महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस के मंत्रिमंडल का पहला विस्तार रविवार को हुआ. इस कैबिनेट में युवा और वरिष्ठता का संतुलन बनाया गया है. साथ ही सभी जाति और धर्म के लोगों को मौका दिया गया है. इस कैबिनेट में भाई-बहन कैबिनेट मंत्री बने हैं. ये भाई-बहन एक समय में एक-दूसरे के कट्टर राजनीतिक विरोधी थे. उन्होंने राजनीति में एक-दूसरे को मात देने का कोई मौका नहीं छोड़ा, लेकिन अब वे दोनों नेता महागठबंधन के दो दलों से कैबिनेट मंत्री बन गए. इन दो नेताओं में एक का नाम पंकजा मुंडे हैं जबकि दूसरे का नाम धनंजय मुंडे है.

2014 और 2019 के विधानसभा चुनाव के दौरान परली में मुकाबला काफी चर्चा में रहा था. उस वक्त ये मुकाबला बहन-भाई धनंजय मुंडे और पंकजा मुंडे के बीच हुआ था. 2014 में बीजेपी की पंकजा मुंडे ने जीत हासिल की थी, लेकिन अगले पांच साल में धनंजय मुंडे ने इस हार का बदला लिया और 2019 का चुनाव जीत लिया.

कई बार गिले सिकवे भुलाने की पूरी कोशिश हुई

पंकजा मुंडे और धनंजय मुंडे ने कई बार अपने गिले-सिकवे भुलाने की पूरी कोशिश की. अंततः दोनों परली वैद्यनाथ शुगर फैक्ट्री के चुनाव में एक साथ आए. इन दोनों नेताओं ने किसानों के हित के लिए संचालक मंडल के चुनाव में दोस्ती का परिचय दिया. इसके बाद अजित पवार ने एनसीपी में बगावत कर दी. वे महायुति में आ गए. उनके साथ धनंजय मुंडे भी महायुति में शामिल हो गए. इससे बीजेपी की पंकजा मुंडे और एनसीपी के धनंजय मुंडे के बीच भाई-बहन के रिश्ते और भी बेहतर होने लगे.

धनंजय मुंडे एकनाथ शिंदे सरकार में भी मंत्री थे और कृषि विभाग का जिम्मा संभाल रहे थे. लोकसभा चुनाव में धनंजय मुंडे ने बीड लोकसभा सीट पर पंकजा को जीत दिलाने की पूरी कोशिश की, लेकिन वो हार गईं. इसके बाद पार्टी ने उन्हें विधान परिषद से विधायक बनाया. इसके बाद विधानसभा चुनाव हुए तो उसमें धनंजय मुंडे जीत कर विधानसभा पहुंचे और अब पार्टी ने उन्हें मंत्री बना दिया है.

सरकार गठन के 10 दिन बाद कैबिनेट विस्तार

महाराष्ट्र में नई सरकार का गठन 5 दिसंबर को ही हो गया था. बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस को राज्य की कमान मिली है. वहीं, पिछली सरकार में सीएम रहे एकनाथ शिंदे इस बार डिप्टी सीएम की भूमिका में हैं. वहीं, अजित पवार पहले की ही तरह डिप्टी सीएम हैं. फडणवीस सरकार के कैबिनेट विस्तार में 39 नेताओं को मंत्री बनाया गया है. इसमें बीजेपी के 19, शिवसेना के 11 और एनसीपी के 9 मंत्री शामिल हैं.

कैबिनेट में संतुलन की पूरी कोशिश

पिछले महीने संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में महायुति की बंपर जीत मिली. 132 सीटों पर जीत के साथ बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनी. वहीं, सहयोगी शिंदे गुट की शिवसेना को 57 और अजित पवार गुट की एनसीपी को 41 सीटें मिलीं. कैबिनेट विस्तार में संतुलन बनाने की पूरी कोशिश की गई है. बीजेपी ने सबसे ज्यादा सीटों पर जीत हासिल की है, इसलिए उसके कोटे के मंत्री ज्यादा हैं. एक तरह से कह सकते हैं कि जिसको जितनी सीटें आई हैं उसी के हिसाब से कैबिनेट का विस्तार भी किया गया है.