शरद पूर्णिमा हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण तिथि है, जिसे आश्विन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इसे कोजागरी पूर्णिमा या रास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. शरद पूर्णिमा की रात को विशेष रूप से देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है. माना जाता है कि इस रात देवी लक्ष्मी पृथ्वी पर विचरण करती हैं और जो लोग इस दिन पूजा पाठ करते हैं, उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. इस दिन चन्द्रमा अपने सम्पूर्ण रूप में होता है और उसकी किरणों में विशेष औषधीय गुण होते हैं. मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात को चन्द्रमा की किरणें अमृतमयी होती हैं, जो स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होती हैं.

शरद पूर्णिमा तिथि (Sharad Purnima Tithi )

पंचांग के मुताबिक, आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 16 अक्टूबर दिन बुधवार को रात 08 बजकर 41 मिनट पर शुरू होगी. अगले दिन 17 अक्टूबर दिन गुरुवार को शाम 04 बजकर 53 मिनट पर समाप्त होगी. ऐसे में शरद पूर्णिमा का पर्व 16 अक्टूबर को ही मनाया जाएगा.

शरद पूर्णिमा शुभ मुहूर्त (Sharad Purnima 2024 Shubh Muhurat)

पंचांग के अनुसार, शरद पूर्णिमा पर चंद्रोदय शाम 5 बजकर 5 मिनट पर होगा. पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी की पूजा के लिए शुभ समय रात 11 बजकर 42 मिनट से रात 12 बजकर 32 मिनट तक रहेगा. इस समय पूजा करने से शुभ फल की प्राप्ति होगी.

शरद पूर्णिमा पर खीर का महत्व (Sharad Purnima kheer)

शरद पूर्णिमा की रात को खीर बनाने और उसे चंद्रमा की रोशनी में रखने की परंपरा है. हिन्दू मान्यताओं के अनुसार, शरद पूर्णिमा की रात को चंद्रमा की किरणों में अमृत समान औषधीय गुण होते हैं. इसलिए शरद पूर्णिमा की रात को खीर को खुले आसमान के नीचे चांदनी में रखा जाता है, इसके बाद इस खीर का सेवन करने की परंपरा है, जो स्वास्थ्य के लिए लाभकारी मानी जाती खीर को माता लक्ष्मी का प्रसाद भी माना जाता है. इस दिन माता लक्ष्मी की पूजा के दौरान खीर का भोग लगाया जाता है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इस साल शरद पूर्णिमा पर चांद की रोशनी में खीर रखने का समय रात में 8 बजकर 40 मिनट से है.

शरद पूर्णिमा पूजन विधि (Sharad Purnima Puja Vidhi)

शरद पूर्णिमा पर लक्ष्मी माता और चंद्रमा की पूजा विशेष महत्व रखती है. इस दिन मां लक्ष्मी, चंद्रमा और भगवान विष्णु की पूजा करने से धन, सुख, और समृद्धि की प्राप्ति होती है. शरद पूर्णिमा के दिन सबसे पहले सूर्योदय के समय स्नान करें और शुद्ध वस्त्र धारण करें. घर के पूजा स्थल को साफ और सजाएं. व्रत रखने का संकल्प लें. पूजा के लिए घर के उत्तर-पूर्व दिशा में या किसी खुले स्थान में एक चौकी रखें और उस पर सफेद वस्त्र बिछाएं. चौकी पर माता लक्ष्मी, भगवान विष्णु और चंद्रमा की तस्वीर या प्रतिमा स्थापित करें.

पूजन के लिए सामग्री में शुद्ध जल, दूध, चावल, गंगा जल, धूप, दीपक, कपूर, फूल, प्रसाद (विशेषकर खीर), पान के पत्ते, सुपारी रखें. चौकी पर रखी देवी लक्ष्मी और भगवान विष्णु की मूर्ति को दूध, गंगा जल से स्नान कराएं. इसके बाद फूल, चावल, धूप, दीप और कपूर जलाकर आरती करें. चंद्रमा की पूजा करें अर्घ्य देने के लिए एक लोटे में जल, चावल और फूल डालकर चंद्रमा को अर्पण करें. रात में चंद्रमा की पूजा के बाद खीर को प्रसाद के रूप में परिवारजनों के बीच बांटे और खुद भी सेवन करें.