किसान आंदोलन 2.0 के 13 दिसंबर को आंदोलन के 10 महीने पूरे हो जाएंगे. इस दिन को विशेष बनाने के लिए कई किसान कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे. इसके अगले दिन, 14 दिसंबर को, 101 किसानों का जत्था दिल्ली कूच के लिए रवाना होगा. किसानों ने आंदोलन के दूसरे चरण को लेकर एकजुटता और अपनी मांगों के प्रति प्रतिबद्धता व्यक्त की है. दिल्ली कूच से वो सरकार पर दबाव बनाने और अपनी समस्याओं को उजागर करने का प्रयास करेंगे. किसान संगठन आंदोलन को मजबूत बनाने के लिए व्यापक रणनीति तैयार कर रहे हैं.

किसान नेता सरवन सिंह पंढेर ने मंगलवार को मीडिया से बात करते हुए कहा कि अब किसान 14 दिसंबर को दिल्ली की ओर मार्च करेंगे. साथ ही उन्होंने बताया कि उनके प्रदर्शन को 303 दिन पूरे हो चुके हैं. वहीं किसानों का आमरण अनशन भी 15वें दिन पर पहुंच गया है. उन्होंने ये भी कहा कि वो बातचीत का स्वागत करने के लिए तैयार हैं. हालांकि फिलहाल सरकार की ओर से अभी तक उनसे कोई भी संपर्क नहीं किया गया है.

खनौरी बॉर्डर पर अनशन पर बैठे किसान

खनौरी बॉर्डर पर सभी किसान अनशन पर बैठे हैं. किसानों ने ऐलान कर रखा है कि मंगलवार को दिन भर वो चूल्हा नहीं जलाएंगे. यहां किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल अनशन पर बैठे हैं. उनके अनशन के 14 दिन पूरे हो चुके हैं. ऐसे में अब उनके तबियत बिगड़ती जा रही है. इतना ही नहीं डल्लेवाल कैंसर से और डायबिटीज से भी पीड़ित हैं. इसके बावजूद भी वो अनशन पर बैठे हुए हैं. इसके कारण वो दवाई भी नहीं ले रहे हैं. जिससे उनके स्वास्थ्य में लगातार गिरावट देखी जा रही है. इसी वजह से मंगलवार को खनौरी बॉर्डर पर डल्लेवाल के समर्थन में सभी किसान अनशन पर बैठे हैं.

क्यों नहीं निकल पा रहा समाधान?

किसान आंदोलन का समाधान अब तक नहीं निकल सका है, क्योंकि कई पेच हैं. एक प्रमुख मसला है विश्व व्यापार संगठन (WTO) की शर्तें, जो एमएसपी की लीगल गारंटी नहीं देतीं. इसके अलावा, कृषि राज्य का मसला होने के कारण केंद्र और राज्य के बीच असहमति है. किसानों की मांग है कि सभी फसलों पर एमएसपी लागू हो, लेकिन लागत निर्धारण और किस फसल पर एमएसपी मिले, इस पर भी विवाद जारी है.