ह्यूमन ट्रैफिकिंग… ये एक ऐसा अपराध है जिसके जाल में फंसने वाले बच्चों का मिल पाना लगभग नामुमकिन होता है. ना तो वह बच्चे मिलते हैं और ना ही उनका अपहरण करने वाले अपराधी. इन बच्चों को गिरफ्तार कर बेचने वाले अपराधी अक्सर बच्चों के आस-पास के लोग ही होते हैं. कभी नौकरी दिलाने के बहाने तो तभी किसी और तरीके से ये लोग बच्चों को बहला-फुसला लेते हैं और जो बच्चे छोटे होते हैं उनका अपहरण कर ये अपराधी इन बच्चों को या तो किसी को बेच देते हैं या फिर उनसे भींक मंगवाते हैं. कई बार तो उनका शोषण भी किया जाता है या फिर उनके अंगों की तस्करी की जाती है.
ये खौफनाक जाल भारत में इस कद्र फैला है की लोगों पर यकीन कर पाना मुश्किल है. एक ऐसा ही मामला सामने आया यूपी के इटावा से जहां से तीन दिन पहले एक दो साल का बच्चा गायब हो गया था. पुलिस ने छानबीन में पाया कि किरायेदार के तौर पर रहने वाली महिला ने ही अपने मकान मालिक के दो साल के बच्चे का अपहरण किया था. पुलिस ने इस मामले में दो महिलाओं को गिरफ्तार किया है.
बच्चे की हत्या का था प्लान
आरोप है की अपने मकान मालिक के बच्चे का पहले इन महिलाओं ने अपहरण किया, फिर उसको बेचने की कोशिश की. इसके लिए ये महिलाएं कई राज्यों में गईं, लेकिन किसी राज्य में बात नहीं बनी. जब कहीं बच्चा नहीं बिक पाया तो उन्होंने बच्चे की हत्या कर शव को ठिकाने लगाने का प्लान बनाना शुरू कर दिया. लेकिन समय रहते पुलिस ने बच्चे को सकुशल बरामद कर लिया.
बच्चे को बेचना चाहती थीं महिलाएं
पुलिस ने बच्चे का अपहरण करने वाली दोनों महिलाओं को जब अरेस्ट किया तो पकड़े जाने पर उन्होंने कई अहम जानकारियां दीं. महिलाओं ने बताया कि वो बच्चे को बेचना चाहती थीं. इसके लिए वो कई राज्यों में घूमीं. तीन दिनों में महिलाएं बच्चे को लेकर आगरा, नोएडा, हरियाणा से लेकर फतेहाबाद तक गई. लेकिन कहीं भी कोई बच्चे को खरीदने के लिए तैयार नहीं हुआ. इस कारण उन्होंने बच्चे से छुटकारा पाने के लिए उसके मर्डर को प्लान किया. लेकिन इससे पहले की बच्चे को मारकर शव को ठिकाने लगाया जाता, दोनों पकड़ी गईं.
पुलिस की तत्परता ने किया कमाल
मीडिया के प्रेशर की वजह से पुलिस पर इस केस को सुलझाने का काफी दवाब था. आखिरकार तीन दिनों की कोशिश के बाद पुलिस ने अपहृत बच्चे को मध्यप्रदेश के भिंड से बरामद किया. बच्चे की सकुशल बरामदगी करने वाली टीम को एसएसपी ने 25 हज़ार रुपए का इनाम दिया. ये अपने आप में काफी बड़ी सफलता है जो पुलिस के हाथ लगी है क्योंकि अक्सर ऐसे मामलों में ना तो बच्चे कभी मिल पाते हैं ना ही उनके अपहरणकर्ता का पता चलता है. लेकिन इस बार पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए बच्चे को तीन दिन में उसके घरवालों से मिलवा दिया.