महाराष्ट्र में जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव का मतदान करीब आ रहा है, वोटों का ध्रुवीकरण तेज गति से शुरू हो चुका है. कहीं मुस्लिम वोटों को पोलराइज करवाने के लिए फतवा निकाला जा रहा है तो कहीं कैंपेन चलाकर घर-घर पर्ची बांटी जा रही हैं. ताकि वोटों का पोलराइजेशन शार्प हो सके. मुस्लिम संगठनों और मौलवियों द्वारा वोटों के ध्रुवीकरण की कोशिश और उस पर महायुति दलों द्वारा वोट जिहाद का आरोप लगाना तो सबने देखा है. अब हम बात करते हैं हिंदू मतों को एकजुट करने की कोशिश करने में जुटे संघ परिवार की.

वैसे तो संघ परिवार शुरुआत से ही समूचे महाराष्ट्र में अपने अनुषांगिक संगठनों द्वारा छोटी-छोटी बैठकें लगातार करता आ रहा है. अब उस गति को धार देते हुए उसने विभिन्न अनुषांगिक संगठनों को घर-घर पहुंचने और हिंदू मतदाताओं को आगाह करना शुरू कर दिया है. इस क्रम में आरएसएस ने एक नया कैंपेन ‘सजग रहो’ चलाना शुरू किया है. इसमें संघ ने अपने 33 अनुषांगिक और विचार परिवार के करीब 100 संगठनों को जमीन पर उतार दिया है.

आरएसएस को मिली येजानकारी

जिन संगठनों संघ ने ‘सजग रहो’ कैंपेन में उतारा है, उनकी अगुवाई चाणक्य प्रतिष्ठान, मतंग साहित्य परिषद, रणरागिनी और सेवाभावी संस्था कर रही है. ये सभी संस्थाएं संघ के महाराष्ट्र के चारों क्षेत्रीय डिवीजन (कोंकण, देवगिरी, पश्चिम महाराष्ट्र और विदर्भ) में सक्रिय हैं. महाराष्ट्र में आरएसएस को इस बात की जानकारी मिली है कि मराठी मुस्लिम सेवा संघ के नेतृत्व में मुस्लिम वोटरों को कंसोलिडेट करने के लिए 180 से ज्यादा गैर सरकारी संगठन दिन-रात काम कर रहे हैं.

दोगुनी ताकत से जुटा आरएसएस

संघ को इसकी भी जानकारी मिली है कि मराठी मुस्लिम सेवा संघ से जुड़े मुस्लिम संगठन सालों से मुस्लिम मतदाताओं के वोटर लिस्ट में नाम जुड़वाने से लेकर वोट डलवाने तक का काम कर रहा है. इन संगठनों की सक्रियता के वजह से मुस्लिम वोटरों का मतदान प्रतिशत 2024 में 15% तक बढ़ा है. लिहाजा पहले से ही काम कर रहे संघ ने अपनी दोगुनी ताकत से हिंदू वोटर को एकजुट करने में दिन-रात एक कर दिया है.

इसी कड़ी में बीजेपी के तमाम दिग्गज नेता अपने बयानों के जरिए हिंदू समुदाय को आगाह करने और वोटों के ध्रुवीकरण में जुट गए हैं. आरएसएस का कैंपेन ‘सजग रहो’ उसी कड़ी का हिस्सा है. इसमें प्रधानमंत्री मोदी का नारा ‘एक है तो सेफ हैं’ और योगी का बयान ‘एक हैं तो नेक हैं’ दिया गया है.

कार्यकर्ता समझा रहे विभाजन का नुकसान

इस तरह के नारों के साथ-साथ संघ, बीजेपी और महायुति के नेता और कार्यकर्ता जमीन पर जाकर लोकसभा चुनाव में कुल 6 सीटों पर मिली हार का आंकड़ा भी समझा रहे हैं, जिसमें बीजेपी मुस्लिम वोटों के ध्रुवीकरण और हिंदू मतों में विभाजन की वजह से मामूली वोटों के अंतर से चुनाव हार गई.

कैंपेन के जरिए ये भी बताया जा रहा है कि कैसे बीजेपी 6 लोकसभा सीटों की 36 विधानसभा सीटों में 30 विधानसभा सीटों पर जीतने के बावजूद महज 6 विधानसभा सीटों पर मुस्लिम वोटों के भारी ध्रुवीकरण के चलते सभी की सभी 6 लोकसभा सीट हार गई. यानि बीजेपी ने 30 विधानसभा सीटों पर मामूली बढ़त पाई लेकिन किसी एक मुस्लिम बहुल विधानसभा में विपक्षी पार्टी को इतना बड़ा वोट मिला कि बाकी 5 विधानसभा सीटों पर मिली बढ़त नगण्य हो गई और बीजेपी चुनाव हार गई.

घर-घर जा रहे हैं संगठन के कार्यकर्ता

‘सजग रहो’ कैंपेन के जरिए बांग्लादेशी घुसपैठ और रोहिंग्या मुस्लिमों के प्रभाव के बारे में भी लोगों को आगाह किया जा रहा है. इसके अलावा संघ के अनुषांगिक संगठन वीएचपी, बजरंग दल जैसे संगठन महाराष्ट्र के सभी 288 विधानसभा क्षेत्रों में पर्ची लेकर घर-घर जा रहे हैं. वो जातीय भेद से दूरी बनाकर बतौर हिंदू वोटिंग में हिस्सा लेने की अपील भी कर रहे हैं.

मिली जानकारी के मुताबिक, लोकसभा चुनाव से अलग इस विधानसभा चुनाव में संघ और बीजेपी के स्थानीय नेताओं के बीच आपसी तालमेल को बेहतर रखते हुए आरएसएस और उसकी विभिन्न इकाइयां समाज के सभी वर्ग तक पहुंचने की कोशिश में अबतक 30 हजार से अधिक बैठक कर चुकी हैं. संघ के राष्ट्रीय सह सरकार्यवाह अतुल लिमये महाराष्ट्र में इस चुनाव में बीजेपी के स्थानीय शीर्ष नेताओं से लगातार संपर्क में रहते हैं.