प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी महाराष्ट्र के बारामती में क्यों नहीं चुनाव प्रचार करेंगे, इसको लेकर अजित पवार ने एक ऐसा बयान दिया है, जिससे सभी चर्चाओं और कयासों पर विराम लग गया है. अजित ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी जैसे कद के नेता छोटे स्थानों पर चुनावी रैलियां नहीं करते, इसलिए वह बारामती में चुनावी जनसभा नहीं करेंगे. अजित पवार बारामती से खुद मैदान में हैं. उनका मुकाबला अपने भतीजे और शरद पवार गुट के नेता युगेंद्र पवार से होगा. बारामती सीट पवार परिवार की पारिवारिक सीट है. इस बार यहां दिलचस्प लड़ाई होने वाली है.

मीडिया से बातचीत में जब अजित पवार ये पूछा गया कि उन्होंने अपने समर्थन में रैली करने के लिए पीएम मोदी को क्यों नहीं आमंत्रित किया, इसके जवाब में उन्होंने कहा कि जब मोदी जैसे नेता प्रचार करते हैं, तो उनकी रैलियां जिला मुख्यालयों पर आयोजित की जाती हैं, तहसीलों में नहीं. अजित ने कहा कि तहसील से लोग रैली में भाग लेने जाते हैं. पुणे में होने वाली रैली पूरे जिले के लिए होगी, जिसमें बारामती भी शामिल है.

इस बार PM मोदी को मुझे हराना नहीं है- अजित

वहीं, जब पत्रकारों ने अजित ने ये पूछा कि मोदी ने 2019 में बारामती में रैली क्यों की थी, इसके जवाब में उन्होंने (अजित) कहा कि तब इसका उद्देश्य अजित पवार को हराना था. इस बार पीएम मोदी को अजित को हराना नहीं है. वह मुझे जिताना चाहते हैं. 2019 में अजित पवार अपने चाचा शरद पवार गुट में थे. अजित पवार ने गुरुवार को कहा था कि उन्होंने पीएम मोदी से अपने बारामती चुनावी रैली नहीं करने का अनुरोध किया है, क्योंकि वहां परिवार के भीतर की लड़ाई है.

बारामती में पवार परिवार की प्रतिष्ठा की लड़ाई

बारामती विधानसभा सीट पर दशकों से शरद पवार का कब्जा है. करीब तीन दशक तक शरद पवार ने खुद इस सीट का प्रतिनिधित्व किया. इसके बाद उनके भतीजे अजित यहां से लगातार विधायक चुने जाते रहे. मगर अजित के एनडीए में जाने के बाद बारामती सीट पर यह पहला विधानसभा चुनाव हो रहा है, जहां पारिवारिक और प्रतिष्ठा की लड़ाई है. इस लड़ाई में किसकी साख दाव पर लगेगी, यह 23 नवंबर को पता चलेगा. बारामती की लड़ाई इस बार चाचा और भतीजे (अजित बनाम युगेंद्र पवार) के बीच की है.