महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के नेतृत्व वाले इंडिया गठबंधन की सत्ता में वापसी के लिए लोकलुभावने वादों का पिटारा खोल दिया गया है. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, राहुल गांधी, एनसीपी (एस) प्रमुख शरद पवार और शिवसेना (यूबीटी) के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने एक साथ चुनावी हुंकार भरते हुए बुधवार को पांच गारंटी का ऐलान किया. इसके जरिए महा विकास अघाड़ी महाराष्ट्र के तीन बड़े वोटबैंक का दांव चलाया है. महिला, किसान और नौजवानों का दिल जीतने की कवायद की गई है.
महा विकास अघाड़ी (एमवीए) ने अपनी पांच गारंटियों में ‘महालक्ष्मी योजना’ के तहत महिलाओं को तीन हजार रुपये प्रति माह और किसानों का तीन लाख रुपये तक का कर्ज माफ करने की घोषणा की है. इसके अलावा महिलाओं के लिए मुफ्त बस यात्रा, 25 लाख रुपये तक का स्वास्थ्य बीमा और मुफ्त दवाएं उपलब्ध कराने का वादा किया है. बेरोजगार युवाओं को प्रति माह चार हजार रुपये तक की सहायता देने का भी ऐलान किया गया है. जातिगत जनगणना कराने और आरक्षण के 50 फीसदी के बैरियर को तोड़ने की गारंटी देकर बीजेपी के अगुवाई वाले महायुति गठबंधन के समीकरण को काउंटर करने के लिए मजबूत सोशल इंजीनियरिंग बनाने की कोशिश की है.
किसानों पर बीजेपी का फोकस
महाराष्ट्र की सियासत में किसान काफी अहम भूमिका में है. किसी भी दल का खेल बनाने और बिगाड़ने की ताकत किसान रखते हैं, जिसे देखते हुए महा विकास अघाड़ी ने किसानों से कर्ज माफी का वादा किया है. महा विकास अघाड़ी के सरकार बनने के साथ ही कृषि समृद्धि योजना शुरू की जाएगी.
इस योजना के तहत सूबे के किसानों का तीन लाख रुपये तक का कर्ज पूरी तरह माफ किया जाएगा. इसके अलावा फसल ऋण के नियमित भुगतान के लिए प्रोत्साहन के रूप में 50,000 रुपये दिए जाएंगे. इससे एक दिन पहले शिवसेना (यूबीटी) के प्रमुख उद्धव ठाकरे ने किसानों से एमएसपी कानून बनाने की गारंटी दे चुके हैं.
महाराष्ट्र के 59 फीसदी ग्रामीण परिवार कृषि कार्यों से जुड़े हुए हैं. इसलिए यहां की सियासत में किसान एक अहम फैक्टर हैं, जिन्हें साधने की कवायद राजनीतिक दलों की तरफ से की जा रही है. कृषि कानून से किसान पहले से ही बीजेपी से नाराज माने जा रहे हैं. किसान संगठन भी बीजेपी को किसान विरोधी कठघरे में खड़े करने की कोशिश में जुटे हुए थे.
महाराष्ट्र में गन्ना, कपास, सोयाबीन और प्याज की खेती की जाती है लेकिन, किसानों को उनकी फसल का उचित दाम एक बड़ा मुद्दा बना हुआ है. कर्ज के चलते किसानों के आत्महत्या के मामले सबसे ज्यादा महाराष्ट्र से आते हैं. इसके चलते महा विकास अघाड़ी ने किसानों के कर्ज माफी से लेकर एमएसपी की गारंटी तक का वादा कर उनके विश्वास को जीतने की रणनीति है.
आधी आबादी को साधने का प्लान
बीजेपी को मिल रही जीत में महिला वोटर का अहम रोल है. इसे साधे रखने के लिए एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली महायुति सरकार लाडली बहना योजना चला रही है. इसको बीजेपी-शिंदे और अजीत पवार का ट्रंप कार्ड माना जा रहा है. इसके जवाब में महा विकास अघाड़ी ने भी महिला के लिए वादों का पिटारा खोल दिया है.
बीजेपी-शिवसेना-एनसीपी सरकार फिलहाल, अपनी प्रमुख ‘लाड़की बहिन’ योजना के तहत पात्र महिलाओं को 1,500 रुपये प्रति माह का भुगतान कर रही है. उन्होंने सत्ता में बने रहने पर इस राशि को बढ़ाकर 2,100 रुपये करने का वादा किया है. इसके जवाब में महा विकास अघाड़ी ने उससे बड़ा दांव चला है.
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मुंबई में ‘महाराष्ट्र स्वाभिमान सभा’ को संबोधित करते हुए बुधवार को कहा कि अगर महाराष्ट्र में सरकार बनती है तो महिलाओं के लिए ‘महालक्ष्मी योजना’ शुरू करेंगे, जिसके अंतर्गत महिलाओं को तीन हजार रुपये हर महीने दिए जाएंगे. इसके अलावा महिलाओं को मुफ्त में बस यात्रा की भी गारंटी दी है. कांग्रेस, उद्धव ठाकरे और शरद पवार ने महाराष्ट्र के महिला वोटों को अपने साथ जोड़ने के लिए ये दांव चला है.
नौजवानों पर MVA का फोकस
महाराष्ट्र की सत्ता बनाने और बिगाड़ने की ताकत युवा मतदाता रखते हैं. राज्य में 42 फीसदी से ज्यादा मतदाताओं की उम्र 40 साल से कम की है. ऐसे में कांग्रेस के अगुवाई वाली महा विकास अघाड़ी ने युवा मतदाताओं को साधने के लिए उनकी नब्ज को छूने की कोशिश की है.
महा विकास अघाड़ी ने बेरोजगार युवाओं के लिए 4,000 रुपये प्रति माह भत्ता देने का वादा किया है. नौकरी एक बड़ा मुद्दा है, जिसे लेकर खासकर युवा परेशान है. माना जा रहा है कि इसके चलते महा विकास अघाड़ी के घटक दलों ने नौकरी न मिलने तक 4000 रुपये हर महीने युवाओं के देने का वादा करके चुनाव में सियासी लाभ उठाने की कवायद की है.
राहुल गांधी की कास्ट पॉलिटिक्स
महाराष्ट्र के लोकसभा चुनाव में महा विकास अघाड़ी ने जिस फॉर्मूले से बीजेपी के अगुवाई वाले महायुति को मात दिया था, उसी विनिंग फॉर्मूले को विधानसभा चुनाव में भी आजमाने का दांव चला है. महा विकास अघाड़ी ने वादा किया है कि यदि वह सत्ता में आया तो महाराष्ट्र में जाति आधारित गणना कराई जाएगी और केंद्र में सत्ता में आने पर आरक्षण पर लगी 50 प्रतिशत की सीमा हटा दी जाएगी.
राहुल गांधी इन्हीं दोनों मुद्दों को लेकर सियासत करते हुए नजर आ रहे हैं. राहुल ने इस मौके पर कहा कि देश की वर्तमान राजनीति आरएसएस/बीजेपी और इंडिया गठबंधन की विचारधाराओं के बीच लड़ाई है. उन्होंने दावा किया कि बीजेपी सार्वजनिक रूप से यह नहीं कहती कि वह संविधान को खत्म करना चाहती है. वो कमजोर करने के लिए गुप्त रूप से काम कर रही है. इस तरह राहुल गांधी संविधान और आरक्षण के नैरेटिव को फिर से महाराष्ट्र के रण में आजमाने का दांव चलाया है. इसके जरिए कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों की कोशिश एक मजबूत सोशल इंजीनियरिंग बनाने की है.
मराठा, दलित और मुस्लिम के साथ ओबीसी जातियों को भी लामबंद करने की स्ट्रैटेजी बनाई है. मराठा बनाम ओबीसी और धनगर बनाम आदिवासी का मुद्दा पहले से ही गर्म है. इसका खामियाजा बीजेपी और उसके सहयोगी दलों को लोकसभा चुनाव में उठाना पड़ा था और महा विकास अघाड़ी को लाभ मिला था. इसीलिए फिर से दांव चला है.