इजराइल सेना गाजा में पिछले आठ महीने से जंग लड़ रही है. इजराइली बंधकों को वापस लाने और हमास के खात्मे के मकसद से शुरू हुए IDF (Israel Defence Force) के गाजा ऑपरेशन ने करीब 40 हजार फिलिस्तीनियों की जान ले ली है. इतने बड़े पैमाने पर मानवीय हानि के बाद भी इजराइल सेना न तो अपने बंधकों को गाजा से वापस ला पाई है न ही हमास का पूरी तरह से खात्मा कर पाई है. अब देश की उत्तरी सीमा पर भी हिजबुल्लाह से जंग के हालात बन गए हैं.
मानवीय संकट और सभी बंधकों की वापसी करवाने में नाकामयाब होने पर इजराइल सेना को देश के अंदर और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फजीहत का सामना करना पड़ रहा है. हाल ही में एक रिपोर्ट ने दावा किया है कि इजरायली सेना के पास गोला-बारूद की भारी कमी हो गई है और वे जंग को लंबे समय तक जारी नहीं रख सकते हैं.
सेना चाहती है युद्ध विराम
खबरों के मुताबिक इजराइल सेना युद्ध विराम चाहती है. IDF अब चाहती है कि कुछ समय के लिए जंग रोकी जाए ताकि उसको अपने हथियार आपूर्ति को पूरा करने का मौका मिल सके. दूसरी तरफ इजराइली पीएम ये दावा कर रहे हैं कि वे गाजा युद्ध के आखिरी दौर में है और जल्द ही हमास का पूरी तरह खात्मा हो जाएगा.
दूसरी तरफ प्रधानमंत्री नेतन्याहू लेबनान बॉर्डर पर हिजबुल्लाह से भी जंग शुरू करना चाहते हैं और सेना इसके लिए तैयार नहीं है. नेतन्याहू और सेना के अधिकारियों के बीच मतभेद बढ़ता दिख रहा है. जिससे सेना युद्ध के मोर्चे पर कमजोर हो सकती है.
गाजा युद्ध
हमास के 7 अक्टूबर को इजराइल पर हमले के बाद IDF ने गाजा में बमबारी करते हुए ग्राउंड ऑपरेशन शुरू किया था. हमास ने इस हमले में इजराइल के 1200 नागरिकों की जान गई थी और करीब 250 लोगों को हमास के लड़ाके अगवा कर गाजा ले गए थे. जिसके बाद से अब तक इजराइल सेना गाजा में करीब 40 हजार लोगों की जान ले चुकी है.
मरने वालों में अधिकतर बच्चे और महिलाएं है. इजराइल की बमबारी में गाजा का करीब 70 फीसद इंफ्रास्ट्रकचर मलबे में तब्दील हो गया है और लोगों को बुनयादी सुविधाओं के लिए भी कड़ी मशक्कत का सामना करना पड़ रहा है.