42 डिग्री तापमान पर उगा दिए सेब, स्वाद में मिठास और रस भरपूर

 
42 डिग्री तापमान पर उगा दिए सेब, स्वाद में मिठास और रस भरपूर

हिमाचल प्रदेश और कश्मीर ही नहीं, अब काशी के सेब का भी स्वाद ले सकेंगे। ऐसा कर दिखाया है सेवापुरी विकास खंड के भटपुरवा गांव के दो भाई राधेश्याम पटेल और संजय पटेल ने। दोनों भाइयों ने 40 से 42  डिग्री तापमान में भी हिमाचल प्रदेश और कश्मीर जैसे मीठे रसदार सेब उत्पादन करने में सफलता पाई है।

कृषि विषय से पढ़ाई कर चुके चार भाइयों में बड़े राधेश्याम पटेल ने बताया कि छह वर्ष पहले सोशल मीडिया पर वीडियो देखकर सेब की खेती करनी शुरू की। दो वर्ष बाद भी फल नहीं लगे। मजबूरन पेड़ों को काटकर नष्ट करना पड़ा। इसके बाद हिमाचल प्रदेश से 500 पौधे मंगाकर लगाए। इसमें दो वर्ष में ही फल आ गए।

ग्रामीणों ने उड़ाया खूब मजाक


बिहार के कृषि विश्वविद्यालय से एमएससी करने वाले संजय पटेल ने बताया कि सेब की खेती की तो गांव वालों ने खूब मजाक उड़ाया। लेकिन किसी की बातों की परवाह किए बिना कोशिश जारी रखी और चार वर्ष बाद सफलता मिल गई। हरीमन-99 प्रजाति के सेब के 500 पौधे लगाए हैं।

एक पेड़ से चार से पांच किलो तक फल


इनमें फरवरी में फूल लगे थे और करीब 100 किलो पहली फसल निकली। सेब को मंडी में 150 रुपये प्रति किलो की दर बेचने के साथ ही गांव वालों को भी सेब का स्वाद चखाया। संजय ने बताया कि पहली बार में एक पेड़ से चार से पांच किलो तक फल निकले हैं। उम्मीद है कि अगले साल उत्पादन और बढ़ेगा। अब चार से पांच एकड़ में पौधे लगाने की तैयारी है। इसके लिए हिमाचल प्रदेश से पौधे मंगाने की तैयारी है।

सेब की खेती में चुनौतियां


पूर्वांचल के एक मात्र सेब की खेती करने वाले किसान राधेश्याम और संजय ने बताया 40 से 46 डिग्री तापमान में सेब की खेती करने में बड़ी चुनौती है। पौधे लाने के लिए दो माह पहले हिमाचल प्रदेश की एजेंसी को सूचना देनी पड़ती है।

सेब के पौधे पांच डिग्री से कम तामपान में तैयार किए जाते हैं जो यहां संभव नहीं। सेब के फल को रात में आसपास के लोगों से और दिन में पक्षियों और जानवरों से सुरक्षा के लिए बाग को जाल से घेरना पड़ा। ठंड के मौसम में पौधों की रोपाई के बाद दो साल तक रखवाली करनी पड़ी।

ऐसा है काशी के सेब का स्वाद


काशी के सेब का स्वाद बाकी के सेब के मुकाबले अलग है। इसमें मिठास और रस भरपूर है। छिलका पतला होने साथ साथ हल्का खट्गा का स्वाद मिलेगा। एक पेड़ से 30 साल उत्पादन लिया जा सकेगा। 10 से 20 किलो तक एक पेड़ में फल लगेंगे।

जिला उद्यान अधिकारी सुभाष कुमार ने कहा कि वाराणसी जिले में अभी तक सेब की खेती संभव नहीं थी, लेकिन सेवापुरी के दो किसानों ने कर दिखाया है। इनकी सफलता से अन्य किसानों को हौसला बढ़ेगा। जिले में सेब की खेती को बढ़ावा देने के लिए अनुदान के लिए प्रस्ताव भेजा जाएगा ताकि किसानों को आर्थिक और तकनीकी मदद मिल सके।