काशी के Assi Ghat से सामने घाट तक अद्भुत नजारा, गुलजार रहा पूरी रात गंगा का किनारा

 
काशी के Assi Ghat से सामने घाट तक अद्भुत नजारा, गुलजार रहा पूरी रात गंगा का किनारा

वाराणसी। देवाधिदेव महादेव की नगरी काशी विश्वविख्यात है।आध्यात्मिक नगरी काशी के गंगा घाट पर्यटकों और स्थानीय लोगों से हमेशा गुलजार रहते हैं,लेकिन आस्था का महापर्व छठ के दौरान काशी में अद्भुत नजारा दिखाई दिया।

अस्सी घाट से लेकर सामने घाट तक श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ पड़ा था। आज सोमवार सुबह उदीयमान सूर्य को अर्घ्य के साथ चार दिवसीय महापर्व संपन्न हुआ।

अस्सी घाट,रीवा घाट,गंगा महल घाट, तुलसी घाट पर व्रत करने महिला वाली महिलाएं और उनके परिजनों की ओर से भगवान भास्कर को अर्घ्य देने वालों का तांता लगा रहा।

आध्यात्मिक नगरी काशी के घाटों पर ऐसा आस्था का जनसैलाब उमड़ा कि तिल रखने भर की जगह नहीं थी।सूर्य की उपासना का चार दिवसीय महापर्व डाला छठ वाराणसी के घाट और ग्रामीण क्षेत्रों में कुंडों और तालाबों के पास आस्था और निष्ठा के साथ अर्घ्य देकर संपन्न हुआ। 

पुराणों के अनुसार कार्तिक मास की पंचमी तिथि से इस कठोर छठ व्रत की शुरुआत होती है।ये व्रत सप्तमी की सुबह सूर्य के उदय होने के बाद समाप्त होता है।

यही कारण है की आज काशी के सभी घाटों पर सूर्य निकले से पहले ही व्रत करने वाली महिलाओं और उनके परिवार के लोग गंगा घाटों पर पहुंच गए।

जैसे ही भगवान भास्कर ने अपने भक्तों को दर्शन दिया, लोगों ने हर-हर-महादेव के नारे के साथ ही घाटों पर अर्घ्य देना शुरू कर दिया। पुत्र और पति की दीर्घ आयु की कामना के लिए महिलाएं सूर्य की उपासना करती हैं।

ऐसी मान्यता है कि सच्ची श्रद्धा के साथ की गई आराधना जरूर फलित होती है।

Chhath Puja 2022: उगते सूर्य को अर्घ्य के साथ लोक आस्था के महापर्व का समापन, भक्तिमय रहा माहौल

Chhath Puja 2022: उगते सूर्य को अर्घ्य के साथ लोक आस्था के महापर्व का समापन, भक्तिमय रहा माहौल

वाराणसी। उगते सूर्य को अर्घ्य के साथ लोक आस्था के महापर्व डाला छठ का सोमवार को समापन हुआ। व्रती महिलाएं भोर से ही पानी में खड़े होकर भगवान भास्कर के उगने का इंतजार करती रहीं।

इस दौरान घाटों पर दिव्य छटा देखने को मिली। छठ गीत से माहौल भक्तिमय बना रहा। 

नहाय-खाय के साथ चार दिवसीय महापर्व का शुभारंभ हुआ था। रविवार व सोमवार को काशी में दशाश्वमेध, अस्सी समेत राजघाट से लेकर सामने घाट तक गंगा घाटों, बरेका में सूर्य सरोवर तालाब व अन्य सरोवरों के किनारे अद्भुत छटा देखने को मिली।

भगवान भास्कर की आराधना के लिए आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा।

सोमवार की भोर से ही व्रती महिलाएं पानी में खड़ी हो गई। भोर में लगभग 20 डिग्री तापमान में पानी में खड़े होकर सूर्य देव के उगने का इंतजार करती रहीं।

बादलों की धुंध की वजह से सूर्य नारायण का दर्शन कुछ विलंब से हुआ। आसमान में पूरब दिशा में लालिमा दिखाई देने के साथ दूध से अर्घ्य देने का क्रम शुरू हुआ।

इस दौरान हर-हर महादेव का उद्घोष गूंजता रहा। व्रती महिलाओं ने इसके साथ कठिन व्रत का पारण किया। पुत्रों की दीर्घायु व पुत्र प्राप्ति की कामना से सूर्य देव की उपासना की जाती है। 

 व्रती महिलाओं व उनके परिजन भोर से ही अर्घ्य देने के लिए घाटों पर पहुंच गए। कुछ व्रती महिलाओं ने तो घाट पर ही रात्रि विश्राम किया।

इस दौरान स्वयंसेवी संस्थाएं श्रद्धालुओं की मदद के लिए सक्रिय रहीं। वहीं प्रशासन भी अलर्ट रहा।