राजस्थान के जैसलमेर से एक स्वास्थ्य विभाग में बड़ी लापरवाही का मामला सामने आया है. एंटिलार्वा दवाइयों का छिड़काव इन दिनों जैसलमेर में स्वास्थ्य विभाग की टीमों द्वारा घर-घर करवाया जा रहा है, जिससे कि मलेरिया व डेंगू का खतरा कम हो सके. ऐसे में एंटीलार्वा दवाई ही एक आशा सहयोगिनी की जान पर आफत बनकर सामने आई है. दरअसल जैसलमेर के केंद्र नंबर 9 की आशा सहयोगिनी मंजू भाटी रविवार को फील्ड के दौरान घरों में एंटी लारवा दवाई का छिड़काव कर रही थीं.

इस दौरान एंटीलारवा केमिकल की बोतल खोलने के दौरान एक धमाका हुआ और उससे निकला लिक्विड मंजू भाटी के चेहरे पर जा गिरा. इस दौरान जहां मंजू भाटी का चेहरा आंखे और हाथ जल गए. वहीं पास खड़ी महिला संजू पत्नी महेश के भी चेहरे पर छीटे लगने से उसके चेहरे पर भी दाग पड़ गए.

दवाइयों का छिड़काव करने से किया मना

ऐसे में दोनों घायलों को जैसलमेर के जवाहिर अस्पताल लाया गया, जहां मंजू के साथ ही काम करने वाली आशासहयोगिनी सुनीता गर्ग ने बताया कि अस्पताल में डॉक्टरों ने इलाज से ही मना कर दिया. डॉक्टरों ने मुकदमा दर्ज करवाने की बात कही, जिस पर हमने चिकित्सा विभाग के आलाधिकारियों को भी सूचित किया. अभी तक उसके इलाज के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा कोई मदद सामने नहीं आई है.

ऐसे में आशा सहयोगिनियों में डर का माहौल है और उनका कहना है कि अब वे इस केमिकल युक्त लिक्विड का छिड़काव नहीं करेंगी. वहीं आशा सहयोगिनी सुनीता गर्ग का आरोप है कि उन्हें इसके लिए कोई प्रशिक्षण नहीं दिया गया और न ही ग्लब्ज दिए गए हैं. यदि इस केमिकल के प्रभाव जानलेवा है तो वह आगे से यह काम नहीं करेंगी. वहीं घरवालों का आरोप है कि स्वास्थ्य विभाग के कार्मिक के साथ ऐसी वारदात होने के बाद भी स्वास्थ्य महकमें से कोई अधिकारी उनसे मिलने नहीं आया है. उन्हें कहीं से भी संतोषजनक जवाब भी नहीं दिया जा रहा है. अब ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि आखिर इतनी बड़ी लापरवाही का जिम्मेदार कौन है ?

वहीं मामला बढ़ता देख देर रात CMHO बी.एल.बुनकर ने पीड़ित महिला के घरवालों से बात की और उसे लेकर जवाहिर अस्पताल पहुंचे. इसके बाद डॉक्टरों ने इलाज शुरू कर दिया, तब जाकर के आशा सहयोगिनी मंजू भाटी को राहत मिली. बुनकर ने कहा कि एंटीलार्वा से ऐसा नुकसान चिंता का विषय है और इसकी हम जांच करवाएंगे.