उत्तर प्रदेश की 10 राज्यसभा सीटों पर हुए चुनाव को 10 महीने बीत गए हैं. इन 10 महीनों में गंगा में काफी पानी बह चुका है, लेकिन एक ही सवाल अभी भी तैर रहा है कि समाजवादी पार्टी (सपा) अपने बागियों पर कार्रवाई करेगी भी या नहीं. यह सवाल इसलिए भी अहम है क्योंकि 16 दिसंबर से विधानसभा का शीतकालीन सत्र शुरू होने वाला है और सपा के अंदर बागी विधायकों पर कार्रवाई का दबाव बन रहा है और अखिलेश यादव चुप्पी साधे हुए हैं.

सपा के ये विधायक हुए हैं बागी

यूपी में राज्यसभा की 10वीं सीट के लिए सपा और बीजेपी में कड़ी टक्कर हुई थी. आंकड़े सपा के पक्ष में थे, लेकिन बीजेपी ने ऐसा दांव खेला कि अखिलेश के तीसरे प्रत्याशी आलोक रंजन चुनाव हार गए. इस चुनाव में सपा के 7 विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की थी, जिसमें ऊंचाहार से विधायक मनोज पांडेय, गोसाईगंज से विधायक अभय सिंह, गौरीगंज से विधायक राकेश प्रताप सिंह, कालपी से विधायक विनोद चतुर्वेदी, चायल से विधायक पूजा पाल, जलालाबाद से विधायक राकेश पांडेय और बिसौली से विधायक आशुतोष मौर्य शामिल थे. साथ ही अमेठी से विधायक महाराजी देवी गैरहाजिर हो गई थीं. नतीजा यह रहा कि सपा के आलोक रंजन को भाजपा के संजय सेठ ने चुनाव हरा दिया.

लोकसभा चुनाव के दौरान सपा के खिलाफ प्रचार भी किया

राज्यसभा चुनाव के बाद से ही सपा के प्रत्याशी के खिलाफ वोटिंग करने वाले सभी 7 बागी विधायकों ने बीजेपी के पक्ष में चुनाव प्रचार भी करना शुरू दिया. लोकसभा चुनाव के दौरान ऊंचाहार से विधायक मनोज पांडेय के घर पर खुद गृह मंत्री अमित शाह गए थे. इसके बाद मनोज पांडेय ने बीजेपी प्रत्याशी के लिए प्रचार भी किया था.