उत्तर प्रदेश में भेड़ियों का आतंक कम होने का नाम नहीं ले रहा है. भेड़ियों के हमले की एक के बाद एक कई घटनाएं सामने आती जा रही हैं. जहां अभी तक बहराइच में उनको पकड़ने की कवायद की जा रही है तो वहीं दूसरी तरफ अब कई और जगहों पर भी ये हमले देखने को मिल रहे हैं. उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के करीब बाराबंकी में भी इन दानवों के आतंक की वजह से गांव के लोगों का घर से निकलना दुभर हो गया है.
यहां बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे हैं. वन विभाग हमला करने वाले जंगली जानवर को अब तक खोज नहीं पाया है. हैरानी की बात तो यह है कि हमला करने वाला जानवर कौन सा है, वन विभाग उसका भी अब तक पता नहीं लगा पाया है. लेकिन विभाग की इन हवाई कोशिशों के बीच प्रभावित इलाकों के ग्रामीणों की आंखों से नींद गायब हो चुकी है. अपने परिवार की चिंता के चलते लोग खुद सोए बिना बच्चों की रखवाली के लिए हाथ में लाठी डंडे लेकर पहरेदारी कर रहे हैं. ग्रामीणों का दावा है कि उन्होंने रात में उस जंगली जानवर को देखा है. वहीं लोगों का यह भी आरोप है कि वन विभाग उनसे भेड़िया को सियार कहने का दबाव बना रहा है.
कई गावों में दहशत का माहौल
पूरा मामला बाराबंकी में हरख वन क्षेत्राधिकार में आने वाले गांवों का है जहां जंगली जानवरों के हमले के बाद से क्षेत्र के कई गावों में दहशत का माहौल है. दहशत के कारण ग्रामीण अपने खेतों तक भी नहीं जा पा रहे हैं. दरअसल गोछौरा गांव की रहने वाले रिजवाना बीते मंगलवार को खेतों में बकरी चराने के लिए गई हुई थी. उसी दौरान एक जंगली जानवर ने उस पर हमला कर दिया, जिससे रिजवाना को कई जगह चोटें आईं. जंगली जानवर के हमले से क्षेत्र के तमाम गावों में ग्रामीणों की रात जागते बीत रही है. डर के कारण ग्रामीण दिन में भी अपने खेतों तक जाने से बच रहे हैं. बच्चों को स्कूल नहीं भेजा जा रहे हैं. वन विभाग ने भी हथियार डाल दिये हैं. ग्रामीणों का दावा है कि उनके गांव में भेड़िया ही है. वहीं लोगों का आरोप है कि वन विभाग उनपर भेड़िये को सियार कहने का दबाव बना रहा है.
भेड़िये को सियार बताने का दबाव
ग्रामीणों ने बताया कि जिन गांवों से होकर जानवर गुजरा या फिर हमला किया वहां के लोग डरे हुए हैं पर हिम्मत जुटाकर रात दिन जानवर को तलाश रहे हैं. ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने जानवर देखा पर विभाग ये तक नहीं बता सका कि यह जानवर कौन सा है. गांव वालों का कहना है कि हम लोग लाठी-डंडे लेकर रखवाली कर रहे हैं. ग्रामीणों ने खुद मोर्चा तो संभाला ही है. वो सर्च में जुटी टीमों का पूरा साथ भी दे रहे हैं. इसके बावजूद दहशत का आलम यह है कि शाम घिरते ही बड़े और बच्चे अपने घरों में कैद हो जा रहे हैं. परिवार के अन्य सदस्य सोते हैं तो बाकी सदस्य हाथ में लाठियां लेकर रातभर जाग कर पहरेदारी करते हैं.