ग्वालियर। स्वास्थ्य विभाग के दावे और दिखावों के बीच मुरार डेंगू का डेंजर जोन बन गया है। यहां अब तक 36 केस मिल चुके हैं। इस तरह मुरार पहले, लश्कर दूसरे और उपनगर ग्वालियर क्षेत्र तीसरे नंबर पर है। मलेरिया विभाग लार्वा सर्वे और दवा छिड़काव के साथ फागिंग किए जाने का दावा तो कर रहा है, लेकिन इन क्षेत्रों में डेंगू के मरीजों के मिलने का सिलसिला जारी है। जनवरी से अब तक 260 मरीज मिल चुके हैं।
शहरी क्षेत्र का मुरार संवेदनशील हो गया है। यहां के वार्ड 18, 60, 26, 23 में डेंगू के मच्छर ज्यादा सक्रिय हैं। इसके साथ ही लश्कर क्षेत्र के वार्ड 51, 56, 57, 52 में भी डेंगू जोर पकड़ रहा है। पिछले 24 घंटे में मुरार क्षेत्र में 23 डेंगू पीड़ित मरीज मिल चुके हैं। लश्कर आठ और ग्वालियर में छह मरीज मिले हैं। यह हालात तब हैं जब मलेरिया विभाग रोजाना सर्वे और दवा का छिड़काव करने का दावा कर रहा है।
पांच हजार 418 की जांच में 260 को निकला डेंगू
गजराराजा चिकित्सा महाविद्यालय व जिला अस्पताल मुरार की लैब में अब तक पांच हजार 418 सैंपल की जांच हुईं। जिनमें 260 डेंगू पाजिटिव निकले। खास बात यह है कि जिला अस्पताल की लैब में हुई जांच में सबसे ज्यादा पाजिटिव केस निकले हैं। जांच के लिए दोनों अस्पताल की लैब में रोजाना सैंपल पहुंच रहे हैं। आठ हजार से ज्यादा घरों में मिल चुका है लार्वा: मलेरिया विभाग द्वारा किए जा रहे लार्वा सर्वे के दौरान अब तक 8 हजार से ज्यादा घरों में लार्वा मिल चुका है। जिसे मौके पर ही नष्ट कराया गया। तीन लाख से ज्यादा घरों का सर्वे मलेरिया टीम ने किया है।
152 सैंपल की जांच में दस निकले डेंगू पाजिटिव
बुधवार को एक बार फिर दस मरीजों को डेंगू की पुष्टि हुई। 152 सैंपल की जांच में यह पाजिटिव निकले। सात मरीज दूसरे जिले के भी हैं। पीड़ितों में छह साल की बच्ची से लेकर 40 साल का युवक शामिल है। इस रिपोर्ट में मुरार, ग्वालियर, लश्कर, हस्तिनापुर तक के मरीज पाजिटिव निकले हैं। इन लोगों को डेंगू की पुष्टि होने के बाद मलेरिया विभाग इनसे संपर्क कर लार्वा सर्वे के लिए टीम भेजेगी।
मुरार जिला अस्पताल में डेंगू वार्ड तक नहीं
मुरार जिला अस्पताल में डेंगू वार्ड तक नहीं हैरान करने वाली बात तो यह है कि जिस क्षेत्र में सबसे ज्यादा डेंगू के मरीज मिल रहे हैं। उसी क्षेत्र के सबसे बड़े अस्पताल मुरार में ही अब तक डेंगू वार्ड नहीं बन सका है। यहां इलाज के लिए पहुंचने वाले मरीजों को सामान्य वार्ड में ही भर्ती किया जा रहा है। ऐसे में दूसरे मरीजों को संक्रमण होने का खतरा बना हुआ है।