लुधियाना: महानगर में पार्किंग नियमों के उल्लंघन के दायरे में आने वाले होटलों पर आने वाले दिनों में सख्ती बढ़ेगी। इस संबंधी कोर्ट में चल रहे केस में शिकायतकर्त्ता द्वारा यह मुद्दा उठाया है कि ज्यादातर होटलों का निर्माण नगर निगम से नक्शा पास करवाए बिना किया गया है और उनमें पार्किंग के लिए कोई जगह नहीं छोड़ी गई है। इसके अलावा जिन होटलों द्वारा नगर निगम की मंजूरी के साथ निर्माण किया गया है, उनमें पार्किंग के लिए छोड़ी गई जगह का इस्तेमाल किसी अन्य कमर्शियल गतिविधियों के लिए किया जा रहा है जिसके चलते इन होटलों में आने वाले लोगों के वाहन सड़क की जगह में खड़े होने की वजह से ट्रैफिक जाम की समस्या आ रही है। इसे लेकर कोर्ट द्वारा नगर निगम व सरकार से 15 जनवरी तक रिपोर्ट मांगी गई है जिसमें लंबे समय से पैंडिंग चल रही समस्या का समाधान करने के लिए प्रपोजल पेश करने के लिए बोला गया है।
यह की गई है टिप्पणी
इस मामले में कोर्ट द्वारा नगर निगम के खिलाफ सख्त टिप्पणी की गई है। कोर्ट के मुताबिक नगर निगम को म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन ऐक्ट 1976 के प्रावधानों के अनुसार कार्रवाई करनी चाहिए जिसमें इस तरह के मामले को लेकर स्पष्ट गाइडलाइन है। अगर नगर निगम अपनी ड्यूटी निभाने में नाकाम साबित हो तो सरकार को उसके खिलाफ एक्शन लेने के लिए अपने अधिकारों का इस्तेमाल करना चाहिए।
6 साल से सीलिंग के नाम पर हो रही है ड्रामेबाजी
यह मामला 2018 से चल रहा है और उस समय से लेकर अब तक हर बार कोर्ट केस की सुनवाई के दौरान रिपोर्ट देने के लिए अवैध निर्माण की केटेगरी में आने वाले होटलों पर सीलिंग की कार्रवाई की जाती है लेकिन यह ड्राइव खानापूर्ति से ज्यादा कुछ नहीं साबित हुई, क्योंकि होटलों पर लगाई गई सीलिंग कुछ देर बाद खुल जाती है जिसका सबूत भारत नगर चौक में स्थित होटल सूर्या के रूप में सामने आया है।
गलत तरीके से रैगुलर करने की भी हो रही है चर्चा, नहीं जमा हुई पूरी फीस
नगर निगम की बिल्डिंग ब्रांच के अधिकारियों द्वारा कई होटलों को गलत तरीके से रैगुलर करने की चर्चा हो रही है जिसके लिए दलालों के जरिए मोटी रिश्वत लेकर होटलों को 1997 से पुराने बता कर पार्किंग नियमों के उल्लंघन से छूट दी गई है। इनमें से ज्यादातर होटल पुराने शहर के एरिया में स्थित है लेकिन उनकी पूरी फीस अब तक नगर निगम के खजाने में जमा नहीं हुई है।
जवाहर नगर कैम्प व घंटाघर के पास स्थित होटलों को नहीं मिल सकती फायर ब्रिगेड की एन.ओ.सी.
अवैध रूप से चल रहे होटलों के सबसे ज्यादा मामले जवाहर नगर कैम्प व घंटाघर के आसपास शहर के अंदरूनी हिस्से में देखने को मिल सकते हैं जिनके निर्माण के लिए न तो नक्शा पास हो सकता है और न ही रैगुलर करने का प्रावधान है। यह होटल काफी कम जगह और तंग गलियों में स्थित होने की वजह से उन्हें फायर ब्रिगेड की एन.ओ.सी. भी नहीं मिल सकती जिसके बावजूद फायर ब्रिगेड की कार्रवाई सिर्फ नोटिस जारी करने तक ही सीमित है। यहां तक कि घंटाघर चौक के नजदीक स्थित एक होटल की एन.ओ.सी. रद्द करने के काफी देर बाद भी फायर ब्रिगेड विंग के ऑफिसर उसे सील करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं।
लिस्ट में शामिल होंगे नए मामले
नगर निगम द्वारा अब तक उन होटलों को ही पार्किंग नियमों के उल्लंघन या अवैध निर्माण के आरोप में कार्रवाई के दायरे में लिया गया है जिनके नाम कोर्ट में चल रहे केस की लिस्ट में शामिल हैं लेकिन अब कोर्ट द्वारा इस हालात से निपटने के लिए पक्के तौर पर हल निकालने के लिए बोला गया है तो नगर निगम को नए सिरे से सर्वे करना होगा जिसके बाद लिस्ट में नए मामले भी शामिल होंगे। क्योंकि जब से केस चल रहा है, उससे लेकर अब तक कई नए होटलों का अवैध निर्माण हो गया है जिनमें पार्किंग नियमों के उल्लंघन के साथ ओवर कवरेज की गई है, इसी तरह कई होटल रिहायशी इलाके में चल रहे हैं।