भारत में रिटेल महंगाई बढ़ने के संकेत फिर से दिखने लगे हैं. गुरुवार को सरकार उपभोक्ता मूल्य इंडेक्स पर आधारित रिटेल महंगाई के आंकड़े पेश किए. अगस्त 2024 में ये जुलाई 2024 के मुकाबले मामूली ही रूप से बढ़ चुकी है. अगस्त 2024 में रिटेल महंगाई दर 3.65 प्रतिशत रही है. इसमें सबसे जरूरी बात ये है कि अब देश में शहरों के मुकाबले ग्रामीण इलाकों में महंगाई दर ज्यादा है, यानी महंगाई का असर गरीब लोगों पर ज्यादा पड़ रहा है.

कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) बेस्ड महंगाई दर जुलाई में 3.60 प्रतिशत थी. हालांकि अगस्त 2023 से तुलना करें तो अब महंगाई का स्तर करीब 50 प्रतिशत तक नीचे आया है, क्योंकि महंगाई तब 6.83 प्रतिशत थी.

गरीब पर महंगाई का ज्यादा असर

भारत के रिटेल महंगाई के आंकड़े एक और सच की ओर इशारा करते हैं. वो ये कि ग्रामीण इलाकों में महंगाई का स्तर ज्यादा है. जबकि शहरी इलाकों में महंगाई तुलनात्मक तौर पर कम बनी हुई है. अगस्त 2024 में ग्रामीण महंगाई दर 4.16 प्रतिशत रही, जबकि शहरी इलाकों में ये 3.14 प्रतिशत रही है. इससे पिछले महीने जुलाई 2024 में रुरल इंफ्लेशन 4.10 प्रतिशत थी. जबकि अबर्न इंफ्लेशन रेट 3.03 प्रतिशत.

पिछले साल अगस्त से तुलना करने पर भी यही पैटर्न दिखता है. अगस्त 2023 में ग्रामीण महंगाई दर 7.02 प्रतिशत थी. जबकि शहरी महंगाई दर 6.59 प्रतिशत के स्तर पर बनी हुई थी.

नहीं घट रहा रसोई का बजट

रिटेल महंगाई का एक बड़ाउ हिस्सा फूड प्राइस इंडेक्स का होता है. फूड प्राइस इंडेक्स के तहत देश में खाद्य पदार्थों की कीमतों के बढ़ने का आकलन किया जाता है. देश में फूड इंफ्लेशन अगस्त में 5.66 प्रतिशत रही है. जबकि जुलाई 2024 में ये आंकड़ा 5.42 प्रतिशत था. पिछले साल अगस्त में फूड इंफ्लेशन का रेट 9.94 प्रतिशत था.

अगर खाद्य पदार्थों में देखें तो अगस्त 2024 में सबसे ज्यादा कीमतें दाल और उससे जुड़े उत्पाद जैसे कि बेसन इत्यादि की बढ़ी हैं. इनकी महंगाई की दर 14.36 प्रतिशत रही है.

ओवरऑल देखा जाए तो अगस्त में महंगाई लगातार दूसरे महीने 4 प्रतिशत के स्तर से नीचे रही है. आरबीआई को देश में महंगाई का स्तर 4 प्रतिशत से नीचे रखने का ही टास्क मिला है.

सुस्त पड़ी उद्योग की भी रफ्तार

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने गुरुवार को उद्योग से जुड़े आंकड़े भी जारी किए. इस साल जुलाई में खनन और मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर के खराब प्रदर्शन की वजह से देश में औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर सुस्त पड़कर 4.8 प्रतिशत पर आ गई. औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) में देश के अंदर कारखानों में होने वाले उत्पादन को मापा जाता ह. पिछले साल जुलाई में ये 6.2 प्रतिशत बढ़ा था.