Dev Deepawali 2022: Chet Singh Ghat की दीवार पर होगा 3D प्रोजेक्शन मैपिंग व लेजर शो, Ganga रेत पर होगी आतिशबाजी

 
Chet Singh Ghat की दीवार पर होगा 3D प्रोजेक्शन मैपिंग व लेजर शो, Ganga रेत पर होगी आतिशबाजी

Dev Deepawali in Varanasiदेव दीपावली के अवसर पर काशी में पहली बार लाइव चरित्रों पर आधारित 20 लेजर प्रोजेक्टर्स द्वारा 3D प्रोजेक्शन मैपिंग शो होने जा रहा है। 

इस शो का आयोजन उत्तर प्रदेश के पर्यटन मंत्रालय की ओर से किया जा रहा है। शो की विशेषता यह है कि इसे मां गंगा के ऐतिहासिक चेतसिंह घाट की दीवारों पर 3D प्रोजेक्शन मैपिंग के द्वारा मां गंगा के अवतरण की यात्रा को दिखाया जाएगा।

इतिहास के पात्रों को फिर से बनाया गया और इसमें विशेष रूप से डिजाइन किए गए संगीत और ध्वनि के साथ ऐसा वातावरण बनेगा।

यहां दर्शकों को लगेगा कि वह कहानी का हिस्सा है और यह शो दर्शकों के मानस पटल पर अमिट स्मृति छोड़ेगा। टेक्नॉलाजी का यह मेल कथा और चरित्रों को जीवंत करता है।

इसके साथ ही लेजर और लाईट मल्टीमिडिया शो भी है जो टाइम कोड द्वारा प्रसारित किया जाएगा।

इसमें संगीत की ध्वनि के साथ लेजर और लाइट्स का एक अनूठा तालमेल देखने को मिलेगा जो वहां उपस्थित लोगो मंत्रमुग्ध कर देगा।

इसके साथ ही काशी विश्वनाथ मंदिर के सामने रेत पर ग्रीन आतिशबाजी की जाएगी।

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Dev deepawali in Varanasi 2022: देव दीपावली पर काशी के घाटों से पांच सौ मीटर दूर रहेंगे वाहन, जारी हुआ ये रूट चार्ट...

Dev deepawali in Varanasi 2022: देव दीपावली पर काशी के घाटों से पांच सौ मीटर दूर रहेंगे वाहन, जारी हुआ ये रूट चार्ट...

Dev deepawali in Varanasi: शहर में देव दीपावली के मौके पर पुलिस विभाग ने याताया को संभालने के लिए विशेष तैयारी की है। यातायात को संभालने के लिए विभाग की ओर से गलियों से लेकर प्रमुख मार्गों तक के लिए चार्ट तैयार कर उसे अमलीजामा पहनाने की तैयारी है।

दरअसल उस दिन स्‍थानीय आयोजन की वजह से अवकाश भी घोषणा प्रशासन की ओर से की जा चुकी है। ऐसे में शहर और बाहर के लोगों की भीड़ का रुख घाटों की ओर दोपहर बाद से ही होने लगेगा। ऐसे में प्रशासन ने पूरा खाका अभी से खींच लिया है।

हिन्दू पंचांग के अनुसार इस वर्ष पवित्र कार्तिक पूर्णिमा का व्रत 8 नवम्बर के दिन रखा जाएगा। इस साल कार्तिक शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को चन्द्र ग्रहण भी लगेगा।

इस विशिष्‍ट संयोग के कारण देव दीपावली पर्व एक दिन पहले यानि 7 नवम्बर के दिन मनाया जाएगा। इस लिहाज से काशी के ज्‍योतिषी भी देव देव दीपावली 7 नवंबर को मान रहे हैं।  

देव दीपावली पर गंगा तट एक साथ रोशनी बिखरने वाले लाखों दीपों की मनोरम छटा को निहारने देश-दुनिया से लाखों लोग घाटों पर पहुंचेगे। इस दौरान यातायात व्यवस्था बनाए रखना बड़ी चुनौती होगी।

लोगों के साथ ढेरों वीआईपी को आने-जाने में दिक्कत न हो इसे लेकर ट्रैफिक पुलिस योजना बनाने में जुट गई है। इसके तहत वाहनों को पांच सौ मीटर दूर ही रोक दिया जाएगा। कई जगहों पर पार्किंग बनाई जाएगी।

एडीसीपी ट्रैफिक दिनेश कुमार पुरी के अनुसार देवदीपावली पर शाम के समय घाटों की तरफ भारी भीड़ जाएगी। आयोजन के बाद वापस भी लौटेगी। इससे घाटों की तरफ जाने वाले रास्तों पर यातायात का भारी दबाव रहेगा।

लोगों को किसी तरह की परेशानी से बचाने के लिए समस्त वाहनों को घाट की तरफ जाने वाले रास्ते से 500 मीटर पहले रोक दिया जाएगा। गलियों में भी लोगों को सिर्फ पैदल जाने की अनुमति होगी।

घाटों की तरफ जाने वाले कुछ रास्तों पर डायवर्जन लागू किया जाएगा। शहर में विभिन्न जगहों पर पार्किंग का इंतजाम किया जाएगा। इस दौरान ट्रैफिक पुलिस के जवान लगातार चक्रमण करते रहेंगे।

लोगों को पार्किंग के अलावा रास्तों पर वाहनों को खड़ा करने से रोका जाएगा। बड़े वाहनों के प्रवेश पर पूरी तरह से रोक रहेगी। बेनियाबाग व मैदागिन के अलावा अन्य पार्किंग स्थल तय किये जा रहे हैं।

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Dev Diwali 2022: काशी में ही क्यों मनाई जाती है देव दिवाली, क्या है इसके पीछे की कहानी?

वाराणसी। दीयों की रोशनी से जगमाता दिवाली का पर्व खुशियां मनाने का प्रतीक माना जाता है। वहीं दिवाली के ठीक 15 दिन बाद देव दीपावली धूमधाम से मनाई जाती है।

हर साल कार्तिक पूर्णिमा तिथि को भगवान भोले शंकर की नगरी वाराणसी के काशी में देव दीपावली का महापर्व होता है। देव दीपावली को कार्तिक पूर्णिमा भी कहा जाता है।

काशी की देव दीपावली के इस महापर्व का भगवान शिव से सीधा संबंध होता है।

क्या है इसके पीछे की कहानी?

शिव की नगरी काशी में महोत्सव की भांति मनाई जाने वाली देव दीपावली मुख्य रूप से शिव को समर्पित होती है। इस दिन गंगा घाट, गली मोहल्ले और शहर दीए की रोशनी में सरोबार होते हैं।

जहां भी नजरें जाती हैं वहां दीयों की जगमगाहट नजर आती है। वहीं संध्या के समय परंपरागत गंगा आरती होती है और लोग घाटों और सरोवरों के तट को सुंदर दीपों से रोशन करते हैं। इसके अलावा, लोग अपने घर को दीए और रंगोली से सजाते हैं।‌

काशी में ही देव दिवाली क्यों मनाई जाती है?


इस साल कार्तिक पूर्णिमा का दिन 8 नवंबर, मंगलवार को पड़ रहा है। सनातन धर्म में कार्तिक पूर्णिमा का विशेष महत्व होता है।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कार्तिक पूर्णिमा के दिन सभी देवी-देवता स्वर्ग लोक से नीचे धरती पर आते हैं। यही नहीं सभी देवतागण गंगा स्नान कर दीपोत्सव का हिस्सा भी बनते हैं।


कार्तिक पूर्णिमा को त्रिपुरारी पूर्णिमा भी कहा जाता है। माना जाता है कि भगवान शिव ने कार्तिक पूर्णिमा के दिन त्रिपुरासुर नाम के एक राक्षस का संघार कर देवताओं को उसके आतंक से मुक्ति दिलाई थी।

त्रिपुरासुर द्वारा चारों तरफ मचाई गई तबाही उसके वध के बाद शांति में बदल गई, जिसका जश्न देवताओं ने भी मनाया।

तभी से त्रिपुरासुर के अत्याचारों से मिली मुक्ति और भगवान शिव के इस कृत्य पर सभी देवता अपनी प्रसन्नता जाहिर करने के लिए भगवान शिव की नगरी काशी पहुंचकर दीप प्रज्वलित करते हैं और खुशियां मनाते हैं।


 

नोट:- यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। today hindi news इसकी पुष्टि नहीं करता है।