लोकसभा में संविधान पर चर्चा के दौरान AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने मुसलमानों के हालात पर गंभीर सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि देश में मुसलमानों के साथ अन्याय हो रहा है और उन्हें कमजोर करने की कोशिश की जा रही है. ओवैसी ने सच्चर कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर डिलिमिटेशन करने की मांग उठाई और वक्फ पर लगाए जा रहे आरोपों को बेबुनियाद बताया.

ओवैसी ने कहा कि मुस्लिमों को चुनाव जीतने से रोका जा रहा है, हिजाब पहनने पर पाबंदियां लगाई जा रही हैं और बीफ के नाम पर मॉब लिंचिंग हो रही है. इसके साथ ही उन्होंने अनुच्छेद 25 का पालन न होने और धार्मिक स्वतंत्रता पर प्रतिबंध लगाने का भी मुद्दा उठाया. बाबा साहेब अंबेडकर को याद करते हुए ओवैसी ने कहा कि संविधान के प्रति प्रतिबद्धता को बनाए रखना जरूरी है.

पीएम के बयान पर उठाए सवाल

उन्होंने प्रधानमंत्री के उस बयान पर भी सवाल उठाया जिसमें कहा गया कि वक्फ का संविधान से कोई संबंध नहीं है. ओवैसी ने अनुच्छेद 26 का हवाला देते हुए कहा कि यह धार्मिक समुदायों को अपनी संस्थाओं को स्थापित करने और चलाने का अधिकार देता है. ओवैसी ने आरोप लगाया कि वक्फ संपत्तियों को ताकत के आधार पर छीनने की कोशिश की जा रही है.

संसद में भाषण के दौरान उन्होंने पूछा, ‘प्रधानमंत्री को कौन पढ़ा रहा है? उन्हें अनुच्छेद 26 पढ़ने की जरूरत है’ ओवैसी ने कहा कि वक्फ संपत्तियों को जबरदस्ती छीनने का यह प्रयास संविधान के मूल अधिकारों का हनन है. इसके साथ ही उन्होंने सरकार की नीयत पर सवाल खड़े करते हुए धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा की मांग की.

डिलिमिटेशन पर भी उठाए सवाल

असदुद्दीन ओवैसी ने लोकसभा और विधानसभा क्षेत्रों के डिलिमिटेशन (सीमांकन) पर सवाल उठाए. उन्होंने आरोप लगाया कि संविधान लागू होने के बाद देश में डिलिमिटेशन इस तरह किया गया जिससे अल्पसंख्यकों को सबसे कम अवसर मिले.

ओवैसी ने सच्चर कमेटी की रिपोर्ट का उल्लेख करते हुए कहा कि इस रिपोर्ट में अल्पसंख्यकों की स्थिति को लेकर कई अहम मुद्दे उठाए गए थे. उन्होंने सरकार से मांग की कि डिलिमिटेशन की प्रक्रिया को निष्पक्ष और संतुलित बनाया जाए ताकि सभी वर्गों को समान अधिकार और प्रतिनिधित्व मिल सके.