पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के समझौते का असर दिखने लगा है. वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के पास दोनों देशों के सैनिकों की वापसी शुरू हो गई है. इसको लेकर चीन का भी बयान सामने आया है. चीन ने कहा कि समझौते के तहत दोनों देशों की सेनाएं अपने-अपने जवानों की वापसी में जुटे हैं और यह प्रक्रिया सुचारू रूप से चल रही है.

भारतीय सेना के सूत्रों के मुताबिक, सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया पूरी होने के बाद टकराव वाले दोनों प्वाइंट्स पर पेट्रोलिंग शुरू होगी और दोनों पक्ष अपने-अपने सैनिकों को हटाकर अस्थायी ढांचों को नष्ट कर देंगे. समझौता केवल टकराव वाले इन दो प्वाइंट डेमचोक और डेपसांग के लिए हुआ है. अन्य क्षेत्रों के लिए बातचीत अब भी चल रही है.

28-29 अक्टूबर तक शुरू होगी गश्त

सूत्रों ने बताया कि भारत और चीन ने पूर्वी लद्दाख में डेमचोक और डेपसांग मैदानी क्षेत्रों में टकराव वाले दो बिंदुओं से सैनिकों की वापसी शुरू कर दी है और यह प्रक्रिया 28-29 अक्टूबर तक पूरी होने की संभावना है. सेना के सूत्रों का कहना है कि भारत और चीन के सैनिक 28-29 अक्टूबर तक डेमचोक और देपसांग से पूरी तरह से पीछे हट जाएंगे.

डिसइंगेजमेंट के बाद ग्राउंड कमांडरों की बैठकें होंगी. गश्त के दौरान किसी भी तरह की गलतफहमी न हो, इसके लिए दोनों ओर से बताया जाएगा कि हम कब गश्त करने जा रहे हैं. पीएम मोदी ने 23 अक्टूबर को रूस के कजान में ब्रिक्स सम्मेलन से इतर चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ द्विपक्षीय बैठक की थी.

गलवान झड़प के बाद बढ़ गया था तनाव

इस दौरान उन्होंने पूर्वी लद्दाख में LAC के पास से सैनिकों के पीछे हटने और गश्त को लेकर हुए समझौते का अनुमोदन किया था. भारत ने चीन से हुए इस समझौते की घोषणा 21 अक्टूबर को की थी. जून 2020 में गलवान घाटी में दोनों देशों के सैनिकों के बीच भीषण संघर्ष के बाद संबंधों में तनाव आ गया था. यह पिछले कुछ दशकों में दोनों पक्षों के बीच सबसे गंभीर सैन्य संघर्ष था.