जालंधर: करीब 60 करोड रुपए खर्च करके जालंधर नगर निगम ने हाल ही में शहर में 72 हजार से ज्यादा नई एल.ई.डी स्ट्रीट लाइटें लगवाई हैं परंतु इस सिस्टम का कोई लाभ शहर को नहीं मिल पा रहा क्योंकि इस समय भी 10 हजार से ज्यादा नई लगी स्ट्रीट लाइटें बंद पड़ी हैं और कई क्षेत्र तो पूरी तरह से अंधेरे में डूबे हुए हैं जबकि पूरा शहर भी अंधेरे में डूबने के कागार पर है।

लाइटें लगाने वाली कंपनी और नगर निगम के बीच पिछले कई महीनों से विवाद चला आ रहा है और पूरा प्रोजेक्ट ही गड़बड़ी से भरा हुआ है। इसकी विजीलैंस जांच के आदेश तक हो चुके हैं। निगम जहां कंपनी को मेंटेनेंस की राशि देने में आनाकानी कर रहा है वही कंपनी अपने कर्मचारियों को वेतन का भुगतान समय पर नहीं कर रही जिस कारण कंपनी कर्मचारी अब लेबर कोर्ट की शरण में चले गए हैं। कंपनी कर्मचारियों ने बताया कि लाइटें एच.पी.एल. कंपनी द्वारा लगाई गई जबकि मेंटेनेंस का काम उनके ही एक यूनिट मनखा द्वारा किया जा रहा है।

कंपनी ने करीब 50 कर्मचारी लाइटों की मेंटेनेंस हेतु रखे हुए हैं परंतु फरवरी 2024 से उन्हें वेतन तक नहीं दिया गया। इस कारण कर्मचारियों के घरों का गुजारा नहीं हो रहा। माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में स्ट्रीट लाइटों का संकट और बढने की आशंका है क्योंकि विवादित प्रोजैक्ट होने के कारण निगम कंपनी को रैगुलर भुगतान नहीं कर पाएगा और कंपनी की आनाकानी भी बनी रहेगी इसलिए शहर निवासियों को लंबे समय तक बंद स्ट्रीट लाइटों का संताप झेलना पड़ सकता है। सनद रहे कि स्थानीय निकाय मंत्री बलकार सिंह को खुद शहर में विकास कार्यों के लिए समक्षा बैठक करनी पड़ी जिसमें उन्होंने कहा कि 15 दिन में सभी स्ट्रीट लाइटें सही की जाए।

दिन के समय भी जलती रहती हैं ज्यादातर स्ट्रीट लाइटें
पता चला है कि एल.ई.डी. स्ट्रीट लाइटें लगाने वाली कंपनी ने इन दिनों जो स्टाफ दिहाड़ी पर रखा हुआ है, उसने ज्यादातर स्ट्रीट लाइटों के कनैक्शन सीधे पावरकाम की लाइन से कर दिए हैं, जिस कारण दिन के समय भी ज्यादातर लाइटें जलती रहती हैं। कई जगह पर तो स्ट्रीट लाइटों को डिस्को लाइटों की तरह जलते बुझते भी देखा जा रहा है। इस कारण नगर निगम की भारी बदनामी हो रही है।