राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से सटे हरियाणा के फरीदाबाद में आर्यन हत्याकांड बुरी तरह से उलझ चुका है. इस वारदात के 13 दिन गुजर चुके हैं, लेकिन अभी भी उन सवालों के जवाब नहीं मिले हैं जो पहले दिन से उठ रहे हैं. मसलन, आखिर आर्यन को किसने मारा? आर्यन को ही क्यों मारा? जब पहली गोली में ही मौत हो गई थी तो दूसरी गोली चलाने की जरूरत क्या थी? इस वारदात में गाड़ी में बैठे किसी और व्यक्ति को एक खरोंच भी क्यों नहीं आई? क्या वारदात के पीछे निजी दुश्मनी है और इसे कथित तौर पर गो-तस्करी का रुप देने की कोशिश हो रही है?

इन सभी सवालों को पुलिस से पूछकर थक चुके आर्यन के पिता ने जेल में आरोपियों से मुलाकात की. यही सवाल उनसे भी पूछे, लेकिन आरोपी खामोश रहे. हम यहां इन्हीं सवालों को नए सिरे से टटोलने की कोशिश करेंगे. आर्यन मिश्रा के पिता सियानंद मिश्रा यहां किराए के घर में रह रहे थे. उन्होंने बताया कि मकान मालिक को उन्होंने 4 लाख 15 हजार रुपये उधार दिए थे. उनके बेटे आर्यन ने भी उन्हें 25 हजार रुपये उधार दिए थे. वह बीते छह महीने से अपने पैसे मांग रहे थे. उन्होंने आशंका जताई कि मकान मालिक ने ही उधारी चुकाने से बचाने के लिए आर्यन की हत्या कराई हो सकती है.

पांच लोग बैठे थे गाड़ी में

इसके पीछे उन्होंने तर्क दिया कि रात के एक बज रहे थे, उस समय मकान मालिक के बेटे हर्षित ने आर्यन को फोन किया और मैगी खाने चलने को कहा. गाड़ी खुद हर्षित चला रहा रहा था, जबकि उसका अपराधी भाई शैंकी, जिसके ऊपर हथियारों की स्मगलिंग और हत्या के प्रयास का मुकदमा दर्ज है, पुलिस उसकी तलाश भी कर रही है, वह अपनी मां और एक अन्य महिला के साथ पीछे बैठा. इसके बाद सेक्टर 21 बी में कथित गो-रक्षकों ने इनकी गाड़ी को हाथ दिया तो हर्षित गाड़ी भगाकर पलवल की ओर ले गया.