डॉक्टर बनने की हसरत रखने वाले लाखों छात्रों की उम्मीदों को पेपर लीक ने धो डाला. हंगामा इतना बरपा कि सुप्रीम कोर्ट तक में जनहित याचिकाओं की बाढ़ लग गई. बिहार में पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा मामले की जांच कर रही है. खबर आ रही है कि परीक्षा कराने वाली एजेंसी एनटीए की उसको मदद नहीं मिल रही है. रातों-रात करोड़पति बनने की हवस ने मेडिकल जैसी उच्च स्तरीय और पूरे देश की स्वास्थ्य सेवा से जुड़ी परीक्षा को संदिग्ध बना दिया है. मेडिकल की तैयारी करने वाले बच्चों को लगता है कि सिस्टम ने उनको फेल कर दिया.
पटना में इस मामले में एक एफआईआर दर्ज हुई, उससे इस आरोप को बल मिलता है कि पेपर लीक कराने वाले गैंग को पहले ही नीट के सवाल मिल गए थे. पटना में जहां छात्रों को एक जगह रखा गया और सारे जवाब रटवा गए. गोधरा में एग्जाम सेंटर ही सेट कर देने का आरोप है. अभी तक जो जानकारी मिल रही है, उसके अनुसार पुलिस को पूछताछ में तमाम परीक्षाओं के पेपर लीक और घोटालों के मास्टरमाइंड संजीव मुखिया की भी इस मामले में तलाश है. हालांकि, पुलिस की एफआईआर में उसका नाम दर्ज नहीं है, लेकिन जांच की आंच उसके नाम तक भी पहुंच रही है.
कौन है संजीव मुखिया
पुलिस की जांच में संजीव मुखिया का नाम आया है, जो बिहार के नालंदा जिले का रहने वाला है. मुखिया का जिले में दबदबा है. उसकी पत्नी ने लोक जनशक्ति पार्टी के टिकट पर हरनौत विधानसभा क्षेत्र से 2020 का विधानसभा चुनाव लड़ा था. मुखिया के बेटे शिव कुमार (जिसने पटना मेडिकल कॉलेज और अस्पताल से एमबीबीएस किया है) को बिहार पुलिस ने दो मामलों में गिरफ्तार किया है. पहला इस साल की शुरुआत में उज्जैन से बीपीएससी टीआरई पेपर लीक और दूसरा 2017 एनईईटी-यूजी प्रश्न पत्र लीक को लेकर. शिव कुमार का नाम इस साल की शुरुआत में आयोजित यूपी पुलिस भर्ती परीक्षा के मामले में भी सामने आया था.
संजीव मुखिया का नेटवर्क ऐसे काम करता है कि पूरे देश में पेपर लीक से उसका कनेक्शन निकल ही आता है. पहली बार 2016 में संजीव मुखिया की गिरफ्तारी तब हुई थी, जब इसने नीट का पेपर लीक करने की कोशिश की थी. जमानत पर एक बार छूटा तो फिर पुलिस उसको पकड़ नहीं पाई. उसका डॉक्टर बेटा शिव कुमार पेपर लीक वाले गैंग में शामिल है. उस पर आरोप है कि उसके पास ऐसे एक्सपर्ट हैं, जो पेपर बॉक्स को बिना सील तोड़े ही खोल सकते हैं. उसी तरह पेपर सॉल्वर की भी एक टीम उसने खड़ी कर रखी है.
क्यों लगता है उसका ही है काम
नीट पेपर लीक, यूपी पुलिस भर्ती और बिहार टीचर भर्ती परीक्षा एक-दूसरे से मिलती हुई नजर आ रही है, जिसमें संजीव मुखिया के खिलाफ सबूतों की कड़ियां जुड़ती जा रही हैं. पहली समानता तो यह है कि तीनों परीक्षाओं में पेपर लीक के आरोप लगे. दूसरी समानता यह है कि तीनों परीक्षाओं में उम्मीदवारों को सुरक्षित जगहों पर ले जाकर जवाब रटवा गए. तीसरी समानता यह कि उम्मीदवारों के मार्कशीट, आधार कार्ड, पैन कार्ड और चेक बुक समेत एडवांस पैसे जमा करा लिए गए और चौथी समानता यह है कि पेपर लीक कराने से लेकर पैसे की लेनदेन का पैटर्न एक जैसा ही है.
दरअसल, जिस बिहार से संजीव मुखिया आता है वहीं से पेपर लीक होने का आरोप भी लगा. पिछले एक महीने से ज्यादा दिनों से नीट परीक्षा में धांधली और पेपर लीक की घटना की जांच बिहार पुलिस इकोनॉमिक ऑफेंस विंग कर रही है, इसमें अब तक 13 लोग गिरफ्तार किए जा चुके हैं. इसमें से छह पेपर लीक कराने के मास्टरमाइंड हैं. मुख्य मास्टरमाइंड पुलिस गिरफ्त से बाहर है. इसमें चार छात्र और तीन उनके अभिभावक हैं. शुरुआती पूछताछ में इसकी पुष्टि हो गई है.
एनटीए नहीं कर रही मदद
इकोनॉमिक ऑफेंस विंग का कहना है कि इस जांच में एनटीए मदद नहीं कर रही है. अगर एनटीए प्रश्न पत्र के रखरखाव और प्रिंटिंग की सारी जानकारियां नहीं देती है तो यह जांच अधूरी रहेगी. जांच कई स्तरों पर होनी है. मास्टरमाइंड को शह देने वाले अधिकारी तक जांच के फंदे में फंस सकते हैं. ऐसी तमाम घटनाएं एक-दूसरे से जुड़कर यह बता रही हैं कि गड़बड़ घोटाला हुआ है. पेपर लीक को साबित करने वाली बहुत सारी घटनाएं सिर्फ इत्तेफाक नहीं हो सकतीं.
शिक्षा मंत्रालय धीरे-धीरे यह मानने लगा है कि नीट की परीक्षा में कुछ गड़बड़ियां हुई हैं, लेकिन वह अब भी यह मानने को तैयार नहीं है कि पेपर लीक हुआ है. जबकि पेपर लीक को लेकर आरोपों की झड़ी लगी हुई है. पेपर लीक की इस घटना को अगर हम विस्तार से समझें तो ये देश के लाखों परिश्रमी छात्रों का हौसला तोड़ने वाली घटना दिख रही है.
5 साल में 41 बार पेपर लीक
पिछले पांच साल में 15 राज्यों में पेपर लीक की घटनाएं सामने आ चुकी हैं. इस दौरान 41 नौकरी भर्ती परीक्षाओं के पेपर लीक हो गए. तेलंगाना और मध्य प्रदेश में पांच परीक्षाओं के पेपर लीक हुए. जम्मू-कश्मीर में तीन परीक्षाओं के पेपर लीक हुए. गुजरात में तो 14 से ज्यादा पेपर लीक के केस सामने आ गए. इस दरमियान बंगाल पब्लिक सर्विस कमीशन का भी पेपर लीक हो गया. उसी तरह तेलंगाना लोक सेवा आयोग के पेपर लीक हुए. तमिलनाडु में भी ऐसी ही घटनाएं सामने आई. महाराष्ट्र में लोक सेवा आयोग के पेपर लीक होने के आरोप लगे. 2022 में झारखंड में जूनियर इंजीनियर परीक्षा का पेपर लीक होने का आरोप लगा तो इस साल यूपी पुलिस सेवा भर्ती परीक्षा के पेपर लीक हो गए. अक्टूबर 2023 में बिहार सिपाही भर्ती का पर्चा लीक होने का आरोप लगा था.
यह सारे मामले परीक्षाओं में भ्रष्टाचार के दीमक के घुसने की गवाही दे रहे हैं. शिक्षा मंत्रालय और एनटीए की सफाई बहुत सारे लोगों के गले नहीं उतर रही है. इस बीच बहुत सारे छात्रों और मेडिकल की तैयारी कराने वाली कोचिंग संस्थानों को लगता है कि इस गड़बड़ी को सुप्रीम कोर्ट ही ठीक कर सकता है. इसलिए सुप्रीम कोर्ट में नीट परीक्षा और पेपर लीक को लेकर बहुत सारी याचिकाएं पहुंच चुकी हैं. हालांकि ग्रेस मार्क्स हटा दिए गए हैं, जिन्हें ये मार्क्स मिले थे, उनकी परीक्षा फिर से हो रही है. मगर, बात अब ग्रेस मार्क्स से आगे पेपर लीक तक पहुंच गई है. इन मामलों पर सुप्रीम कोर्ट 8 जुलाई को सुनवाई करेगा.