राष्ट्रीय राजधानी से सटे गाजियाबाद में हड्डियों से मूर्तियां और आर्टिफिसियल ज्वैलरी बनाने वाले 4 कारखानों का खुलासा हुआ है. इन कारखानों का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वाररल हो रहा है. इस वीडियो पर संज्ञान लेते हुए डीएम गाजियाबाद ने एसडीएम को भेज कर चारों कारखाने सील करा दिए हैं. पुलिस के साथ पहुंचे एसडीएम ने इन कारखानों से बड़ी मात्रा में हड्डियां बरामद की हैं. प्रशासन ने इन हड्डियों को जमीन के नीचे दफन करा दिया है.
वहीं मूर्तियां गढ़ने के लिए लगीं मशीनों को सीज कर दिया है. यह चारों कारखाने लोनी के टोली मोहल्ला, गोरी पट्टी और अशोक विहार कॉलोनी के आवासीय क्षेत्र में संचालित हो रहे थे. बता दें कि कई दिनों से लोनी इलाके में एक वीडियो मैसेज सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा था. इसमें कहा जा रहा था कि लोनी के अलग अलग मुहल्लों में हड्डियों के कारखाने संचालित हो रहे हैं. इन कारखानों में हड्डियों को घिसकर या काटकर आर्टिफिशियल ज्वैलरी और देव मूर्तियां बनाई जा रही हैं.
हड्डियों से बनाते थे मूर्तियां
इसके अलावा इन्हीं हड्डियों से हिंदुओं के पवित्र धार्मिक चिन्ह जैसे ओम, स्वास्तिक आदि भी बनाए जा रहे हैं. किसी ने यह वीडियो डीएम गाजियाबाद को भेज दिया. वहीं डीएम ने भी इस वीडियो पर संज्ञान लेते हुए तत्काल एसडीएम को मामले की जांच के आदेश दिए. इसी क्रम में रविवार को एसडीएम ने इन कारखानों पर दबिश दी और इन्हें सील करते हुए मशीनों को सीज कर दिया. वहीं इन कारखानों में मिली हड्डियों एवं सामानों को एसडीएम ने गड्ढा खोद कर दफन करा दिया है.
गोदाम में ना मूर्तिया मिलीं न जेवर
छापेमारी के बाद एसडीएम राजेंद्र कुमार ने बताया कि इन कारखानों में हड्डियों की बड़ी खेप तो मिली है, लेकिन गोदाम से अभी तक किसी देवता की मूर्ति नहीं मिली है. ना ही कोई आर्टिफिशियल सामान बरामद हुआ है. उन्होंने बताया कि इस कार्रवाई के दौरान साथ में मौजूद पुलिस ने कुछ लोगों को हिरासत में भी लिया है. पुलिस ने सभी लोगों से पूछताछ कर रही है. एसडीएम ने बताया कि आरोपियों ने ना तो कारखाना चलाने का लाइसेंस लिया था, और ना ही प्रदूषण बोर्ड से एनओसी ली थी.