शिवपुरी। जिले में इस समय हर जगह खनन का कारोबार दिन दोगुनी और रात चौगुनी गति से पैर पसारता जा रहा है। जिसे जहां जगह मिल रही है वह प्राकृतिक संपदा और पर्यावरण को नुकसान पहुंचा कर खनन के कारोबार में जुट गया है। जिन लोगों पर इस खनन के कारोबार पर लगाम कसने की जिम्मेदारी है, वह इन खनन माफियाओं के सायलंट पार्टनर बनकर अवैध कारोबार को देखकर भी अनदेखा कर रहे हैं।

खोड़ के पहाड़ को चारों तरफ से खाेदना शुरू

इसी का परिणाम है कि शिवपुरी विधानसभा क्षेत्र में आने वाले ग्राम खोड़ में भी माफिया सक्रिय हो गया है, जिन्होंने खोड़ के पहाड़ को चारों तरफ से खाेदना शुरू कर दिया है।

अगर पहाड़ खोद कर मुरम के खनन का यह कारोबार यूं ही बदस्तूर जारी रहा तो आने वाले पांच सालों में लोग भूल जाएंगे कि यहां कोई पहाड़ हुआ भी करता था।

जंगल सहित एक करोड़ के स्टेडियम को नुकसान

इस पहाड़ को लगातार खोदे जाने से एक ओर जहां प्राकृतिक संपदा का हनन हो रहा है वहीं दूसरी ओर पहाड़ पर लगे हजारों पेड़-पौधे भी जमींदोज हो जाएंगे, इससे पहाड़ पर लगे जंगल के साथ-साथ पर्यावरण को भी नुकसान हो रहा है।

एक करोड़ रुपये की लागत का स्टेडियम भी खतरे में

इतना ही नहीं शिवपुरी की पूर्व विधायक एवं तत्कालीन खेल मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया द्वारा इस क्षेत्र के युवाओं की खेल प्रतिभा को निखारने के लिए पहाड़ पर बनाया गया करीब एक करोड़ रुपये की लागत का स्टेडियम भी लगातार खनन के कारण प्रभावित होना तय है।

जैसे-जैसे खनन बढ़ता जाएगा पहाड़ की जड़ेंं कमजोर हो जाएंगी और पहाड़ के धंसकने पर स्टेडियम का सुरक्षित रह पाना असंभव ही नहीं नामुमकिन है।

पानी के साथ धीरे-धीरे ढहने लगा है पहाड़

अगर ग्रामीण सूत्रों की मानें तो खोड़ के पहाड़ का खनन होने के कारण अब जब भी बारिश होती है तो बारिश के पानी के साथ मुरम का भी बहाव होता है।

यह मुरम न सिर्फ बह कर सड़क पर आ जाती है, बल्कि गांव में भी जा रही है। ऐसे में अगर खनन यूं ही लगातार जारी रहा तो मूसलाधार बारिश के साथ यहां पहाड़ धंसकने की कोई बड़ी वारदात भी हो जाए तो अतिश्योक्ति नहीं होगी।

कहां-कहां से किया जा रहा है अवैध खनन

  • बरेला चौराहे के पास
  • खोड़ के दोनों तालाबों के पास
  • बपावली वाले रास्ते के पास
  • बस स्टैंड के पास
  • वंशकार बस्ती के पास
  • गुरैया घाटी के पास

जितना खुदता जा रहा उतना हो रहा अतिक्रमित

घर गांव के लोगों की मानें तो इस पहाड़ को निर्धारित षड्त्र के तहत अतिक्रमण के लिए खुदाई का काम शह देकर करवाया जा रहा है, क्योंकि इस पहाड़ के खुदने से जितनी जगह समतल होती जा रही है, उस जगह पर पहाड़ के तरफ रहने वाले लोग अतिक्रमण की जद में लेते जा रही है।

बताया जा रहा है कि जिस दिन यह पहाड़ पूरी तरह से गायब हो जाएगा यहां पर न जंगल की जगह बस्ती नजर आएगी, जिसमें कई दुकानों के साथ आलीशान मकान बने होंगे।