तेजी से बढ़ते भारतीय ऑनलाइन गेमिंग सेक्टर को मनी लॉन्ड्रिंग के गंभीर खतरे का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में इसकी निरंतर सफलता सुनिश्चित करने और देश की मजबूत डिजिटल अर्थव्यवस्था की रक्षा के लिए तत्काल कदम उठाने की जरूरत है.

डिजिटल इंडिया फाउंडेशन की एक रिपोर्ट में अवैध परिचालकों से निपटने के लिए एक कानून बनाने, वैध संचालकों की श्वेत सूची बनाने, भ्रामक विज्ञापनों से निपटने तथा फाइनेंशियल क्राइसिस व अंतरराष्ट्रीय सहयोग के सिद्धांतों को शामिल करने की वकालत की गई है.

7.5 अरब का होगा गेमिंग कारोबार

इसमें कहा गया है कि अन्य महत्वपूर्ण उपायों में जन जागरूकता तथा शिक्षा प्रदान करना शामिल है, ताकि यूजर्स सतर्क निर्णय ले सकें व भ्रामक व्यवहार में संलग्न मंच से बच सकें.

रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय रियल मनी गेमिंग (आरएमजी) क्षेत्र वित्त वर्ष 2019-20 से वित्त वर्ष 2022-23 तक 28 प्रतिशत की सालाना वृद्धि के साथ वैश्विक बाजार में अग्रणी बन गया है. अगले पांच वर्षों में इस क्षेत्र का राजस्व 7.5 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है.

गेमिंग के लिए जरूरी है कड़े कानून

डिजिटल इंडिया फाउंडेशन के सह-संस्थापक अरविंद गुप्ता ने कहा, अवैध परिचालकों पर अंकुश लगाने के नियामकीय प्रयासों के बावजूद कई मंच मिरर साइट्स, अवैध ब्रांडिंग और असंगत वादों के जरिये प्रतिबंधों को दरकिनार कर देते हैं. यह स्थिति कड़ी निगरानी तथा प्रवर्तन की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित करती है.

रिपोर्ट में कहा गया कि इसके अलावा प्रवर्तन तंत्र की कमी के कारण कुख्यात अपराधियों के खिलाफ छिटपुट कार्रवाई हो रही है.