झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली है. कोर्ट ने आज शुक्रवार को मधु कोड़ा की ओर से दोषसिद्धि पर रोक लगाने से जुड़ी याचिका खारिज कर दी है. कोर्ट की ओर से याचिका खारिज किए जाने के बाद अब वह झारखंड में हो रहे विधानसभा चुनाव नहीं लड़ सकेंगे.

जस्टिस संजीव खन्ना की अगुवाई वाली 3 सदस्यीय बेंच ने कोयला घोटाला मामले में दोषी करार दिए गए पूर्व सीएम कोड़ा की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि हम अफजल अंसारी बनाम उत्तर प्रदेश राज्य (2023) में सुप्रीम कोर्ट के फैसले से सहमत हैं. उन्होंने कहा कि दोषसिद्धि पर रोक लगाने के लिए कई कारकों को ध्यान में रखना पड़ता है, जो कोई नियमित बात नहीं है. अफजल अंसारी केस में, अपीलकर्ता विधायिका का मौजूदा सदस्य था. लेकिन यहां पर ऐसी तथ्यात्मक स्थिति नहीं है. ऐसे में कोर्ट याचिका खारिज करती है.

क्यों खारिज हो गई मधु कोड़ा की याचिका

मधु कोड़ा को जब सजा हुई तब वह विधानसभा के सदस्य नहीं थे और उन्हें सदस्यता भी नहीं खोनी पड़ी थी. ऐसे में यह स्थितियां अलग हैं, जिसके चलते सुप्रीम कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी. कोर्ट के फैसले से मधु कोड़ा को राहत नहीं मिली और अब वह विधानसभा चुनाव नहीं लड़ सकेंगे.

इससे पहले जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस आर महादेवन की 3 सदस्यीय बेंच ने कल गुरुवार को अपनी सुनवाई में कहा था कि जस्टिस केस की फाइल पर गौर नहीं कर सके हैं, क्योंकि वे उन्हें देरी से भेजी गई थीं, इसलिए मामले पर कल शुक्रवार को सुनवाई होगी.

HC ने खारिज कर दी थी याचिका

बेंच ने इस मामले में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) की तरफ कोर्ट में पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता आरएस चीमा से कहा कि वह कोर्ट के पहले के फैसले पर गौर करें, जिसमें कहा गया था कि सजा के निलंबन का दायरा बेल के मामलों में निर्धारित दायरे से अलग है. चीमा ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व के फैसले पर गौर करने पर सहमति जताई.

इससे पहले दिल्ली हाई कोर्ट ने दोषसिद्धि पर रोक लगाने से जुड़ी मधु कोड़ा की याचिका को 18 अक्टूबर को खारिज कर दिया था. सीबीआई ने कोड़ा की याचिका का विरोध करते हुए कहा कि यह विचार योग्य नहीं है.

लोअर कोर्ट ने सुनाई थी सजा

लोअर कोर्ट ने 13 दिसंबर, 2017 को पूर्व सीएम मधु कोड़ा, पूर्व कोयला सचिव एचसी गुप्ता, राज्य के पूर्व मुख्य सचिव एके बसु और कोड़ा के करीबी विजय जोशी को भ्रष्टाचार के मामले शामिल होने और राज्य के राजहरा उत्तर कोयला ब्लॉक को कोलकाता स्थित कंपनी विनी आयरन एंड स्टील उद्योग लिमिटेड (वीआईएसयूएल) को गलत तरीके से आवंटित करने के मामले 3 साल जेल की सजा सुनाई थी.

जनप्रतिनिधित्व कानून के तहत, किसी भी अपराध के लिए दोषी ठहराए जाने और कम से कम 2 साल की कैद की सजा पाने वाला शख्स तुरंत ही सांसद, विधायक या फिर राज्य विधान परिषद (MLC) के सदस्य के रूप में अयोग्य घोषित हो जाता है. यही नहीं जेल से बाहर निकलने के बाद भी वह छह साल तक चुनाव लड़ने से अयोग्य रहता है.