उत्तर प्रदेश के माफिया डॉन और पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी की मौत को पांच महीने से ज्यादा हो गए हैं. मुख्तार बांदा जेल की जिस तन्हाई बैरक में कैद था वहां अभी भी किसी कैदी को हीं लाया गया है. बैरक अभी भी सील है. मगर उसकी सुरक्षा व्यवस्था आज भी पहले के जैसी ही है. यानि बैरक की निगरानी 6 सीसीटीवी कैमरों से की जाती है. बाहर एक सुरक्षा गार्ड को तैनात किया जाता है. 24×7 इस बैरक पर नजर रखी जाती है. जेलर ने इसके पीछे की वजह बताई.
पंजाब की रोपड़ जेल से मुख्तार अंसारी को सात अप्रैल 2021 को बांदा लाया गया था. इसके बाद बांदा मंडल कारागार की सुरक्षा और बढ़ा दी गई थी. हाई सिक्योरिटी जेल की चप्पे-चप्पे पर निगरानी के लिए सीसीटीवी कैमरे लगाए गए थे. जिस बैरक में मुख्तार अंसारी को रखा गया उसकी निगरानी के लिए अलग से छह कैमरे लगवाए गए थे. बैरक में लगे कैमरे सीधे कमांड ऑफिस लखनऊ से कनेक्ट किए गए थे.
28 मार्च की शाम को दिल का दौरा पड़ने से मुख्तार अंसारी की मौत हो गई. मौत पर कई तरह के सवाल उठे तो ज्यूडिशियल और मजिस्ट्रेटी जांच बैठाई गई. मुख्तार का परिवार इसे हत्या बता रहा है. उनका कहना है कि मुख्तार की मौत जेल के अंदर धीमा जहर देने से हुई है. वो बार-बार कोर्ट से बस यही अपील कर रहे हैं कि मामले की फिर से जांच हो. क्योंकि मुख्तार की ये कोई साधारण मौत नही है.
जेल अधिकारी रखते हैं हर पल नजर
मुख्तार की मौत को पांच महीने बीत चुके हैं. लेकिन अभी तक यह बैरक सील है. कोई भी बंदी यहां नहीं लाया गया है. जांच भी पूरी हो चुकी है. रिपोर्ट तक शासन को भेजी जा चुकी है. फिर भी बैरक सील है. उसकी निगरानी के लिए कैमरे अभी भी चालू हैं और जेल अधिकारी लगातार बैरक पर नजर रख रहे हैं.
क्या कहा बांदा जेलर ने?
इस मामले में बांदा मंडल कारागार के जेलर ने बताया- मुख्तार अंसारी की मौत की ज्यूडिशियल और मजिस्ट्रेटी जांच के लिए साक्ष्य संकलन के बाद तन्हाई बैरक को सील कराया गया था. तब से बैरक सील है. अब तक बैरक को खोलने के आदेश नहीं हुए हैं. सुरक्षा-व्यवस्था और निगरानी पहले जैसी ही है. छह सीसीटीवी कैमरों से बैरक पर नजर रखी जाती है. जब तक इसे खोलने के आदेश नहीं मिलते तब तक इसी तरह यहां निगरानी रखी जाएगी. न ही किसी बंदी को तब तक लाया जाएगा.