Manipur Earthquake: मणिपुर में महसूस किए गए भूकंप के झटके, रिक्टर स्केल पर इतनी रही तीव्रता, जमीन से 10KM नीचे था केंद्र

रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 4.0 मापी गई
 
Manipur Earthquake: मणिपुर में महसूस किए गए भूकंप के झटके, रिक्टर स्केल पर इतनी रही तीव्रता, जमीन से 10KM नीचे था केंद्र
इससे पहले यूपी के शामली में शुक्रवार देर रात भूकंप के झटके महसूस किए गए

भारत के पूर्वोत्तरी राज्य मणिपुर के उखरुल में शनिवार सुबह भूकंप के झटके महसूस किए गए। रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 4.0 मापी गई।

नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के मुताबिक, भूकंप का केंद्र जमीन से 10 किमी नीचे था। फिलहाल किसी के हताहत होने या संपत्ति के नुकसान की कोई खबर नहीं है। इससे पहले यूपी के शामली में शुक्रवार देर रात भूकंप के झटके महसूस किए गए, जिसकी रिक्टर स्केल पर तीव्रता 3.2 रही। इससे पहले 31 जनवरी को भी मणिपुर में सुबह-सुबह भूकंप के झटके महसूस किए गए थे।

उस समय रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 4.5 मापी गई थी। भूकंप की जानकारी देने वाले नेशनल सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी ने बताया था कि मणिपुर का कामजोंग इस भूकंप का केंद्र रहा। भूकंप के ये झटके सुबह 10 बजकर 19 मिनट पर  महसूस किए गए थे। इसकी गहराई जमीन से 67 किलोमीटर नीचे थी।

रिक्टर स्केल पर 2.0 से कम तीव्रता वाले भूकंप को माइक्रो कैटेगरी में रखा जाता है और यह भूकंप महसूस नहीं किए जाते। रिक्टर स्केल पर माइक्रो कैटेगरी के 8,000 भूकंप दुनियाभर में रोजाना दर्ज किए जाते हैं।

इसी तरह 2.0 से 2.9 तीव्रता वाले भूकंप को माइनर कैटेगरी में रखा जाता है. ऐसे 1,000 भूकंप प्रतिदिन आते हैं और इसे भी सामान्य तौर पर हम महसूस नहीं करते। वेरी लाइट कैटेगरी के भूकंप 3.0 से 3.9 तीव्रता वाले होते हैं, जो एक साल में 49,000 बार दर्ज किए जाते हैं। इन्हें महसूस तो किया जाता है, लेकिन कोई नुकसान नहीं पहुंचता है।

लाइट कैटेगरी के भूकंप 4.0 से 4.9 तीव्रता वाले होते हैं जो पूरी दुनिया में एक साल में करीब 6,200 बार रिक्टर स्केल पर दर्ज किए जाते हैं। इन झटकों को महसूस किया जाता है और इनसे घर के सामान हिलते नजर आते हैं. हालांकि इनसे न के बराबर ही नुकसान होता है।

धरती मुख्य तौर पर चार परतों से बनी है…इनर कोर, आउटर कोर, मैन्टल और क्रस्ट. क्रस्ट और अपर मैन्टल कोर को लिथोस्फेयर कहा जाता है। यह 50 किलोमीटर की मोटी परत कई वर्गों में बंटी हुई है, जिन्हें टेक्टोनिक प्लेट्स कहा जाता है। धरती की ऊपरी सतह 7 टेक्टोनिक प्लेटों से मिलकर बनी है।

भूकंप के आने की मुख्य वजह धरती के अंदर इन प्लेटों का आपस में टकरना है। ये सातों प्लेटें लगातार घूमती रहती हैं और जब किसी जगह पर आपस में टकराती हैं, तो वहां फॉल्ट लाइन जोन बन जाता है और सतह के कोने मुड़ जाते हैं। सतह के कोने मुड़ने की वजह से वहां दबाव बनता है और प्लेट्स टूटने लगती हैं।

 इन प्लेट्स के टूटने से धरती के अंदर की एनर्जी बाहर आने का रास्ता खोजती है, जिसकी वजह से कंपन पैदा होता है, जिसे हम भूकंप कहते हैं।

 कई बार कंपन की तीव्रता बेहद कम होती है, इसलिए हम इसे महसूस नहीं कर पाते या करते भी हैं तो सिर्फ धरती हिलकर रह जाती है। कई बार कंपनी की तीव्रता इतनी ज्यादा होती है कि तबाही मचती है।