इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने शुक्रवार को उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति को जमानत देने से इनकार कर दिया है. गायत्री प्रजापति सामूहिक दुष्कर्म के लिए आजीवन कारावास की सजा काट रहे है. जस्टिस विवेक चौधरी और जज मोहम्मद एफए खान की पीठ ने पूर्व मंत्री को जमानत देने से मना कर दिया.
लखनऊ पीठ ने इस मामले में सुनवाई पूरी होने के बाद 10 सितंबर को अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया था. एक विशेष अदालत द्वारा दोषसिद्धि के खिलाफ प्रजापति की अपील लंबित रहने के दौरान उसने जमानत याचिका दायर की थी. समाजवादी पार्टी की सरकार में खनन मंत्री रहे प्रजापति को मार्च, 2017 में गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था.
HC के आदेश के बाद दर्ज किया गया था मामला
समाजवादी सरकार में मंत्री रहे प्रजापति पर एक महिला से दुष्कर्म करने और उसकी बेटी से दुष्कर्म का प्रयास करने का आरोप है. गिरफ्तारी के बाद से ही प्रजापति जेल में है. सपा नेता के खिलाफ फरवरी, 2017 में हाईकोर्ट के एक आदेश के बाद लखनऊ के एक थाने में मामला दर्ज किया गया था. इस मामले में पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति और छह अन्य लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था.
गायत्री प्रजापति और छह अन्य लोगों पर सामूहिक दुष्कर्म, धमकी देने और यौन अपराध से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम की धाराओं के तहत मामला दर्ज हुआ था. वहीं, नवंबर, 2021 में प्रजापति और दो अन्य को इस मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी. जबकि अपर्याप्त सबूत होने की वजह से बाकी आरोपियों को आरोपों से बरी कर दिया गया था.
मंत्री के आवास पर हुआ था सामूहिक दुष्कर्म
समाजवादी पार्टी की सरकार में खनन मंत्री रह चुके गायत्री प्रसाद प्रजापति के खिलाफ चित्रकूट की एक महिला और उसकूी नाबालिग बेटी के साथ गैंगरेप करने का आरोप है. महिला ने आरोप लगाया था कि वह मंत्री गायत्री प्रजापति से मिलने उनके आवास पर पहुंची थी. वहीं, मंत्री और उनके कुछ साथियों ने उसे नशीली पदार्थ खिला दी और फिर नाबालिग बेटी के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया था. वहीं, अब हाईकोर्ट ने गायत्री प्रसाद की जमानत याचिका को खारिज कर दिया है.