पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर भारत-चीन के रिश्तों पर जमी बर्फ आखिरकार पिघल गई है. भारत और चीन ने LAC पर 2020 से पहले की तरह पैट्रोलिंग का फैसला लिया है. विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर इस बात की जानकारी दी. मंत्रालय के मुताबिक, भारत और चीन में LAC पर 2020 से पहले की तरह पैट्रोलिंग का समझौता हो गया है.

जून, 2020 में भारत और चीनी सैनिकों के बीच लद्दाख की गलवान घाटी में झड़प हो गई थी. 15 जून, 2020 को हुई गलवान की घटना ने भारत और चीन के रिश्ते को बिगाड़ दिया था. इसमें भारत ने एक कर्नल सहित 20 सैनिकों को खो दिया था. हालांकि चीन ने केवल चार हताहतों की बात स्वीकार की, लेकिन अनुमान है कि झड़प में उसके 40 सैनिक मारे गए थे. यह टकराव 1962 के युद्ध के बाद सबसे घातक था.

इसके बाद से दोनों देशों के बीच रिश्तों में कड़वाहट आ गई थी. संबंधों में मधुरता लाने के लिए सैन्य और राजनियक स्तर पर कई दौर की बातचीत हुई. सितंबर 2020 से इसकी शुरुआत हुई थी. दोनों देशों के बीच फुल डिसइंगेजमेंट को लेकर बातचीत जारी थी, जो अब जाकर अंतिम नतीजे पर पहुंची है. यह समझौता उ

देपसांग और डेमचोक से भी पीछे हटेंगी सेनाएं

इससे पहले तक दोनों देशों के बीच हुई बातचीत से कुछ परिणाम मिले. जैसे टकराव वाली छह में से चार जगहों से दोनों देशों के सेनाएं पीछे हटीं. वो चार इलाके हैं गलवान घाटी, पैंगॉन्ग त्सो के उत्तरी और दक्षिणी किनारे और गोगरा-हॉट स्प्रिंग. अब जो समझौता हुआ उसके बाद दोनों देशों की सेनाएं अब देपसांग और डेमचोक से भी पीछे हटेंगी.

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने संकेत दिए कि भारत देपसांग और अन्य इलाकों में गश्त करने में सक्षम होगा. उन्होंने कहा, हमारे बीच एक सहमति बनी है, जो न सिर्फ देपसांग में, बल्कि और भी इलाकों में गश्त की अनुमति देगी. मेरी समझ से इस सहमति के जरिए हम उन इलाकों में गश्त करने में सक्षम होंगे, जहां हम 2020 में (गतिरोध से पहले) कर रहे थे. उन्होंने कहा कि 2020 से पहले एलएसी पर शांति थी और हमें उम्मीद है कि हम उस स्थिति को बहाल कर सकेंगे.

दरअसल बीजिंग ने बार-बार सीमा विवाद से परे संबंधों को सामान्य बनाने का आह्वान किया. वहीं नई दिल्ली अप्रैल 2020 से पहले की यथास्थिति हासिल करने पर अड़ा हुआ था.

डेमचोक और देपसांग को जानिए

डेमचोक लद्दाख में LAC के दक्षिणी हिस्से के करीब है. ये हिमाचल प्रदेश की सीमा के पास है. 1962 के संघर्ष के दौरान इस क्षेत्र का एक गांव चीनी घुसपैठ का स्थल था, लेकिन पीएलए सैनिक इससे आगे नहीं बढ़े. यह पहला स्थान था जहां चीन ने भारतीय अधिकारियों को सड़क सहित नागरिक बुनियादी ढांचे का निर्माण करने से रोका था.

वहीं, देपसांग दौलत बेग ओल्डी (डीबीओ) के पास एक है. विवादित क्षेत्र पर चीन ने तब तक कब्जा कर रखा था जब तक कि भारत ने इस क्षेत्र में आगे बढ़ना शुरू नहीं किया था और अब वहां तक ​​एक सड़क बन गई है.

स क्षेत्र में तनाव कम करने की दिशा में एक कदम का संकेत देता है जहां दोनों देशों ने हजारों सैनिक तैनात कर रखे हैं. समझौते से झड़प की संभावना कम हो जाती है.