोंच में जैतून की टहनी दबाकर लगाया था कि बाढ़ खत्म हो चुकी है.

ऑलिव ब्रांच: प्रियंका गांधी के बैग पर बाईं तरफ एक पौधा नजर आ रहा है जो असल में ऑलिव ब्रांच यानी जैतून की शाखा है. फिलिस्तीन में जैतून के पेड़ को ऐतिहासिक माना जाता है, इसकी शाखाएं शांति और समृद्धि से जुड़ी मानी जाती हैं. ये पेड़ सूखा, माइनस टेंप्रेचर और आग को भी झेल सकता है. जैतून का तेल और साबुल फिलिस्तीन की अर्थव्यवस्था में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. वहां के कई परिवार अपनी आय के लिए इसी पर निर्भर हैं. संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के मुताबिक भी 2023 के पहले पांच माह में ही फिलिस्तीन में 5000 से अधिक जैतून के पेड़ क्षतिग्रस्त हो गए थे. 1974 में फिलिस्तीन मुक्ति संगठन के नेता यासर अराफात ने संयुक्त राश्ट्र महासभा में कहा था कि आज मैं एक जैतून की शाखा और दूसरे हाथ में बंदूक लेकर आया हूं.

फिलिस्तीनी कढ़ाई: बैग में ऊपर की तरफ जहां फिलिस्तीन लिखा है उसके बैकग्राउंड में फिलिस्तीनी कढ़ाई है. यह सुई और धागे की कला है जो फिलिस्तीनी महिलाएं पीढ़ियों से करती आ रही हैं. हर पैटर्न के पीछे अलग कहानी होती है. फिलिस्तीनी कढ़ाई से सजे परिधानों को थोबे कहा जाता है. यह ऊन और रेशन से बनी होती हैं. अलजजीरा की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2021 में यूनेस्को ने पारंपरिक फिलिस्तीनी कढ़ाई को सांस्कृतिक विरासत सूची में शामिल किया था.

तरबूज : बैग पर तरबूज का चित्र भी है जो फिलिस्तीन का प्रतिनिधित्व करने वाला सबसे प्रतिष्ठित फल माना जाता है. इसमें लाल हरा सफेद और काला रंग है जो फिलिस्तीन के झंडे के रंगों को दर्शाता है. इजराइल के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों में फिलिस्तीन के लोग तरबूज के चित्र का प्रदर्शन करते रहे हैं. 1967 में जब इजराइल ने गाजा पट्टी पर कब्जा कर लिया था और फिलिस्तीन झंडे पर प्रतिबंध लगा दिया था तो तरबूज के चित्रों को विरोध स्वरूप दिखाया जाता था. वर्तमान में भी लोग सोशल मीडिया पोस्ट में तरबूज के इमोजी का प्रयोग करते हैं.