Madhubani News: कपिलेश्वर नाथ महादेव का महिमा अपार

Madhubani News: मधुबनी जिला के बाबा कपिलेश्वर नाथ महादेव मंदिर के महिमा अपरंपार अछि। कपिलेश्वर बाबा केहन केहन दुःख क्षण में छोरौता!इ मंदिर मिथिला नरेश राजा जनक जी के शासन काल सं विख्यात छैथ !
भविष्य पुराण और सहस्त्र मंगलाचरण में एकर वर्णन अछि।कपिल मुनि द्वारा रचित सांख्य शास्त्र में एकर वृहद् वर्णन अछि ।प्राचीन कपिलेश्वर नाथ महादेव मंदिरक चर्चा भिन्न भिन्न ग्रंथ में केल गेल अछि।
जिला मुख्यालय सं लगभग दस कि.मी. आ रहिका प्रखंड मुख्यालय सं लगभग चैर कि.मी. दूर स्थित इ मंदिर एन.एच.105 क किनार में अछि ।
जनकनंदिणी जानकी माता सीता जी के स्वयंवर के तैयारी भेल देश विदेश के राजा महाराजा आ संग संग महात्मा, तापस , तपस्वी जी के अहि स्वयंवर में राजा जनक आमंत्रित केलखिन ।जाहि में मुनिश्रेष्ठ कपिल मुनि जी सेहो आमंत्रित छला ।
जखन मुनि श्रेष्ठ श्री कपिल मुनि जी अपन आश्रम गंगा सागर स प्रस्थान केला मिथिला के लेल त इहे मार्ग स एला चलैत चलैत जखन कपिलेश्वर के मार्ग में एला त हुनका चेतना भेलैन जे अहिठाम हमर पूज्य पिता जी महातपस्वी श्री कर्दम ॠषि महाराज जी साधना केने छला त वोई पावन धरती के अवश्य प्रणाम करी जखन किछु दूर आगा बढला त एक टा बरी पैग घनघोर जंगल भेटलैन जाकर रकवा तकरीबन तीन चैर सौ बीघा हेतै वोई जंगल में पहुँचला के बाद हुनका लघुशंका के आभास भेलैन मुदा जखन वो लघुशंका के लेल बैसला त हुनका लघुशंका नै उतरलैन ओ बहुत परेशान भेला आ एमहर ओमहर ताक लगला तखनो आकाशवाणी भेलै जे अहिठाम कामना लिंग शिव लिंग उपस्थित छैथ तै लक अहां के लघु शंका नै उतरल ।
हे मुनि श्रेष्ठ अहां शिव लिंग के जागृत करू तखन कपिल मुनि शिव लिंग के ओई जंगल में खोज लगला ।बरिकाल जखन खोज केलखिन त देखलखिन जे एक टा कारी कुमाइर बाछी के स्तन सं दूध भूमि पर खैस रहल अछि ।इ देख क मुनि श्रेष्ठ आ हूनकर शिष्य बहुत अचंभित भेला तखन मुनि श्रेष्ठ अपन शिष्य सब के आदेश देलखिन जे वोई जगह सं माटी खैन क हटाऊ ।खोदाई के बाद देखलखिन जे चारू बगल में कारी पत्थर में अष्टदल कमल के आकार बनल छै आ बिच में मधुवर्ण सम्पुटाकार (अंगकार) शिव लिंग विराजमान छैथ ।
(इ शिव लिंग के रहस्य कतौ ने कतौ सृष्टि निर्माण सं जुरल छै।)
तखन मुनि श्रेष्ठ शिव लिंग के उजागर कक अपन शिष्य के कहलखिन जे चलू एखन जनकपुर आ वापसी में हिनकर पूजा अर्चना कर है,विदा भेला जनकपुर राम सीता के स्वयं वर में भाग लेला जखन स्वयं वर में काज खतम भेल तखन श्री विदेह राज महाराज जनक जी के कहलखिन जे हे राजन!आब हमरा चलै के आदेश दिय अहां के मिथिला क्षेत्र में अद्भुत चमत्कारी शिव लिंग के जागृति भेल अछि हुनका पूजा अर्चना करबाक अछि हमरा ।हमर आदेश अछि जे अहां ओहिठाम सुन्दर मंदिर के निर्माण करब ।अनेक बात कहिक मुनि श्रेष्ठ अपन शिष्य के संग विदा भ गेला। पहुँचला वोई जगह पर प्रात: काल के समय छलै आब स्नान कतअ करब जल कतय भरब इ खोज करअ लगला ।मुनि श्रेष्ठ अपन दिव्य दृष्टि सं देखलखिन जे शिवलिंग सं लगभग दू सौ गज के दूरी पर एकटा नदी आ एकटा कुंड छै।त पहुँचला वोई नदी के किनारे पुनः ध्यान मुग्ध भेला त देखलखिन जे अहिठाम नदी और कुंड के बीच में किछु वर्ष पूर्व महातपस्वी श्री कर्दम ॠषि पुत्र के कामना सं घोर तपस्या केने छलैथ वोही समय में महर्षि कर्दम बरूण देव के अराधना सं कुंड के निर्माण केला और कमला माता के आराधना सं नदी के निर्माण भेल ।कुंडक नाम परल कर्दम कुंड आ नदी के नाम परल कर्दम कमला ।
कर्दम ॠषि जखन तपस्या करै छलैथ तखन माता काली के आवाह्न कक अष्टभुजा काली के मूर्ति निर्माण करौने छला और हुनके अपन अराध्य देवी के रूप में पूजा करै छला ।बहुत दिन तपस्या केला के बाद भगवान विष्णु प्रकट भेलखिन आ वरदान देलखिन जे अहां के विष्णु अंश पुत्र के प्राप्ति हेत जे सब मुनि में श्रेष्ठ रहता औ कपिल मुनि के नाम सं विख्यात हेता और अहि जगह के जागृत करता और तखन हमहूं अहिठाम विराजमान हैब एतैक कहिक वो अंतर्ध्यान भ गेलखिन ।तकर बाद में कर्दम ॠषि अपन तपस्या के समाप्त केला के बाद माता काली जी के मूर्ति के विसर्जन कक वोई मूर्ति के कुंड में प्रवाह क देलखिन और अपने प्रस्थान क गेला ।वोई के बाद में मुनिश्रेष्ठ कपिल जी महाराज कर्दम कमला में स्नान क कर्दम कुंड सं जल लक शिव लिंग के प्रथम पूजा अर्चना केला।
पूजा के समय में ओहिठाम ब्रह्म , विष्णु और नारद जी उपस्थित छला ।पूजा समाप्ति के बाद भगवान विष्णु कहलखिन जे आइ स कपिलेश्वर नाथ के नाम सं जानल जेता आ हमरो मूर्ति के पूजा अर्चना श्रद्धालु करता अहिठाम ऐतेक कही क सब देवता अंतर्ध्यान भ गेला तकर बाद में मुनिश्रेष्ठ श्री कपिल मुनि जी सेहो अपन आश्रम जाइके विचार केला।आ अपन प्रिय शिष्य जिनकर नाम कश्यप ॠषि छलैन हुनका आज्ञा देलखिन जे अहां आब अहिठाम भोले नाथ के सेवा करू और गृहस्थी आश्रम के अपनाऊ आ कपिल मुनि प्रस्थान क गेला गंगा सागर के लेल! तेकर किछु दिन बाद राजा जनक के द्वारा अष्टकोण मंदिर के निर्माण कैल गेल और पूजा अर्चना हुअ लागल। कश्यप ॠषि सेहो मिथिला में ब्याह कक गृहस्थी आश्रम के नियम पालन कर लगला आ कपिलेश्वर नाथ महादेव के पूजा अर्चना में लीन भ गेला ।कश्यप ॠषि के सेहो परिवार बढलैन पुत्र पौत्र भेलैन मिथिला क्षेत्र में कपिलेश्वर स्थान प्रख्यात हुअ लागल ।किछु समय के बाद कश्यप ॠषि के देहांत भ गेलैन आ हूनकर पुत्र पौत्र सब मंदिर के पुजारी भ गेला।
बहुत समय बितला के बाद महाराजा प्रताप सिंह अपन शासन काल में कपिलेश्वर नाथ के पूजा केला आ दक्षिणा के तौर पर इक्यावन बीघा जमीन पुजारी के नाम क देलखिन ।कपिलेश्वर बाबा के महिमा चारू तरफ फैलअ लागल ।
कपिलेश्वर स्थान स लगभग तीन कोष के दूरी पर बिस्फी ग्राम में एक टा ब्राह्मण छला हूनकर नाम छलैन गणपैत ठाकुर हुनका पुत्र नै छलैन आ अवस्था बहुत भ गेल छलैन ।ओ कपिलेश्वर नाथ महादेव के महिमा सुइन क पहुँच गेला आ बाबा दरबार में तपस्या में लीन भ गेला ।किछु दिन बितला के बाद ओ बाबा धाम (बैधनाथ धाम)चैल गेला औतऊ तपस्या केला ओत साक्षात बाबा बैधनाथ जी स्वप्न देलखिन जे अहां कपिलेश्वर नाथ के शरण में जाऊ हमहूं ब्रह्म मुहूर्त में एक पहर ओहिठाम रहै छी तखन पुन: श्री गणपैत ठाकुर कपिलेश्वर स्थान आबि गेला आ साधना में लीन भ गेला किछु दिनक तपस्या के बाद गणपैत ठाकुर जी के महादेव स्वप्न देलखिन जे हम प्रसन्न छी अहां के मनोकामना जल्दी पूर्ण हेत।तखन किछु दिन के बाद गणपैत ठाकुर जी के एक टा पुत्र के प्राप्ति भेलैन जिनकर नाम विद्यापति परल जे कवि कोकिल विद्यापतिजी के नाम सं विख्यात भेला ।अहि कपिलेश्वर नाथ के पावन नगरी में कालिदास सेहो पूजा क कृतार्थ भेला ।
कपिलेश्वर स्थान में तपस्या कक महान साधक महामहोपाध्याय पंडित श्री मदन उपाध्याय सेहो सिद्धि प्राप्त केला ।क्लानेश्वर बाबा सेहो पूजा क कृतार्थ भेला जगद्गुरु शंकराचार्य जी महाराज सेहो दर्शन केला तेकर किछु दिन बाद सन् 1934 ई. के भूकंप में मंदिर ध्वस्त भ गेल तखन महाराजाधिराज सर कामेश्वर सिंह (दरभंगा) कपिलेश्वर स्थान एला पूजा करअ के लेल त पूजा केला के बाद पुजारी लोकिन के कहलखिन जे हम मंदिर के नव निर्माण करब और काम सुन्दरी माता पार्वती के प्रतिमा के सेहो स्थापित करब ।
मुदा पार्वती जी के मंदिर के लेल हमरा व्यक्तिगत जमीन चाही त पुजारी सब कहलखिन जे जमीन अपने के भेटत लेकिन किछु शर्त अछि जमीन के बदला जमीन, कर्दम कुंड के चौड़ीकरण ।महाराज बात माईन गेलखिन काज चालू भ गेल ।पहिने चौकोण मंदिर महादेव के बनल बाद माता पार्वती के मंदिर भेल ।ओकर बाद कर्दम कुंड के चौड़ीकरण भेल जेकर नाम शिव सागर परल ।शिव सागर के खोदाई के समय में कर्दम ॠषि द्वारा जे अष्टभुजा काली जी के मूर्ति प्रवाहित भेल छल ओ मूर्ति निकलल जेकर स्थापना महाराजा कामेश्वर सिंह राज नगर राज में केला जे जमीन पंडा जी सब बदलेन में लेलखिन ओहि जमीन के काम सुन्दरी माता पार्वती के नाम सं ट्रस्ट के देलखिन और सेवैत अपनें महाराज कामेश्वर सिंह भेला आ दोसरैत पंडा जी के बनौलखिन ।
शिव सागर में स्नान मात्र सं कतेको जन्म के पाप स मुक्ति भेट जाईत अछि पहिल चरण स तेसर चरण तक के प्रायश्चित सेहो अहिठाम कटैत अछि ।
कपिलेश्वर स्थान में अनेक देवी देवता के मूर्ति स्थापित छैन गणेश मंदिर, पार्वती मंदिर, गौरी मंदिर, विष्णु मंदिर, भैरव मंदिर, हनुमान जी की मंदिर ।
मंदिर प्रांगण स बाहर दुर्गा जी के मंदिर ।
एतेक प्राचीन मंदिर भेला के बाद विकास के कोनों मार्ग में सरकार के कोनों नज़र नै । दुःखक गप्प ।
@अपने समस्त मिथिलावासी समस्त श्रद्धालु भक्त सं करबद्ध अनुरोध अछि जे इ मिथिला क्षेत्र के धरोहर अछि ।एकर विकास के लेल समूह मिथिलावासी अपन अपन स्तर सं पूर्ण जोर लगाऊ जे एकर भरपूर विकास होय ।
एक बेर जरूर बाबा कपिलेश्वर नाथ के दरबार में जाऊं आ अपन अपन मनोकामना पूर्ण करू ।
कपिलेश्वर नाथं त्वम् शरणम् गच्छामि ।
बोलिये बाबा कपिलेश्वर नाथ महादेव की जय ।