हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए पांच सितंबर से नामांकन प्रक्रिया शुरू हो रही है. बीजेपी लगातार तीसरी बार सत्ता बनाने के लिए राजनीतिक बिसात बिछाने में जुटी है तो कांग्रेस अपनी वापसी के लिए बेताब है. ऐसे में हरियाणा की सियासत में मुस्लिम समुदाय का भले ही बहुत ज्यादा प्रभाव न हो लेकिन मेवात की राजनीति पूरी तरह मुस्लिमों के इर्द-गिर्द सिमटी हुई है. मुस्लिम वोटों पर कांग्रेस से लेकर इनेलो और जेजेपी की ही नहीं बीजेपी की भी नजर है. ऐसे में देखना है कि हरियाणा में मुस्लिमों की पसंद कौन बनता है?

2011 की जनगणना के मुताबिक हरियाणा में मुस्लिम आबादी महज 7.2 फीसदी है और राज्य में हिंदुओं की आबादी 87.46 फीसदी है. प्रदेश में कुल 2.54 करोड़ की आबादी में मुस्लिम समाज की आबादी 17 लाख 81 हजार है. राज्य के 21 जिलों की बात करें तो सिर्फ नूंह (मेवात) जिले में मुस्लिमों का दबदबा है. मेवात में करीब 70 फीसदी मुस्लिम आबादी है. इसलिए लंबे समय से नूंह जिले की तीन सीटों पर मुस्लिम विधायक ही चुने जाते रहे हैं.

कांग्रेस का परंपरागत वोटर

हरियाणा का मुस्लिम मतदाता कांग्रेस का परंपरागत वोटर रहा है, लेकिन ओम प्रकाश चौटाला की पार्टी इनेलो की भी अपनी पकड़ रही है. मुस्लिम वोटों में सेंधमारी के लिए बीजेपी ने मुस्लिम दांव भी चला लेकिन सफल नहीं हो सकी. 2024 के लोकसभा चुनाव में मुस्लिम समुदाय ने एकमुश्त होकर कांग्रेस को वोट दिया था. सीएसडीएस के आंकड़ों की माने तो हरियाणा के 92 फीसदी मुस्लिमों ने कांग्रेस के पक्ष में वोटिंग किया था, पांच फीसदी मुसलमानों ने ही बीजेपी को वोट किए थे.

इन सीटों पर नहीं जीती बीजेपी

हरियाणा में महज मेवात का इलाका है, जहां मुस्लिम वोटर निर्णायक हैं. मेवात इलाके में 5 विधानसभा सीटें आती हैं, जिनमें नूंह, पुन्हाना, फिरोजपुर, झिरका विधानसभा सीट पर मुस्लिम वोटर निर्णायक हैं. इसके अलावा सोहना और हथीन विधानसभा सीट पर मुस्लिम वोटर किंगमेकर की भूमिका में हैं. फिरोजपुर, पुन्हाना और नूंह सीट पर बीजेपी का कमल कभी नहीं खिल सका. बीजेपी मेवात क्षेत्र के फिरोजपुर झिरका और नूंह, दो सीट पर मुस्लिम कैंडिडेट उतारने के बाद भी 2019 के चुनाव में जीत नहीं सकी.

यह है जीत का बड़ा कारण

मेवात क्षेत्र में मुस्लिमों की अधिक संख्या इन तीनों सीटों पर मुस्लिम प्रत्याशियों की जीत का बड़ा कारण है. इसलिए मेवात में फिरोजपुर झिरका और नूंह से बीजेपी मुस्लिम प्रत्याशी खड़ा करती रही है. इसी तरह गुड़गांव जिले में आने वाली पुन्हाना विधानसभा सीट भी मुस्लिमों का ही इलाका है, यहां से भी मुस्लिम विधायक बनता है. फिलहाल तीनों सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है. मुस्लिम वोटों के चलते यह इलाका कांग्रेस के लिए मुफीद माना जा रहा है, लेकिन सियासी परिवारो के इर्द-गिर्द ही पूरी मुस्लिम राजनीति सिमटी हुई है.

मेवात की सियासत के चौधराहट

मेवात का इलाका हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के बीच फैला हुआ है, लेकिन बात हरियाणा की सियासत में मुस्लिमों को लेकर करेंगे. मेवात में दो सबसे प्रमुख राजनीतिक परिवार खुर्शीद अहमद और तैय्यब हुसैन के इर्द-गिर्द पूरी सियासत सिमटी है. दोनों ने एक-दूसरे के खिलाफ कई संसदीय और विधानसभा चुनाव लड़े और कई बार पार्टियां बदली, लेकिन सियासी दबदबा कायम रहा.

दोनों परिवारों की विरासत

खुर्शीद अहमद 1962 और 1982 के बीच पांच बार विधायक रहे. 2020 में उनकी मृत्यु हो गई. अब इसी परिवार की विरासत आफताब अहमद के हाथ में है, जो नूंह से कांग्रेस विधायक हैं. वहीं, तैय्यब हुसैन के पिता यासीन खान स्वतंत्रता से पहले 1926 से 1946 तक अविभाजित पंजाब से विधायक रहे थे. हुसैन को तीन राज्यों, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान से विधायक होने का गौरव प्राप्त है. 2008 में उनकी मृत्यु हो गई, जिसके बाद उनके बेटे जाकिर हुसैन ने उनकी सियासी विरासत को आगे बढ़ाया. जाकिर हुसैन तीन बार विधायक और फिलहाल हरियाणा वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष हैं.

मेवात में तीसरा परिवार

मेवात में तीसरा परिवार रहीम खान का है, जो 1967, 1973 और 1982 में नूंह विधानसभा सीट से हर बार निर्दलीय विधायक बने. उनके बेटे मोहम्मद इलियास ने 1991 में कांग्रेस के टिकट पर यह सीट जीती थी. इलियास 2009 में इनेलो और 2019 में कांग्रेस टिकट पर और कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में नूंह जिले की पुन्हाना सीट से चुने गए थे.

कौन होगा मुसलमानों की पहली पसंद?

हरियाणा के मेवात को क्षेत्र कभी इनेलो का गढ़ माना जाता था. पिछले कुछ समय से यहां पर कांग्रेस का कब्जा है. इस समय नूंह जिले की तीनों सीटों पर कांग्रेस के विधायक हैं. इतिहास बताता है कि यहां के मतदाता किसी एक दल के साथ बंधकर नहीं रहे, इनेलो कांग्रेस और निर्दलीयों को भी मौका दिया है. इसी कारण जजपा व इनेलो को भी इस क्षेत्र से खास उम्मीदें हैं. मेवात में कांग्रेस के तीनों विधायक नूंह से आफताब अहमद, पुन्हाना से मोहम्मद इलियास और फिरोजपुर झिरका विधानसभा क्षेत्र से मोमन खान विधायक बड़े चेहरे हैं तो बीजेपी के पास जाकिर हुसैन है. ऐसे में देखना है कि मुस्लिमों की पहली पंसद कौन होता है?