गाज़ा में करीब 11 महीनों से जारी जंग का कोई समाधान नहीं निकल पाया. अमेरिका, क़तर और मिस्त्र की मध्यस्थता में महीनों चली बातचीत बेनतीज़ा रही. इसकी वजह इजराइली प्रधानमंत्री की नई शर्तें थीं जिनकी वजह से हमास ने सीज़फायर डील से इनकार कर दिया.

वहीं शनिवार को इजराइली सेना ने गाज़ा की सुरंग से 6 बंधकों के शव बरामद किए, जिससे इजराइल के लोगों में काफी आक्रोश देखने को मिला. हज़ारों की संख्या में लोग सड़कों पर उतर आए और नेतन्याहू से सीजफायर डील की मांग की. हमास के कब्ज़े में मौजूद बंधकों के परिवारों का मानना है कि इस डील के ज़रिए ही उनके अपनों को जिंदा वापस लाया जा सकता है.

सीजफायर डील पर इजराइल में दो फाड़?

इजराइली मीडिया के मुताबिक गठबंधन सरकार के कट्टरपंथी मंत्री बेन ग्वीर युद्धविराम और बंधकों की रिहाई के लिए बातचीत को रोकने के लिए अपनी ताकत का इस्तेमाल कर रहे हैं. रिपोर्ट्स के मुताबिक बेन ग्वीर ने कहा है कि, “आज सरकार में हमारे पास ताकत है और मुझे यह करने में कोई शर्म नहीं है कि हम किसी भी तरह की लापरवाह डील और बातचीत को रोकने के लिए अपनी ताकत का इस्तेमाल कर रहे हैं.”

वहीं सोमवार को इजराइल के लेबर फेडरेशन ने सीज़फायर की मांग करते हुए एक बड़ी हड़ताल बुलाई थी, जिसे बाद में कोर्ट ने अवैध करार देते हुए खत्म करने का आदेश दिया. कोर्ट का यह आदेश दक्षिणपंथी मंत्री बेत्ज़ेल स्मोत्रिच की अपील के बाद आया जब उन्होंने इसे अवैध राजनीतिक हड़ताल बताया.

इससे पहले रविवार को लाखों इजराइली नागरिकों ने नेतन्याहू सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया, लोगों ने 6 बंधकों की मौत के लिए नेतन्याहू सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए सीजफायर डील और बंधकों की रिहाई करवाने की मांग की. इस दौरान पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प भी हुई.

साफ है कि एक ओर इजराइल की जनता सीज़फायर डील का समर्थन कर रही है तो वहीं दूसरी ओर दक्षिणपंथी नेता इसे रोकने के लिए एड़ी-चोटी का ज़ोर लगा रहे हैं.

बंधकों के परिवार से नेतन्याहू की माफी

गाजा की सुरंग में बंधकों के शव मिलने से इजराइल के लोगों में काफी आक्रोश है. सोमवार को प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने बंधकों के परिवार से माफी मांगी. उन्होंने कहा कि, “मैं आप सभी से माफी मांगता हूं क्योंकि हम आपके प्रियजनों को जिंदा वापस लाने में कामयाब नहीं हो पाए, हम इसके बेहद करीब थे लेकिन उन्हें बचा नहीं पाए.”