ग्रहणकाल में बंद हुए काशी के सभी मंदिर, कल सुबह खुलेंगे विश्वनाथ धाम के कपाट

 
ग्रहणकाल में बंद हुए काशी के सभी मंदिर, कल सुबह खुलेंगे विश्वनाथ धाम के कपाट

वाराणसी। सूर्यग्रहण के चलते काशी में श्रीकाशी विश्वनाथ धाम, संकटमोचन मंदिर समेत सभी मंदिरों के कपाट बंद हैं।

इस दौरान कई मंदिरों के कपाट देर शाम 7:30 बजे मोक्षकाल के बाद खुल जाएंगे लेकिन श्रीकाशी विश्वनाथ धाम में बाबा विश्वनाथ दरबार समेत आसपास के सभी देवी, देवताओं के कपाट बंद रहेंगे।

ग्रहणकाल में बंद हुए काशी के सभी मंदिर, कल सुबह खुलेंगे विश्वनाथ धाम के कपाट

श्रीकाशी विश्वनाथ दरबार के कपाल 26 अक्टूर की सुबह 6:02 मिनट पर दर्शन के लिए खुलेगा। ग्रहण काल के दौरान दर्शन-पूजन के साथ ही सप्तर्षि आरती, शृंगार भोग आरती, शयन आरती नहीं होगी।

इसके बादं 26 अक्टूबर को सूर्याेदय के पश्चात मोक्ष पूजा व मंगला आरती के साथ मंदिर के कपाट दर्शनार्थियों के लिए खोले जाएंगे। 

ग्रहणकाल में बंद हुए काशी के सभी मंदिर, कल सुबह खुलेंगे विश्वनाथ धाम के कपाट

जबकि धाम के पास स्थित माता अन्नपूर्णा मंदिर में कपाट दोपहर 2:15 बजे से बंद हो गये। अब मंदिर का कपाट शाम 7.30 बजे खुलेगा। संकट मोचन मंदिर के भी कपाट बंद है।

यह इस मंदिर के कपाट देर शाम को खुलेंगे। इसके साथ ही तिलभांडेश्वर महादेव, केदारेश्वर मंदिर, शीतला मंदिर, दुर्गा मंदिर समेत सभी मंदिरों के कपाट बंद हैं। 

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वाराणसी में 28 की शाम को होगा देवनाथपुरा की चर्चित नवसंघ काली प्रतिमा का विसर्जन

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वाराणसी। दशाश्वमेध थाना क्षेत्र के देवनाथपुरा स्थित चर्चित नवसंग की काली प्रतिमा का विसर्जन 28 अक्टूबर की शाम मैदागिन स्थित मंदाकिनी कुंड में होगा।

काली प्रतिमा स्थापना करनेवाली संस्था नवसंघ से जुड़े आसित दास ने बताया कि 54 वर्षों से माता की पूजा की जा रही है। इस मूर्ति को बंगाल से आए कारीगर बनाते है।

मूर्ति वही बनाई जाती है जहां उनकी स्थापना होती है। माता की प्रतिमा लगभग 20 फीट उंची है। जहां प्रतिमा स्थापित होती है वहां पहले मिट्टी का टीला था। उसकी खुदाई हुई तो उसके नीचे काली मंदिर के अवशेष मिले थे। इसके बाद उस स्थान पर तीन बार दुर्गा पूजा और तीन बार सरस्वती पूजा हुई लेकिन नतीजे अच्छे नही थे। इसके बाद काली प्रतिमा स्थापित कर उनकी पूजा शुरू हो गई।

गौरतलब है कि देवनाथपुरा और आसपास की गलियां काफी संकरी हैं। इसलिए प्रशासन द्वारा तय मानक के अनुरूप ही प्रतिमा का निर्माण होता है ताकि विसर्जन के लिए गलियों से निकालने में कोई दिक्कत न हो।

माता के इस स्वरूप के दर्शन के लिए दूर दराज से लोग आते हैं। खासकर बंगीय समाज माता के पूजन से जुड़ा हुआ है। मां काली की प्रतिमा 28 अक्टूबर की शाम छह बजे विसर्जन के लिए निकलेगी।

देवनाथपुरा की गलियों से होते हुए प्रतिमा बंगाली टोला चौराहे पर पहुंचेगी। 

इसके बाद मदनपुरा, गोदौलिया, बांसफाटक, बुलानाला, मैदागिन होते हुए कम्पनी बाग स्थित मंदाकिनी कुंड पहुंचेगी और विसर्जन होगा।

नवसंघ की काली प्रतिमा विसर्जन के जुलूस के दौरान पहले कई बार हंगामा और दंगे हो चुके हैं। इसलिए प्रशासन की इस प्रतिमा और समिति के लोगों पर खास नजर होती है। स्थानीय खुफिया विभाग सक्रिय रहता है।

इस बार भी प्रशासन की नजर इस प्रतिमा के विजर्सन पर है। इसके तहत मंगलवार को एसीपी दशाश्वमेध अवधेश पांडेय फोर्स के साथ देवनाथपुरा पहुंचे। उन्होंने समिति के लोगों से बात की और विसर्जन की तैयारियों की जानकारी ली।