हिन्दू धर्म में महिलाओं के लिए सोमवती अमावस्या का व्रत विशेष महत्व रखता है. सोमवती अमावस्या के दिन व्रत रखने से सुहागिन महिलाओं को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है. ऐसी मान्यता है कि सुहागिन महिलाओं के लिए सोमवती अमावस्या का व्रत तोड़ने का सही समय और विधि जानना बेहद जरूरी है. यह व्रत भगवान शिव को समर्पित होता है और इसे तोड़ने के लिए कुछ विशेष नियमों का पालन करना होता है. आमतौर पर सोमवती अमावस्या व्रत का पारण अगले दिन सूर्योदय के बाद ही करने का विधान है और पारण से पहले किसी ब्राह्मण को दान देना बहुत ही शुभ माना जाता है.
पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि 2 सितंबर को सुबह 5 बजकर 21 मिनट पर शुरू हो चुकी है और 3 सितंबर दिन मंगलवार को 7 बजकर 54 मिनट पर खत्म होगी. 3 सितंबर को सूर्योदय 6 बजकर 2 मिनट पर होगा. यानि सुहागिन महिलाएं और कुवांरी कन्याएं 3 सितंबर को सुबह 6 बजकर 2 मिनट से 7 बजकर 54 मिनट तक व्रत का पारण कर सकती है. व्रत के पारण के लिए सिर्फ 1 घंटा 52 मिनट का समय मिलेगा.
व्रत पारण विधि
- सोमवती अमावस्या व्रत का पारण करने से पहले स्नान कर साफ कपड़े पहनें.
- व्रती महिलाएं भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करें और उनका आशीर्वाद लें.
- किसी गरीब या जरूरतमंद को भोजन, वस्त्र या धन का दान करें.
- पारण के समय ओम नमः शिवाय मंत्र का जाप करें और ध्यान करें.
- पारण के लिए सात्विक भोजन का सेवन करें. इसमें फल, दूध, दही आदि शामिल हो सकते हैं.
पारण के नियम
- व्रत का पारण करते समय केवल सात्विक भोजन का सेवन करें.
- पारण के समय शांत वातावरण में बैठें और पूर्व दिशा की ओर मुंह करके बैठें.
- पारण के दौरान भगवान शिव पर ध्यान केंद्रित करें.
- भगवान शिव का आशीर्वाद पाने के लिए उनका धन्यवाद करें.
इन बातों का रखें खास ध्यान
ऐसी मान्यता है कि अगर व्रत के नियमों का पालन नहीं किया जाता है तो व्रत का पूरा फल नहीं मिलता है. इसके अलावा व्रत तोड़ने में जल्दबाजी करने या गलत तरीके से तोड़ने से जीवन में स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं. इसलिए व्रत तोड़ने का समय और विधि अलग-अलग धार्मिक ग्रंथों और परंपराओं के अनुसार भिन्न हो सकती है. इसलिए, किसी धार्मिक गुरु या पंडित से सलाह लेना सबसे अच्छा होता है. सोमवती अमावस्या का व्रत तोड़ने के लिए उपरोक्त नियमों का पालन करके आप व्रत का पूरा फल प्राप्त कर सकते हैं.