महाभारत के धनुर्धर अर्जुन और भगवान कृष्ण की बहन सुभद्रा के बेटे अभिमन्यु के बारे में तो सभी जानते हैं और अभिमन्यु के वध की कथा भी काफी प्रचलित है. महाभारत युद्ध में अभिमन्यु ने कौरवों द्वारा बनाए गए चक्रव्यूह को न सिर्फ तोड़ा बल्कि कई योद्धाओं को अकेले ही मार गिराया था. अभिमन्यु ने जन्म लेने से पहले ही चक्रव्यूह भेदने का ज्ञान प्राप्त कर लिया था, लेकिन बाहर आने का रास्ता न पता होने की वजह से उसकी मृत्यु हो गई.

अभिमन्यु के कौशल के आगे सभी कौरव पस्त हो गए थे और फिर कई योद्धाओं ने निहत्थे और अकेले अभिमन्यु को घेरकर उसका वध कर दिया. महज 16 साल की उम्र में अभिमन्यु वीरगति को प्राप्त हो गया. जिस युद्धभूमि में अभिमन्यु का वध हुआ, वहां भगवान कृष्ण स्वयं मौजूद थे लेकिन वो अपने प्रिय भांजे को नहीं बचा पाए. ऐसा कहा जाता है कि इसके पीछे एक खास वजह थी.

जन्म से पहले ही तय थी अभिमन्यु की उम्र

अभिमन्यु के जन्म से पहले ही उसके पिता ने मृत्यु की उम्र तय कर दी थी. आपको जानकर हैरानी होगी कि अभिमन्यु के पिता अर्जुन नहीं बल्कि चंद्रदेव थे. चंद्रदेव के पुत्र प्रेम के कारण ही अभिमन्यु कम उम्र लेकर पैदा हुए थे. दरअसल, चंद्रदेव के बेटे वर्चा का जन्म अर्जुन के बेटे अभिमन्यु के रूप में हुआ था. इसका उल्लेख महाभारत में मिलता है.

चंद्रदेव के बेटे थे अभिमन्यु

जब धर्म की स्थापना करने के लिए भगवान श्रीकृष्ण पृथ्वी पर अवतार लेने वाले थे तब सभी देवी-देवताओं ने भगवान की लीला देखने के लिए किसी ना किसी अवतार में धरती पर आने का फैसला किया. कई देवी-देवता मनुष्य बनकर धरती पर जन्मे, तो कई ने अपने अंश या अपने पुत्रों को धरती पर भेजा दिया. जैसा- सूर्य के बेटे कर्ण, इंद्र के बेटे अर्जुन. लेकिन चंद्र देव पीछे रह गए थे. उनसे कहा गया कि वो अपने पुत्र ‘वर्चा’ को पृथ्वी पर आने की आज्ञा दें. लेकिन चंद्र देव अपने पुत्र बेहद से बहुत प्रेम करते थे और उससे दूर नहीं सह सकते.

इसलिए श्रीकृष्ण ने नहीं की अभिमन्यु की रक्षा

जब सभी देवताओं ने चंद्रदेव से बहुत अनुरोध किया तो चंद्र देव मान गए लेकिन उन्होंने कहा कि वो अपने पुत्र को सिर्फ 16 साल के लिए धरती पर भेज सकते हैं इसके बाद वो मेरे पास वापस लौट आएगा. चंद्रदेव का यही पुत्र अर्जुन का बेटा अभिमन्यु था. भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें वचन दिया कि वो उनके बेटे को 16 साल बाद उनके पास वापस भेज देंगे. इसी वचन के चलते अभिमन्यु 16 साल की उम्र में वीरगति को प्राप्त हुए.