Winter in Uttarakhand: इस राज्य में शीतलहर का Alert जारी, जल्द पड़ेगी कड़ाके की ठंड

 
Winter in Uttarakhand: इस राज्य में शीतलहर का Alert जारी, जल्द पड़ेगी कड़ाके की ठंड

Winter in Uttarakhand: देहरादून-उत्तराखंड में मौसम विभाग ने मैदानी इलाकों में शीतलहर का अलर्ट जारी किया है।


मौसम विभाग के पूवार्नुमान के मुताबिक उधम सिंह नगर समेत अन्य मैदानी इलाकों में अगले 4 दिनों तक शीतलहर चलेगी।


इसके अलावा मैदानी इलाकों में घना कोहरा रहेगा, पहाड़ों में भी पाला पड़ने का अंदेशा है। जिससे कड़कड़ाती ठंड में इजाफा होगा।

मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक के मुताबिक, उधम सिंह नगर समेत अन्य मैदानी क्षेत्रों में मंगलवार से लेकर 4 दिन तक शीतलहर चलेगी।

ऐसे में गर्भवती महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों का खास ख्याल रखने की जरूरत है, क्योंकि इस मौसम में उनके स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।


वहीं अगले कुछ दिनों तक न्यूनतम तापमान में 18 डिग्री से अधिक अंतर होगा। 

लिहाजा सावधान रहने की जरूरत है। सभी जिलों को येलो अलर्ट जारी किया गया है।

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आखिर जयपुरी रजाई क्यों है प्रसिद्ध? इसकी क्वालिटी की वजह से लोग पसंद करते हैं खरीदना

जयपुर। देश में हर हिस्से में सर्दी ने दस्तक दे दी है और रात को ठंड बढ़ना शुरू हो गई है। 

अब जैसे-जैसे ठंड बढ़ने लगेगी, वैसे-वैसे घरों में रजाई का इस्तेमाल बढ़ने वाला है। लेकिन जब भी रजाई की बात होती है, तब जयपुरी रजाई की भी चर्चा होती है। 


देश-विदेश में अपना लोहा मनवा चुकी है।


आपने भी सुना होगा कि जयपुर की रजाई काफी फेमस होती है और हर कोई उन्हें खरीदना पसंद करता है।

भले ही यह थोड़ी महंगी होती है, लेकिन फिर भी इनकी क्वालिटी की वजह से इन्हें लोग खरीदना पसंद करते हैं।

नवंबर से जनवरी तक प्रतिदिन शहर में लगभग 15 -20 हजार रजाइयां बिकती हैं। 


इस काम से जुड़े कारीगारों के अनुसार शहर में जयपुरी रजाई का काम 280 साल पुराना है।

महाराजा माधो सिंह जी ने जयपुरी रजाई का निर्माण कराया, जिसका वजन केवल 250 ग्राम था। पहले डिमांड ही पूरी नहीं हो पाती थी, जबकि आज कई लोग इस काम में जुटे हैं। 

जयपुरी रजाइयों का बाजार काफी आगे बढ़ा, लेकिन आजकल इसके अनेक विकल्प भी बाजार में उपलब्ध है।

बताया जाता है कि जयपुर के संस्थापक राजा सवाई जयसिंह ने जयपुर को बसाने के बाद विभिन्न कला के शिल्पियों को यहां बसाने का काम किया था। उनमें से एक शिल्पी स्वर्गीय इलाही बक्श थे, जिन्होंने राजघराने में रजाइयां बनाने का काम किया था। इसके बाद यहां काफी बड़ा वर्ग ये रजाइयां बनाने का काम करता है।

जयपुर की सौ ग्राम रूई से बनी रजाईयां दुनियाभर में फेमस का कारण है, लाइट वेट, लोकल प्रिंट और सिल्की टच।

 हल्की होने के कारण इन्हें कोरियर कर के विदेश में भेजना आसान होता है। 

वैसे आम रजाई 3 या 4 किलो का रुई से भरकर बनाई जाती है, लेकिन इसके साथ एकदम उल्टा होता है। इसमें रजाई का वजन 250 ग्राम, 600 ग्राम तक ही सीमित रहता है और इतनी हल्की होने के बाद भी यह काफी गर्म होती है।

जयपुरी रजाईयों कई रूपों और विशेषताओं के साथ बाजार में उपलब्ध हैं। इनमें हैंड ब्लॉक बगरू प्रिंटिड, वेलवेट रजाई, कॉटन स्टफ्ड रजाई, मल्टीकलर डुएट रजाई, जयपुरी लहरिया रजाई, ट्रेडिशनल सांगानेरी प्रिंटेड रजाई, जाल प्रिंट रजाई, कॉटल डुएट प्रिंटिड, सांगानेरी गोल्ड प्रिंटिड रजाईयां बहुत पसंद की जाती हैं। 

आजकल जयपुरी रजाईयों को मॉडर्न प्रिंट के साथ भी पसंद किया जा रहा हैं।


 ये रजाईयां सिंगल और डुएट साइजों में उपलब्ध है।