लोकसभा चुनाव 2024 में मिली हार का हिसाब बीजेपी ने उत्तर प्रदेश के उपचुनाव में करने का प्लान बनाया है. लोकसभा चुनाव में विधायक से सांसद बनने के चलते खाली हुई सीटों पर जीत दर्ज करने के लिए सीएम योगी आदित्यनाथ ने खुद मोर्चा संभाल लिया है. सीएम योगी ने 10 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव के लिए अपने 16 मंत्रियों की’स्पेशल टीम’ बनाई है. यूपी सरकार के मंत्रियों को एक-एक विधानसभा सीट का जिम्मा सौंपा गया, जो इसी हफ्ते से मोर्चा संभाल लेंगे. ऐसे ही जिम्मेदारी नहीं सौंपी गई बल्कि विधानसभा सीट के जातीय समीकरण के लिहाज से मंत्रियों को लगाया गया है ताकि उपचुनाव में जीत का सियासी बैलेंस बन सके.
सपा प्रमुख अध्यक्ष अखिलेश यादव समेत यूपी के 9 विधायकों के लोकसभा सांसद चुने जाने की वजह से जो विधानसभा सीटें खाली हुई हैं, उनमें मैनपुरी की करहल, अयोध्या की मिल्कीपुर, अबेंडकरनगर की कटेहरी, मुरादाबाद की कुंदरकी, अलीगढ़ की खैर, मिर्जापुर की मझवां, मुजफ्फरनगर की मीरापुर, गाजियाबाद और फूलपुर सीट है. इसके अलावा कानपुर की सीसामऊ सीट विधायक इरफान सोलंकी को सजा होने के बाद खाली हुई है. इन 10 विधानसभा सीटों में से पांच सीट पर सपा का कब्जा रहा है तो तीन सीट बीजेपी के पास थी. इसके अलावा एक सीट पर निषाद पार्टी के विधायक तो एक सीट आरएलडी के विधायक थे. ऐसे में बीजेपी से लेकर सपा तक की साख दांव पर लगी है.
लोकसभा चुनाव में जिस तरह से नतीजे आए हैं, उसने बीजेपी की टेंशन बढ़ा दी है. यूपी की 80 लोकसभा सीटों में से 33 सीटें ही बीजेपी जीती तो उसके सहयोगियों को तीन सीट मिली है. इस तरह एनडीए को 36 सीटें मिली हैं. वहीं, सपा ने 37 सीटें जीती तो कांग्रेस को 6 सीटें मिली है. इसके अलावा एक सीट पर आजाद समाज पार्टी के चंद्रशेखर जीतने में सफल रहे हैं. इंडिया गठबंधन ने यूपी में 43 सीटें जीतकर बीजेपी को पूर्ण बहुमत से दूर कर दिया. ऐसे में अब बीजेपी उपचुनाव के जरिए अपने खोए हुए सियासी आधार को पाने और इंडिया गठबंधन के पक्ष में बने माहौल की हवा निकालने की रणनीति बनाई है.
किस सीट पर किस मंत्री की तैनाती?
सीएम योगी ने अपने सहयोगी दल निषाद पार्टी और अपना दल (एस) के नेताओं के साथ मंथन किया, जिसमें उपचुनाव जीतने के लिए मंत्रियों की स्पेशल टीम बनाई है. मिल्कीपुर सीट का जिम्मा मंत्री सूर्य प्रताप शाही और मयंकेश्वर शरण सिंह को सौंपा गया है. कटेहरी सीट के लिए मंत्री स्वतंत्र देव सिंह और आशीष पटेल को सौंपा गया है. सीसामऊ सीट पर सुरेश खन्ना व संजय निषाद को लगाया गया है. फूलपुर सीट की जिम्मेदारी मंत्री दयाशंकर सिंह और राकेश सचान को सौंपी गई है. ऐसे ही मीरापुर सीट पर मंत्री अनिल कुमार और सोमेन्द्र तोमर को लगाया है. कुंदरकी सीट के लिए धर्मपाल सिंह और जेपीएस राठौर को जिम्मा दिया गया है.मझवां सीट पर मंत्री अनिल राजभर, गाज़ियाबाद सीट पर मंत्री सुनील शर्मा, खैर सीट पर लक्ष्मी नारायण चौधरी और करहल सीट का जिम्मा मंत्री जयवीर सिंह को सौंपी हैं. इन मंत्रियों पर उपचुनाव जीतने का टॉस्क सौंपा है.
सीट के समीकरण साधने का दांव
मैनपुरी की करहल सीट से विधायक रहे अखिलेश यादव अब कन्नौज से सांसद बन गए हैं, जिसके चलते यहां उपचुनाव होने हैं. बीजेपी ने करहल सीट पर जीत की जिम्मेदारी यूपी सरकार में पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह को दी गई है. वह मैनपुरी से ही विधायक हैं और ठाकुर समुदाय से आते हैं. करहल के सियासी समीकरण देखें तो यादव के बाद ठाकुर-शाक्य और पाल तीनों समुदाय के 40-40 हजार वोट हैं. बीजेपी इस सीट पर 2022 में केंद्रीय मंत्री एसपी बघेल को चुनाव लड़ाया था. माना जा रहा है इस बार भी बीजेपी किसी ओबीसी पर दांव खेलेगी. ऐसे में ठाकुर समुदाय से आने वाले जयवीर सिंह को जिम्मादारी देकर ओबीसी-ठाकुर वोटों का बैलेंस बनाने का दांव चला है.
इन मंत्रियों को सौंपी जिम्मेदारी
अंबेडकरनगर से सांसद बने लालजी वर्मा के इस्तीफे से खाली हुई कुर्मी बहुल सीट कटेहरी विधानसभा सीट की जिम्मेदारी जलशक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह और अपना दल के नेता व मंत्री आशीष पटेल को सौंपी गई है. आशीष पटेल और स्वतंत्र देव दोनों ही कुर्मी बिरादरी के हैं. कटेहरी सीट पर कुर्मी मतदाता बड़ी संख्या में है और सपा के लालजी वर्मा इसी समुदाय से आते हैं. 2024 के चुनाव में अंबेडकरनगर ही नहीं बल्कि यूपी की तमाम सीटों पर कुर्मी वोट बीजेपी से खिसका है. कटेहरी सीट पर कुर्मी समुदाय के दो बड़े नेताओं को जिम्मेदारी सौंपकर सियासी समीकरण साधने का दांव चला है.
कुर्मी बहुल फूलपुर सीट की कमान परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह को सौंपी गई है और उनके साथ मंत्री राकेश सचान को लगाया गया है. दयाशंकर सिंह ठाकुर जाति से आते हैं तो राकेश सचान कुर्मी समुदाय से आते हैं. इस तरह फूलपुर सीट के समीकरण के लिहाज से कुर्मी और ठाकुर मंत्री को जिम्मा सौंपा है ताकि पार्टी अपना वर्चस्व बरकरार रख सके.
सूर्य प्रताप शाही को मिल्कीपुर विधानसभा का जिम्मा
कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही को मिल्कीपुर विधानसभा की ज़िम्मेदारी दी गई है और उनके साथ स्वास्थ्य राज्यमंत्री मयंकेश्वर शरण सिंह को लगाया गया है. इस सीट पर सबसे ज्यादा पासी वोटर हैं, उसके बाद ब्राह्मण, मल्लाह और ठाकुर हैं. सू्र्य प्रताप शाही भूमिहार समुदाय से आते हैं, जो खुद को ब्राह्मण मानते हैं. मयंकेश्वर शरण सिंह ठाकुर समुदाय से हैं. दलित सुरक्षित मिल्कीपुर सीट पर बीजेपी ने ठाकुर और भूमिहार समुदाय के मंत्री को लगाकर सियासी समीकरण साधने की कवायद मानी जा रही है. फ़ैज़ाबाद से सपा के सांसद अवधेश प्रसाद इसी सीट से विधायक थे. अयोध्या में राम मंदिर बनने के बाद भी फैजाबाद उपचुनाव हारने से बीजेपी को तंज का सामना करना पड़ा है. इसलिए अवधेश प्रसाद की मिल्कीपुर विधानसभा सीट जीतकर बीजेपी अपना दम दिखाना चाहती है, जिसके लिए सियासी दांव चला है.
मुजफ्फरनगर की मीरापुर सीट अब तक आरएलडी के पास थी, लेकिन यहां से विधायक रहे चंदन चौहान अब बिजनौर से सांसद बन चुके हैं. मीरापुर सीट का जिम्मा आरएलडी कोटे से मंत्री बने अनिल कुमार को इस सीट की ज़िम्मेदारी दी गई है और उनके साथ राज्य मंत्री सोमेंद्र तोमर को भी लगाया गया है. अनिल कुमार दलित समुदाय से आते हैं तो सोमेंद्र तोमर गुर्जर समाज से हैं. इस सीट पर सबसे ज्यादा मुस्लिम और उसके बाद दलित और जाट व गुर्जर हैं. इसीलिए बीजेपी ने दलित और गुर्जर समुदाय के मंत्री को लगाकर मीरापुर सीट के समीकरण बनाने का प्लान किया है.
मंत्री सुरेश खन्ना को सीसामऊ विधानसभा सीट का जिम्मा
कानपुर की सीसामऊ विधानसभा सीट की जिम्मेदारी योगी सरकार के वरिष्ठ मंत्री सुरेश खन्ना और बीजेपी के सहयोगी दल निषाद पार्टी के मुखिया डा. संजय निषाद को सौंपी गई है. यहां पर सबसे ज्यादा मुस्लिम वोटर हैं, लेकिन दूसरे नंबर पंजाबी और ब्राह्मण हैं. बीजेपी ने यहां के सियासी समीकरण को देखते हुए पंजाबी समाज से आने वाले सुरेश खन्ना और मल्लाह समुदाय से आने वाले संजय निषाद को लगाया है. कुंदरकी सीट के लिए धर्मपाल सिंह और जेपीएस राठौर को जिम्मा दिया गया है. धर्मपाल सिंह लोध समुदाय से आते हैं तो जेपीएस राठौर ठाकुर हैं. इस तरह कुंदरकी सीट पर सियासी समीकरण बनाने के लिए ही सियासी दांव चला है.
मझवां सीट पर मंत्री अनिल राजभर को सौंपी गई है, जो राजभर समुदाय से आते हैं. इस सीट पर निषाद और ब्राह्मण वोटर बड़ी संख्या में है. बीजेपी यहां राजभर के बड़े नेता को लगाकर ओबीसी को साधने का दांव चला है. गाज़ियाबाद सीट की कमान मंत्री सुनील शर्मा को सौंपी गई है, जो ब्राह्मण समुदाय से आते हैं. इस सीट पर वैश्य और ब्राह्मण मतदाता बड़ी संख्या में है. अतुल गर्ग सांसद बनने के बाद यह सीट खाली हुई है. बीजेपी ने ब्राह्मण-वैश्य समीकरण को साधने के लिहाज से सुनील शर्मा को जिम्मा सौंपा है.
खैर विधानसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है. बीजेपी ने इस सीट का जिम्मा योगी सरकार के मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी को सौंपी है, जो जाट समुदाय से आते हैं. खैर सीट पर सबसे बड़ी संख्या जाट समुदाय की है, जिसके चलते ही लक्ष्मी नारायण चौधरी को सौंपी है. दलित और जाट समीकरण बनाने के लिहाज से ही बीजेपी ने दांव खेला है. ऐसे में देखना है कि बीजेपी ने सीट के लिहाज से भले ही राजनीतिक बिसात बिछा दी हो, लेकिन जीत में उसे तब्दील करना आसान नहीं है?