आज के समय में चाय की टपरी से लेकर सब्जी की दुकान तक, आप कहीं भी नजर उठा कर देख लीजिए. शायद ही कहीं कोई ऐसा दुकान दिखे जहां यूपीआई से पमेंट ना एक्सेप्ट किया जाता हो. ऐसा होने के पीछे दो मुख्य वजहें हैं. पहला- इंटरनेट की आसान पहुंच और दूसरा- यूपीआई से पेमेंट करने पर कोई अलग से शुल्क का भुगतान ना करना. अब इसके बात एक नया सवाल ये खड़ा हो रहा है कि इस सर्विस को बिना किसी चार्ज के चलाना सरकार के लिए आसान है या मुश्किल. बता दें कि इसे संचालित करने के लिए सरकार को काफी खर्च करना पड़ता है. अगर सरकार इसे मैनेज करने के लिए शुल्क लेती है तो क्या होगा? इसी को लेकर एक सर्वे हुआ है.
क्या कहता है सर्वे?
यूपीआई सर्विस पर यदि किसी तरह का लेनदेन शुल्क लगाया जाता है, तो 75 प्रतिशत यूजर्स इसका इस्तेमाल बंद कर देंगे. लोकलसर्किल्स के सर्वे में यह निष्कर्ष निकाला गया है. सर्वेक्षण के अनुसार, 38 प्रतिशत यूजर्स अपना 50 प्रतिशत भुगतान लेनदेन डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड या किसी अन्य प्रकार के डिजिटल माध्यम के बजाय यूपीआई के जरिये करते हैं.
सर्वे कहता है कि सिर्फ 22 प्रतिशत यूपीआई यूजर्स भुगतान पर लेनदेन शुल्क का बोझ उठाने को तैयार हैं. वहीं 75 प्रतिशत लोगों ने कहा कि अगर लेनदेन शुल्क लगाया जाता है, तो वे यूपीआई का उपयोग करना बंद कर देंगे. यह सर्वे तीन व्यापक क्षेत्रों पर किया गया है. इसमें 308 जिलों से 42,000 प्रतिक्रियाएं मिली हैं. हालांकि प्रत्येक प्रत्येक प्रश्न पर उत्तरों की संख्या अलग-अलग थी.
यूपीआई पेमेंट में आई रिकॉर्ड तेजी
यूपीआई पर लेनदेन शुल्क से संबंधित प्रश्न को लेकर 15,598 प्रतिक्रियाएं प्राप्त हुईं. भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) ने 2023-24 में इससे पिछले वित्त वर्ष की तुलना में लेन-देन की मात्रा में रिकॉर्ड 57 प्रतिशत और मूल्य में 44 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है. पहली बार किसी वित्त वर्ष में यूपीआई लेन-देन 100 अरब को पार कर गया है. यह 2023-24 में 131 अरब रहा, जबकि 2022-23 में यह 84 अरब था.
रिपोर्ट में कहा गया है कि मूल्य के लिहाज से यह 1,39,100 अरब रुपये से बढ़कर 1,99,890 अरब रुपये पर पहुंच गया है. सर्वे के अनुसार, 37 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने मूल्य के लिहाज से अपने कुल भुगतान के 50 प्रतिशत से अधिक के लिए यूपीआई लेन-देन खातों को साझा किया.
लोगों के लिए यूपीआई बना जरूरत
सर्वेक्षण रिपोर्ट में कहा गया है कि यूपीआई तेजी से 10 में से चार उपभोक्ताओं के भुगतान का अभिन्न अंग बन रहा है. इसलिए किसी भी तरह का प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष लेनदेन शुल्क लगाए जाने का कड़ा विरोध हो रहा है. लोकल सर्किल्स इस सर्वेक्षण के निष्कर्षों को वित्त मंत्रालय और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के साथ आगे बढ़ाएगा, ताकि किसी भी एमडीआर शुल्क की अनुमति देने से पहले यूपीआई यूजर्स की नब्ज को ध्यान में रखा जा सके. यह सर्वे 15 जुलाई से 20 सितंबर के बीच ऑनलाइन आयोजित किया गया था.