पश्चिम बंगाल में कैश फॉर स्कूल जॉब घोटाले से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी को बड़ी राहत दे दी है. कोर्ट ने पार्थ चटर्जी के खिलाफ सुनवाई तेज करने का निर्देश दिया है. साथ ही कोर्ट ने उन्हें 1 फरवरी, 2025 को या उससे पहले जमानत पर रिहा करने का निर्देश दिया है. साथ ही कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि 31 दिसंबर तक पार्थ चटर्जी के खिलाफ निचली अदालत आरोप तय करने पर फैसला ले.

जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि हमने जमानत न्यायशास्त्र के सामान्य सिद्धांतों को लेकर चर्चा की है. धारा 50 पीएमएलए के तहत बयान के साक्ष्य के प्रश्न को संबोधित नहीं किया गया है. हमने माना है कि विचाराधीन कैदी को जेल में हिरासत में नहीं लिया जा सकता है.

कोर्ट ने क्या-क्या कहा?

कोर्ट ने कहा, हम ट्रायल कोर्ट को शीतकालीन छुट्टियां शुरू होने या 30 दिसंबर, जो भी पहले हो, उससे पहले आरोप तय करने, सभी कमजोर गवाहों के बयान की जांच करने, अपीलकर्ता और वकील को पूर्ण सहयोग देने का निर्देश देते हैं.

साथ ही कोर्ट ने कहा, अपीलकर्ता आरोप तय करने को चुनौती दे सकता है. हालांकि, गवाहों से पूछताछ करनी होगी. याचिकाकर्ता को 1 फरवरी, 2025 को रिहा कर दिया जाएगा. अगर आरोप तय किया जाता है और गवाहों की जांच पहले की जाती है, तो चटर्जी को तुरंत रिहा कर दिया जाएगा, उन्हें विधान सभा का सदस्य होने के अलावा किसी भी सार्वजनिक पद पर नियुक्त नहीं किया जाएगा. इस केस में कोर्ट ने 4 दिसंबर को सुनवाई की थी और अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. इससे पहले 30 अप्रैल को कोलकाता हाईकोर्ट में पार्थ चटर्जी की जमानत याचिका खारिज कर दी गई थी.

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने क्या कहा था?

इससे पहले 4 दिसंबर को हुई सुनवाई में कोर्ट ने जमानत पर फैसला सुरक्षित रखा था. कोर्ट ने सुनवाई के दौरान चटर्जी के वकील रोहतगी से कहा था कि पहली नजर में आपके मुवक्किल एक भ्रष्ट आदमी हैं. आप समाज को क्या संदेश देना चाहते हैं, भ्रष्ट आदमी आसानी से जमानत हासिल कर सकते हैं, जबकि आपके परिसर से करोड़ों रुपए बरामद हुए थे? कोर्ट ने आगे कहा था कि हमें आज यह देखना है कि क्या जमानत दिए जाने से जांच पर प्रभाव पड़ने की संभावना तो नहीं है.

TMC ने पद से किया मुक्त

चटर्जी को कैश फॉर स्कूल जॉब घोटाले में गिरफ्तार किया गया था. उनकी गिरफ्तारी के बाद, चटर्जी को ममता बनर्जी सरकार ने उनके मंत्री पद से मुक्त कर दिया था, जबकि टीएमसी ने उन्हें महासचिव सहित पार्टी के सभी पदों से हटा दिया था.