बेहद कम समय में बाहुबली बना, सियासत में छाया और फिर बर्बादी में नहीं लगी देरी

 
बेहद कम समय में बाहुबली बना, सियासत में छाया और फिर बर्बादी में नहीं लगी देरी

Varanasi News: कहते हैं एक ना एक दिन वक्त जरूर बदलता है। ये वक्त ही है कि किसी को अर्श तो किसी को फर्श पर ला पटकता है। हम बात कर रहे हैं  बाहुबली मुख्तार अंसारी की।  पूर्वांचल में कभी जिस मुख्तार अंसारी के इशारे पर सरकारें अपना निर्णय बदल लेती थीं, आज उसी मुख्तार का बना बनाया हुआ साम्राज्य बर्बादी के कगार पर है।

सोमवार को अवधेश राय हत्याकांड में मुख्तार अंसारी को पहली बार उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। इससे पहले उसे अधिकतम 10 साल की सजा मिली थी। बीते आठ महीने 15 दिन में उसे छह मुकदमों में सजा सुनाई जा चुकी है। लगातार छठवीं सजा के साथ ही माफिया मुख्तार अंसारी पर कानूनी शिकंजा और कस गया है।

मुख्तार और उसका परिवार मुश्किल में


मुख्तार की बेबसी के पीछे की वजह पारिवारिक सदस्यों का जेल में या फिर अलग-अलग मामलों में फरार होना है। मऊ से विधायक बेटा अब्बास अंसारी चित्रकूट जेल में है। उसकी पत्नी निखत अंसारी भी जेल में है। पत्नी आफ्शा अंसारी फरार चल रही है। उस पर इनाम घोषित किया जा चुका है। छोटा बेटा उमर अंसारी भी फरारी काट रहा है। उसके खिलाफ गिरफ्तारी का वारंट जारी हो चुका है। बड़ा भाई अफजाल अंसारी सजा काट रहा है। 

गाजीपुर जिले के यूसुफपुर निवासी माफिया मुख्तार अंसारी अपराध की दुनिया में पहली बार नाम वर्ष 1988 में हरिहरपुर के सच्चिदानंद राय हत्याकांड से सामने आया था। कुछ ही वर्षों में ही पूर्वांचल की तमाम हत्याओं और ठेकेदारी में मुख्तार का नाम खुलेआम लिया जाने लगा।

सत्ता और प्रशासन का संरक्षण मिलने से मुहम्मदाबाद से निकलकर मुख्तार अंसारी अपराध की दुनिया में बड़ा नाम हो गया। करीब 40 साल पहले राजनीति में कदम रखने वाला मुख्तार देखते ही देखते प्रभावशाली नेता बन गया। विधानसभा में पूर्वांचल की मऊ सीट से लगातार लोगों की पहली पसंद बनकर पांच बार विधायक बना।

अपराध की दुनिया में ऐसे आया मुख्तार

मुख्तार अंसारी का जन्म 30 जून 1963 को उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले के युसुफपुर में हुआ था। वह कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष मुख्तार अहमद अंसारी का पोता है। मुख्तार अंसारी मूल रूप से मखनू सिंह गिरोह का सदस्य था, जो 1980 के दशक में काफी सक्रिय था। अंसारी का यह गिरोह कोयला खनन, रेलवे निर्माण, स्क्रैप निपटान, सार्वजनिक कार्यों और शराब व्यवसाय जैसे क्षेत्रों में लगा हुआ था। अपहरण, हत्या व लूट सहित अन्य आपराधिक गतिविधियों को अंजाम देता था। जबरन वसूली का गिरोह चलाता था।

मऊ, गाजीपुर, वाराणसी और जौनपुर में सक्रियता ज्यादा थी। 20 से भी कम की उम्र में मखनू सिंह गिरोह में शामिल होकर मुख्तार अपराध की सीढ़ियां चढ़ता रहा। जमीन पर कब्जा, अवैध निर्माण, हत्या, लूट, सहित अपराध की दुनिया के कुछ ही ऐसे काम होंगे, जिनसे मुख्तार का नाम न जुड़ा हो।

साढ़े 17 साल से जेल में है मुख्तार

माफिया मुख्तार अंसारी की उम्र जेल के सलाखों के पीछे ही बीत रही है। वह साढ़े 17 वर्षों से जेल में है। मऊ दंगे के बाद मुख्तार अंसारी ने 25 अक्तूबर 2005 को गाजीपुर में आत्म समर्पण किया था और वहीं की जिला जेल में दाखिल हुआ था। मुख्तार जब से जेल में बंद है, तब से लेकर अब तक उस पर गंभीर धाराओं में मुकदमे दर्ज हुए हैं।

मुहम्मदाबाद के फाटक निवासी मुफ्तार अंसारी चार दशक से जरायम की दुनिया में है। इस दौरान कई चर्चित आपराधिक घटनाओं में मुख्तार अंसारी का नाम आया। पूर्वांचल में कभी जिस मुख्तार अंसारी के इशारे पर सरकारें अपना निर्णय बदल लेती थी, आज उसी मुख्तार का बना बनाया हुआ साम्राज्य ढह रहा है। ये सिलसिला बीते छह-सात वर्षों में तेज हुआ है।