बिहार की सियासत में क्या एक बार फिर से ‘खेला’ होने जा रहा है? आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के सिंगापुर से अपने स्वास्थ्य की जांच कराकर लौटने के साथ ही बिहार की सियासी हलचल तेज हो गई है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के बीच मंगलवार को मुलाकात हुई. अब दूसरे ही दिन लालू प्रसाद यादव ने आरजेडी के सभी विधायकों, विधान पार्षदों और विधानसभा का चुनाव लड़ चुके पूर्व प्रत्याशियों की बैठक बुला ली है. यह सियासी संयोग है कि फिर किसी नए प्रयोग के लिए पटकथा लिखी जा रही है.

सीएम नीतीश कुमार और पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव मंगलवार को मुख्यमंत्री सचिवालय में मिले. नीतीश-तेजस्वी की यह वन-टू-वन मुलाकात अचानक नहीं, बल्कि तयशुदा थी. बिहार में सूचना आयुक्त के पद पर होने वाली नियुक्ति पर मशविरा करने के लिए दोनों नेता मिले हैं. सूचना आयुक्त की नियुक्ति के लिए गठित कमेटी में मुख्यमंत्री के अलावा विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और एक कैबिनेट मंत्री होते हैं इसलिए दोनों नेता मिले हैं, लेकिन राजनीतिक गलियारों में चर्चा सूचना आयुक्त के संभावित नामों पर होने के बजाय नए सियासी केमिस्ट्री बनने को लेकर हो रही है.

हालांकि, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात के बाद तेजस्वी यादव जब बाहर निकले तो उन्होंने खुद ही सारी स्थिति सामने रख दी. उन्होंने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि कुछ नियुक्तियां होनी हैं, जिस पर मुख्यमंत्री के साथ चर्चा हुई है. सरकार इस संबंध में विधिवत जानकारी देगी.’ तेजस्वी ने कहा कि 65 प्रतिशत आरक्षण को संविधान की नौवीं अनुसूची में डालने के मुद्दे पर भी उनकी सीएम से बात हुई है. इस मुद्दे पर उन्होंने कहा कि मामला कोर्ट में हैं इस पर तेजस्वी यादव ने कहा कि वो भी कोर्ट पहुंच गए हैं, सरकार अपनी बात कोर्ट में रखे, वो भी अच्छी तरह से अपनी बात रखेंगे.

एक्टिव मोड में लालू यादव

वहीं, दूसरी तरफ लालू यादव ने अपने विधायक-एमएलसी की बैठक बुलाने का फरमान जारी कर दिया है. लालू यादव ने बुधवार को होने वाली बैठक में अपने विधायकों के साथ विधान परिषद के सदस्य और विधानसभा का चुनाव लड़ चुके प्रत्याशियों को बुलाया है. आरजेडी की तरफ से बैठक के बारे में सबको यही सूचना दी गई है कि पार्टी संगठन को मजबूत करने के लिए सबको बुलाया गया है. तेजस्वी यादव 10 सितंबर से बिहार में आभार यात्रा शुरू करने जा रहे हैं. माना जा रहा है कि लालू यादव उनकी यात्रा को कामयाब बनाने के लिए अपनी रणनीति पर काम शुरू कर चुके हैं इसलिए आरजेडी ने अपने नेताओं की बुधवार को बैठक बुलाई है.

बिहार सचिवालय में नीतीश और तेजस्वी की एक तरफ मुलाकात हो रही थी और दूसरी तरफ लालू यादव ने अपने नेताओं की बैठक बुला ली है. नीतीश और तेजस्वी के बीच हुई मुलाकात को लेकर कई कारण बताए जा रहे हैं, लेकिन इस मीटिंग ने अचानक बिहार में सियासी सरगर्मी बढ़ा दी है. तेजस्वी ने बैठक का मकसद सूचना आयुक्त की नियुक्ति बता दी है. इसके बाद भी कयास लगाए जा रहे हैं कि इस मुलाकात का मकसद सिर्फ सूचना आयुक्त की नियुक्ति तक ही सीमित नहीं था.

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि राज्य के मौजूदा राजनीतिक हालात पर भी दोनों नेताओं के बीच चर्चा हुई होगी. बिहार में सियासी खेल के कयास इसलिए लगाए जा रहे हैं कि 2022 में तेजस्वी और नीतीश की ऐसी ही एक-दो मुलाकातें हुई थीं और फिर सूबे का सियासी गेम बदल गया था. उस समय भी तेजस्वी यादव ने जाति जनगणना कराने की मांग को लेकर नीतीश से मिले थे. नीतीश ने तेजस्वी की मांग को उचित माना था. इसके बाद दूसरी मुलाकात भी इसी सिलसिले में हुई थी. इस तरह नीतीश कुमार एनडीए का पाला बदलकर महागठबंधन में शामिल हो गए थे. महागठबंधन की सरकार बिहार के अस्तित्व में आ गई थी.

वन-टू-वन मुलाकात में कोई खैरियत नहीं पूछता

नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव के बीच एक बार फिर से मुलाकात हुई है. नीतीश कुमार के एनडीए खेमे में जाने के बाद तेजस्वी यादव के साथ वन-टू-वन मुलाकात आठ महीने बाद हुई है. हालांकि,लोकसभा चुनाव के बाद पटना से दिल्ली आ रही फ्लाइट में दोनों को एक साथ देखा गया था. राजनीतिक विश्लेषक राज्य सूचना आयुक्त के मुद्दे पर नीतीश-तेजस्वी की मुलाकात को लेकर दलील दे रहे हैं है कि जब दो राजनेता मिलते हैं तो सिर्फ एजेंडे पर बात नहीं होती और न ही एक-दूसरे की खैरियत पूछते हैं. सियासी बातें और राजनीतिक समीकरण को लेकर भी एक दूसरे का मन लेते हैं इसलिए नीतीश और तेजस्वी के बीच हुई मुलाकात के सियासी मायने निकाले जा रहे हैं.

आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव सिंगापुर में स्वास्थ्य जांच करा कर लौटने के बाद से एक्टिव हैं. उन्होंने आते ही उनकी सियासी गतिविधियां भी तेज हो गई हैं. तेजस्वी यादव बिहार की यात्रा पर निकलने जा रहे हैं. इससे पहले आरजेडी ने अपने सभी विधायकों और विधान पार्षदों की चार सितंबर को पटना में बैठक बुलाई है. नेताओं का पटना पहुंचने का सिलसिला भी शुरू हो गया है. ऐसे में सियासी कयास भी लगाए जा रहे हैं.