Varanasi News: घर में है टीबी का मरीज तो परिजन कराये प्रिवेंटिव थेरेपी

फेफड़े की टीबी के मरीज़ के सम्पर्क में आये लोगों के लिए बेहद कारगर है टीपीटी 

 
Varanasi News: घर में है टीबी का मरीज तो परिजन कराये प्रिवेंटिव थेरेपी
 कार्यशाला में चिकित्सकों को किया संवेदीकरण

वाराणसी। यदि आपके परिवार के किसी सदस्य को फेफड़े की टीबी है तो इसके संक्रमण से और लोग न प्रभावित हो इसके लिए परिजनों का टीबी की प्रिवेंटिव थेरेपी (टीपीटी) कराना जरूरी है। Read More:-  2000 note news: फिर नोटबंदी! 2 हजार का नोट वापस लेगा RBI, इस तारीख तक बैंक में जमा करा सकेंगे आप

इस थेरेपी में टीबी मरीज के सम्पर्क में आने वाले लोगों की कुछ जरूरी जांच कराने के बाद दवाएं दी जाती है। इससे उन्हें टीबी होने का खतरा नहीं रहता है। देश को क्षय मुक्त बनाने में यह थेरेपी बेहद ही कारगर है।

इस कार्य में सेंटर फॉर हेल्थ रिसर्च एंड इनोवेशन (सीएचआरआई) के तहत जीत प्रोजेक्ट स्वास्थ्य विभाग का सहयोग कर रहा है।


राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के तहत शुक्रवार की शाम अन्धरापुल क्षेत्र स्थित एक होटल में मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ संदीप चौधरी के निर्देशन में आयोजित कार्यशाला में जिला क्षय रोग अधिकारी (डीटीओ) डॉ पीयूष राय ने उक्त विचार व्यक्त किया।

इस एक दिनी कार्यशाला में सरकारी चिकित्सा इकाईयों के समस्त अधीक्षक, प्रभारी चिकित्सा अधिकारियों व चिकित्सकों को संवेदीकरण किया गया। डीटीओ ने कहा कि जब किसी व्यक्ति को फेफड़े की टीबी होती है तो वह अपने सम्पर्क में आने वाले कम से कम 15 व्यक्तियों को टीबी से संक्रमित कर सकता है।

फेफडे़ की टीबी से पीड़ित मरीज के सम्पर्क में आने वाले परिजनों को टीबी के प्रिवेंटिव थेरेपी (टीपीटी) प्रति जागरूक होना होगा। पहले यह थेरेपी पांच वर्ष तक के बच्चों को दी जाती थी। लेकिन अब क्षय रोग से पीड़ित मरीज़ के परिवार के सभी सदस्यों को यह थेरेपी दी जा रही है।

उन्होंने कहा कि देश को क्षय मुक्त बनाने के लिए सभी दिशा में हर संभव प्रयास किये जा रहे हैं। इसके लिए टेस्टिंग (जांच), ट्रीटमेंट (उपचार) और प्रिवेंशन (बचाव) पर पूरा जोर दिया जा रहा है। इसी क्रम में राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) के अंतर्गत जनपद के सभी क्षय रोगियों के परिवार के सदस्यों को टीबी प्रिवेंटिव थेरेपी (टीपीटी) दी जा रही है।

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डीटीओ डॉ पीयूष राय ने कहा कि टीबी रोगियों के परिजनों की  पहले स्क्रीनिंग और एक्सरे किया जाता है। जांच में यदि इनमे किसी व्यक्ति में टीबी के लक्षण दिखाई देते है तो उसका भी उपचार विभाग की ओर से किया जाता है।

लक्षण नहीं दिखने पर उस व्यक्ति की टीपीटी शुरू की जाती है। उन्होंने चिकित्सकों से कहा कि सरकारी व निजी क्षेत्र में उपचार प्राप्त कर रहे पलमोनरी (फेफड़े) टीबी रोगियों के साथ रह रहे लोगों को टीपीटी प्रदान करने में सहयोग करें।


कार्यशाला में जीत प्रोजेक्ट के डिस्ट्रिक्ट लीड अश्वनी राय ने बताया कि स्वाथ्य विभाग के समन्वय से सीएचआरआई की ओर से जनपद में टीपीटी के लिए 25 टीमें बनाई गई हैं । जिला क्षय रोग केंद्र से भेजी गई 5858 क्षय रोगियों की सूची के क्रम में दिसंबर 21 से अब तक  24138  परिजनों की स्क्रीनिंग की जा चुकी है ।

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सीएचआरआई के जरिए 14668  लोगों की एक्सरे जांच की गई जिसमें से पाँच वर्ष से ऊपर के 12424 लोगों को टीपीटी दी जा रही है । पाँच वर्ष से कम उम्र के सभी बच्चों को कीमोप्रोफाइलिक्सिस थेरेपी दी जा रही है ।


कार्यशाला में उप जिला क्षयरोग अधिकारी डॉ अमित सिंह, चिकित्सा अधिकारी डॉ अन्वित श्रीवास्तव व विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के डॉ विनोद ने पीपीटी के जरिये बताया कि परिजनों की किस तरह काउन्सलिन्ग करें, उन्हें जांच और थेरेपी के लिए प्रेरित कैसे करें साथ अन्य चिकित्सीय शिक्षा के बारे में विस्तार से जानकारी दी।

कार्यशाला में सीएचआरआई के ज्ञानेश सिंह, डीपीटीसी  विनय मिश्र व अन्य लोग मौजूद थे।